Rajasthan News: जयपुर के चर्चित अंग प्रत्यारोपण मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव सुधांश पंत सहित अन्य अफसरों को नोटिस दिया है. आयोग अध्यक्ष जस्टिस जीआर मूलचंदानी ने प्रकरण को मानवता को आहत करने वाला बताया.  साथ ही इस गंभीर समस्या के स्थायी समाधान के निर्देश दिए और मामले की संपूर्ण तथ्यात्मक जानकारी आयोग में प्रकरण की 21 अगस्त को तारीख पेशी से पहले भेजने के निर्देश दिए.


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जयपुर में फर्जी एनओसी से किडनी ट्रांसप्लांट मामले में नया मोड़ आया है. राज्य मानवाधिकार आयोग ने अब इस मामले में प्रसंज्ञान लिया है. राज्य मानवाधिकार आयोग ने मुख्य सचिव सुधांश पंत, अतिरिक्त मुख्य सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, जयपुर पुलिस कमिश्नर, अध्यक्ष और सचिव  राजस्थान मेड़िकल काउंसिल, जयपुर, संभागीय आयुक्त, जयपुर, जिला कलक्टर, जयपुर को नोटिस जारी किया है. आयोग ने सब विभागों के प्राधिकारियों से प्रकरण से संबंधित समस्त विवरण, जांच व पीड़ितों को दिए मुआवजे व आरोपियों व डाक्टरों पर की गई कार्रवाई रिपोर्ट मांगी. रिपोर्ट आयोग में अगली तारीख पेशी 21 अगस्त से पहले भेजने के निर्देश दिए हैं. 



आयोग ने नोटिस में यह कहा.


''चिकित्सा जगत में चिकित्सा, शल्य, मानव अंगों का प्रत्यारोपण, औषधि, विज्ञान, में, किये गये अनुसंधान का लाभ, मानव सेवा के लिये अपेक्षित है. औषधि, अनुसंधान एवं मानव अंगों का दुरूपयोग किया जाना, विधि कदापि अनुमन्य नहीं करती. मानव अंगों के प्रत्यारोपण संबंधी विधायन, इस उद्देश्य से उद्भूत किया गया है कि मानव अंगों की सुलभ उपलब्धता पर, इनका प्रत्यारोपण योग्य पीडितों को, विधिसम्मत प्रक्रिया के अनुपालन के पश्चात ही, किया जाये. विधायी प्राविधानों के अनुसार इस निमित समुचित प्राधिकार से गठित, कमेटियों एवं प्राधिकृत संस्थाओं का, विधायी प्रबन्ध किया गया है. यह संस्थाएं अंग प्रत्यारोपण संबंधी, दोनों पक्षकारों दान ग्रहीता और दान दाता की विधायी व चिकित्सकीय अवस्थाओं को, विधिजन्य पाकर, मानव अंगो के प्रत्यारोपण की विधायी अनुमति प्रदान करती हैं.''



मानवीय संवेदनाओं को झकझोर दिया.....




आयोग अध्यक्ष ने नोटिस में कहा,'' दुखद है कि कुछ अवांछित तत्व विधायी प्राविधानों के प्रतिकूल जाकर व कतिपय कूटरचित प्रलेखों के सृजन के माध्यम से, कतिपय चिकित्सकों, शल्य चिकित्सकों, निहित स्वार्थी तत्वों, दलालों द्वारा विधि एवं मानवता के विपरीत जाकर, मानवीय मूल्यों के प्रतिकूल, प्रलोभनवश, मानव अंगों का व्यापार करने और विधायी प्रावधानो के प्रतिकूल जाकर, अविधिक वित्तीय लाभ प्राप्त करके, कूटरचित प्रलेखों के आधार पर, मानव अंगों के व्यापार में लिप्त है और इस सम्बन्ध में मानव अंगों के व्यापार संबंधी घटनाएं हैं. इन घटनाओं ने मानवीय संवेदनाओं को झकझोर दिया है.मानव अंगों के प्रत्यारोपण के व्यापार की घटनाएँ पीड़ादायक हैं. चिकित्सक के पवित्र प्रोफेशन को पतित करने में, कुछ स्वार्थी चिकित्सकों ने. चिकित्सक व्यवसाय को कलंकित किया हैं.''


 


 गंभीर समस्या के स्थाई समाधान करने के निर्देश...


आयोग ने नोटिस में लिखा कि मानवता को आहत करने वाली, इस गंभीर समस्या का स्थायी समाधान हो, इस विषय के सम्पूर्ण तथ्यों से अवगत होना आवश्यक है. परिणामस्वरूप मानव अंगों से संबंधित वृक्क (किडनी) के संबंध में किये गये, मानव अंगों के व्यापार व अविधिक प्रत्यारोपण एवं इसके समस्त पहलुओं पर प्रभावी कार्यवाही हेतु, आयोग का संज्ञान लिया जाना न्यायपरक है, जो समय की पुकार है.