Rajasthan Fake Degree Racket News: फर्जी डिग्री जारी करने के प्रकरण में SOG ने आज तीन अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया है. अब तक प्रकरण में 6 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

SOG ने फर्जी डिग्री प्रकरण में आज शिक्षा निदेशालय में पूर्व में कार्यरत एलडीसी मनदीप सांगवान हाल यूडीसी सीबीइओ कार्यालय बीकानेर, पूर्व एलडीसी जगदीश हाल यूडीसी करनी उच्च माध्यमिक विद्यालय देशनोक बीकानेर और फर्जी डिग्री प्रिंट करने वाले राकेश कुमार को गिरफ्तार किया है.


आरोपी मनदीप और जगदीश ने SOG द्वारा कल गिरफ्तार किए गए दलाल सुभाष के माध्यम से फर्जी डिग्री प्राप्त की थी. मनदीप की पत्नी सुमन के लिए दलाल सुभाष से जेएस विश्वविद्यालय शिकोहाबाद की फर्जी डिग्री प्राप्त की गई. फर्जी डिग्री को सुमन ने पीटीआई भर्ती में प्रयोग किया.


दलाल ने पहले जो फर्जी डिग्री लाकर दी उसमें तारीख 15 अक्टूबर अंकित थी जिससे सुमन को जॉइनिंग में दिक़्कत होती. इस पर आरोपियों ने आपस में चर्चा कर दूसरी फर्जी डिग्री निकाली जिसमें 23 सितंबर तारीख अंकित थी. पीटीआई परीक्षा की विज्ञप्ति के अनुसार बीपीएड की डिग्री 25 सितंबर से पूर्व की होनी चाहिए थी.


फर्जी डिग्री के दम पर परीक्षा पास कर सुमन अभी वर्तमान में शारीरिक शिक्षक के पद पर तैनात है. SOG की जांच में यह बात सामने आई है कि सुभाष, मनदीप और जगदीश अपने अन्य साथियों के साथ मिलकर विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में खेल आरक्षण का लाभ लेने के लिए विशेष योग्यता के अंक अर्जित करके देने के लिए अलग षड्यंत्र करते.


मनदीप और जगदीश योग्य अभ्यर्थियों को ढूंढकर पहले सौदा तय करते. उसके बाद सुभाष के माध्यम से OPJS या अन्य विश्वविद्यालय में फर्जी एडमिशन करवाते. लाभांश पाने वाले खिलाड़ियों के एडमिशन के साथ-साथ जिस भी खेल की प्रतियोगिता हैं उसके प्रोफेशनल खिलाड़ियों का भी एडमिशन करवाते.


खेल प्रतियोगिता जैसे रस्साकसी, वुड बॉल, टारगेट बॉल इत्यादि खेलों में प्रोफेशनल खिलाड़ियों को विश्वविद्यालय की ओर से खिलाते और लाभांश पाने वाले अभ्यर्थियों को रिजर्व में रखते या कई बार लाभांश पाने वाले अभ्यर्थियों के स्थान पर प्रोफेशनल खिलाड़ी को डमी के रूप में भी खेल खिलाकर मेडल दिलवाते.


मेडल के अंक लाभांश पाने वाले अभ्यर्थी को मिलते. इस पूरे षड्यंत्र में विश्वविद्यालय भी शामिल होकर एडमिशन और एंट्री भेजने के नाम पर पैसे लेते, जो डिग्री की व्यवस्था सुभाष विश्वविद्यालय से नहीं कर पाता तो सुभाष राकेश द्वारा उसकी प्रिंटिंग प्रेस में छपवा देता. राकेश द्वारा और भी कई जाली दस्तावेज प्रिंट किए गए हैं. फिलहाल गिरफ्त में आए आरोपियों से पूछताछ जारी है जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे होने की संभावना है.