Rajasthan Election : राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव में युवा वोटर्स के साथ में सीनियर सिटीजन्स और दिव्यांग मतदाताओं का अहम रोल रहेगा. निर्वाचन विभाग ने पहली बार बुजुर्ग और दिव्यांगों के लिए मतदान की विशेष सहूलियत दी हैं. जिसमें 17.50 लाख से ज्यादा बुजुर्ग और दिव्यांग घर बैठे ही अपना मतदान कर अपना नेता चुन सकेंगे. परिवार वालों को अब ऐसे लोगों को मतदान केंद्रों तक पहुंचाने के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ेगी.


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निर्वाचन विभाग के सीईओ प्रवीण गुप्ता ने बताया की बीएलओ को पहले ही घर-घर सर्वे करके फॉर्म भरवाना, घर बैठे वोटिंग की प्रक्रिया सुनिश्चित करने के निर्देश देने के साथ मॉनिटरिंग भी कड़ी की गई हैं. ECI के निर्देश पर निर्वाचन विभाग का वोटर्स इनक्लूजिव कार्यक्रम जोरों पर है. मॉनिटरिंग में मतदाता का कोई भी वर्ग नहीं छूटे, इसके लिए प्रयास तेज कर दिए हैं. इसके तहत बीएलओ को निर्देश दिए हैं कि संबंधित विधानसभा क्षेत्र में पहले ही 80 वर्ष से ज्यादा के सीनियर सिटीजन और दिव्यांगजन वोटर्स को लेकर होमवर्क पूरा कर लिया जाए.


उपचुनाव में प्रयोग रहा सफल


राजस्थान में निर्वाचन विभाग ने ही सरदार शहर, धरियावद, राजसमंद, सुजानगढ़ और वल्लभनगर विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव में एक प्रयोग करके देखा था. निर्वाचन विभाग का वह प्रयोग सफल रहा. ऐसे में अब विभाग दिसंबर-2023 में होने वाले चुनावों में इसे प्रदेश की सभी 200 सीटों पर यह व्यवस्था लागू करेगा. पूरे प्रदेश में करीब 11 लाख 80 हजार वोटर्स 80 वर्ष से अधिक आयु वाले और 5 लाख 71 हजार से ज्यादा हैं 40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग वोटर्स हैं. गुप्ता ने बताया की 40 फीसदी दिव्यांगता वाले वोटर्स को ही यह सुविधा मिल सकेगी. निर्वाचन विभाग ने इसके लिए व्यापक कार्यक्रम तैयार किया है. आधिकारिक सूचना जारी होने के साथ ही बीएलओ को पांच दिनों में कार्यवाही करनी होगी. इसमें बीएलओ को घर-घर जाकर पात्र वोटर्स से 12 डी के तहत फॉर्म भरवाकर विकल्प लेना होगा. इस विकल्प को देने के बाद पात्र वोटर के घर पर पोलिंग पार्टी जाएगी और वोटिंग करवाएगी. इससे ज्यादा से ज्यादा वोटर्स का मतदान सुनिश्चित हो सकेगा.


ये है दिव्यांग वोटर्स का गणित- जो ले सकते वोट-फ्रॉम-होम की सुविधा


-80 वर्ष से ज्यादा के सीनियर सिटीजन वोटर्स की संख्या-11 लाख 80 हजार से ज्यादा


-40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग वोटर्स की कुल संख्या-5 लाख 71 हजार से ज्यादा
-40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग वोटर्स-सबसे ज्यादा जयपुर में 34 हजार 581,जिनमें 1 ट्रांसजेडर शामिल


-40 फीसदी से ज्यादा दिव्यांग वोटर्स-सबसे कम जैसलमेर में करीब 3751 दिव्यांगजन
-40 फीसदी से ज्यादा महिला दिव्यांग वोटर्स की संख्या-जयपुर में सबसे ज्यादा 12057 महिला


-40 फीसदी से ज्यादा महिला दिव्यांग वोटर्स-सबसे कम प्रतापगढ़ में 2503 महिला दिव्यांगजन
-26 जिलों में इस दायरे में आने वाले एक भी ट्रांसजेडर वोटर नहीं है


-जबकि सात जिलों में गंगानगर, झुंझुनूं, सीकर, जयपुर, अजमेर, बांसवाड़ा और झालावाड़ में एक-एक ट्रांसजेंडर वोटर


ये है 80 साल से ज्यादा बुजुर्ग वोटर्स का गणित- जो ले सकते वोट-फ्रॉम-होम की सुविधा


-80 वर्ष से ज्यादा के सीनियर सिटीजन वोटर्स की संख्या-11 लाख 80 हजार से ज्यादा
-सीनियर सिटीजन में सबसे ज्यादा जयपुर में 1 लाख 11 हजार 428 वोटर्स,एक ट्रांसजेंडर भी


-सीनियर सिटीजन में सबसे ज्यादा कम जैसलमेर जिले में 11602 वोटर्स हैं
-80 वर्ष और उससे ऊपर की आयु के ट्रांसजेंडर वोटर में से जयपुर और पाली में 1-1 वोटर


-जबकि 80 वर्ष और उससे ऊपर की आयु वर्ग में 31 जिलों में एक भी ट्रांसजेंडर वोटर नहीं
-80 वर्ष और उससे ऊपर की आयु के सीनियर सिटीजन में सबसे ज्यादा जयपुर में 65606 महिला वोटर्स


-80 वर्ष और उससे ऊपर की आयु के सीनियर सिटीजन में से सबसे कम जैसलमेर में 7141 महिला वोटर्स


मकसद- मतदान प्रतिशत बढ़े


निर्वाचन विभाग के सीईओ प्रवीण गुप्ता के मुताबिक घर से वोट की सुविधा ऑप्शनल है. इसका मतलब यह है कि आपके पास मतदान के लिए पोलिंग बूथ और पोस्टल बैलट दोनों की सुविधा होगी. चुनाव से पहले जिला निर्वाचन कार्यालय के निर्देश पर टीम उनसे संपर्क करके पूछेगी कि आप बूथ पर जाकर मतदान करेंगे या फिर पोस्टल बैलट से. पोस्टल बैलट से मतदान करने वालों की सूची तैयार होगी. अक्सर देखा जाता हैं की मतदान प्रतिशत आम तौर पर 60 से 70 प्रतिशत के बीच अटका रहता है. मतदान नहीं करने वालों में सर्वाधिक संख्या उन लोगों की रहती है, जो वृद्धावस्था की शारीरिक कमजोरी, गंभीर बीमारी के चलते मतदान केन्द्र तक आ-जा नहीं आ पाते हैं. दिव्यांग मतदाता भी अक्सर भीड़ भर मतदान केन्द्रों तक आने-जाने से बचते हैं. इस तरह से वे अपने मतदान के अधिकार का उपयोग तक नहीं कर पाते हैं. हमारी कोशिश है कि ऐसे मतदाताओं को घर बैठे मतदान की सुविधा दी जाए, ताकि मतदान का प्रतिशत भी बढ़े. लोकतंत्र में अधिकतम नागरिकों की भागीदारी सुनिश्चित हो और सभी लोग अपने अधिकार का उपयोग कर सकें. उप चुनावों में हमने इसका पायलट प्रयोग किया था, जो सफल रहा. अब इसे सभी 200 विधानसभा सीटों पर लागू करेंगे.


बहरहाल, अपने लक्ष्य "कोई भी वोटर नहीं छूटे " इस लक्ष्य को पाने के लिए 80 वर्ष और उससे ज्यादा की आयु के और दिव्यांगजन वोटर्स को निर्वाचन विभाग बड़ा तबका मान रहा है. जिसके लिए बीएलओ को उन्हें घर बैठे वोटिंग की सुविधा देते हुए हर संभव प्रयास से जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं. ऐसे में अब बुजुर्ग और दिव्यांगजन घर बैठे ही लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा ले सकेंगे.


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