फागी,भिवाडी के बाद चूरू में PHED की टंकी ढही,क्या मौत का इंतजार कर रही और टंकियां?
Rajasthan Crime News: PHED में लाखों लीटर पानी की टंकिया टूटने का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा.अब चूरू के रतनगढ़ में पानी से भरी हुई डेढ़ लाख लीटर टंकी जमीदोज हो गई.
Rajasthan Crime News: PHED में लाखों लीटर पानी की टंकिया टूटने का दौर खत्म होने का नाम नहीं ले रहा.अब चूरू के रतनगढ़ में पानी से भरी हुई डेढ़ लाख लीटर टंकी जमीदोज हो गई.लेकिन गनीमत रही कि इस घटना में जानमाल का नुकसान नहीं हुआ.लेकिन इस हादसे के बाद एक बार फिर से जलदाय विभाग सवालों के घेरे में घिर गया है.
PHED की टंकियों से बचके रहना रे बाबा
क्या जलदाय विभाग की टंकियां किसी की मौत का इंतजार कर रही है,क्या हादसों से भी पीएचईडी सीख नहीं ले पा रहा है?आखिरकार टंकी गिरने की घटनाओं पर कब ब्रेक लगेगा.
ये सारे गंभीर सवाल इसलिए उठ रहे है? कि क्योंकि जलदाय विभाग में लाइफ से पहले ही टंकियां धडाम-धडाम कर गिरती ही जा रही है.लेकिन क्या मजाल कि जिम्मेदार इन घटनाओं पर रोक लगा सके? पहले फागी,फिर भिवाड़ी और अब रतनगढ़ और अब ना जाने आगे कहां टंकी गिरने की खबर सामने आ जाए.
क्योंकि टंकियां गिरती है,अधिकारी सस्पेंड होते है,लीपापोती होती है? और फिर वहीं सीन रिक्रिएट होता है.हैरानी की बात तो ये है? कि इन टंकियों की लाइफ लाइन 50 साल होती है.लेकिन उससे पहले ही टंकियां धडाम धडाम से गिर रही है.खबर ये भी है? कि रतनगढ़ में और भी टंकियों की हालत खराब है.
लाइफलाइन 50 साल,फिर 30 साल में क्यों गिरी?
ऐसे में यदि आप पीएचईडी की पानी की टंकियों से गुजर रहे है तो पूरी सावधानी बरते,क्योकि जलदाय विभाग इसकी कोई गारंटी नहीं लेता.पीएचईडी की पानी की टंकी की लाइफ लाइन 50 साल तक होती है,लेकिन चूरू के रतनगढ़ में जो टंकी गिरी वो 30 साल बाद ही धड़ाम से गिर गई.
आज तड़के डेढ़ लाख लीटर की क्षमता वाली टंकी जमीदोज हुई तो आसपास के इलाके में बाढ़ जैसी स्थिति हो गई.इस हादसे में गनीमत ये रही कि टंकी जमीदोज होकर गिरी,आसपास किसी मकान या दूसरी जगह नहीं.नहीं तो जानमाल का भारी नुकसान हो सकता था.
कहां कहां गिरी टंकिया
7 साल पहले टेस्टिंग के दौरान भिवाड़ी में टंकी गिरी थी,इससे पहले फुलेरा में करीब 9 साल पहले पानी की टंकी धराशायी हुई थी.दूदू में करीब दो साल पहले ही तत्कालीन अतिरिक्त मुख्य सचिव सुधांश पंत के निर्देश पर घटिया निर्माण के कारण टंकियों का तुड़वाया था.सवाल ये है? कि क्या मृदा परीक्षण और ड्राइंग डिजाइन में गडबडी हो रही है? क्या मटेरियल की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ किया गया था.
क्या रतनगढ़ के इस मामले में PHED मंत्री-सचिव संज्ञान लेंगे? क्या राज्य में जल जीवन मिशन में बन रही टंकियां सेफ है? क्योंकि उदयपुर की जांच में ड्राइंग डिजाइन मापदंडों के मुताबिक नहीं थी.आखिरकार PHED की लापरवाही पर कब तक हादसे होते रहेंगे? क्यों ना जेजेएम की टंकियों की जांच जलदाय विभाग करवा ही ले? ताकि आने वाली आपदा को रोका जा सके.
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