Rajasthan News: राजस्थान के पहले अग्निवीर जितेंद्र सिंह तंवर को शहीद का दर्जा मिला, परिवार को दो करोड़ रुपये की सहायता
राजस्थान के पहले अग्निवीर जितेंद्र सिंह तंवर को शहीद का दर्जा दिया गया है. उनके परिवार को दो करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है. जितेंद्र सिंह की शहादत के सात महीने बाद यह सम्मान मिला है.
Jaipur News: राजस्थान के पहले अग्निवीर जितेंद्र सिंह तंवर को शहीद का दर्जा दिया गया है. उनके परिवार को दो करोड़ रुपये की सहायता प्रदान की गई है. जितेंद्र सिंह की शहादत के सात महीने बाद यह सम्मान मिला है. उन्हें जम्मू-कश्मीर के पुंछ राजोरी इलाके में आतंकी सर्च ऑपरेशन के दौरान शहीद होने के लिए यह सम्मान दिया गया है. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और चैनल हेड अशीष दवे ने जितेंद्र सिंह के परिजनों को जयपुर में सम्मानित किया.
अलवर के रेणी के नवलपुरा मोरोड कला गांव के रहने वाले जितेंद्र सिंह तंवर को उनकी शहादत के सात माह बाद शहीद का दर्जा मिला है. जितेंद्र सिंह राजस्थान के पहले अग्निवीर शहीद हैं. उन्हें ज़ी राजस्थान के 'हे नमन उनको' कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और ज़ी राजस्थान चैनल हेड आशीष दवे ने भव्य समारोह में सम्मानित किया.
9 मई 2024 में जम्मू कश्मीर के पुंछ राजोरी इलाके में सर्च ऑपरेशन के दौरान आतंकियों की गोली लगने से जितेंद्र की मौत हो गई थी. जितेंद्र के परिवार को सरकार की तरफ से एक करोड रुपए की राशि दी गई है. साथ ही पंजाब नेशनल बैंक से आर्मी अकाउंट में इंश्योरेंस की एक करोड रुपए राशि दी गई है.
जितेंद्र सिंह के परिवार के सदस्य व भूतपूर्व सैनिक बख्तावर सिंह ने बताया कि 29 दिसंबर 2022 को अलवर के इंदिरा गांधी स्टेडियम में हुई अग्निवीर सेना भर्ती में जितेंद्र तंवर अग्निवीर में भर्ती हुआ. भर्ती होने के बाद 3 पैरा स्पेशल फोर्स का हिस्सा बना. बेंगलुरु में उसने एक वर्ष की स्पेशल ट्रेनिंग ली और ट्रेनिंग के बाद 29 फरवरी 2024 को पहली बार उसकी पोस्टिंग जम्मू कश्मीर में हुई. 9 मई 2024 को जम्मू कश्मीर के पुंछ राजौरी इलाके में जितेंद्र सिंह को सेना की टुकड़ी के साथ आतंकी सर्च ऑपरेशन में भेजा गया. इस दौरान गोली लगने से जितेंद्र शहीद हो गया. एक गोली जितेंद्र सिंह के सिर में लगी व दूसरी गोली उसकी कमर को छूकर निकली गई. राजकीय सम्मान के साथ जितेंद्र सिंह तंवर का उसके पैतृक गांव में अंतिम संस्कार हुआ.
लेकिन सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली. शुरुआत में सेना ने भी जितेंद्र सिंह तंवर को शहीद का दर्जा नहीं दिया. इस मामले पर सेना की तरफ से एक जांच करवाई गई. जिसके सात माह बाद जितेंद्र को शहीद का दर्जा दिया गया है. जितेंद्र ने 17 महीने सेना में नौकरी की. परिवार ने बताया कि वो दिन में मजदूरी करता और सुबह-शाम सेना में भर्ती होने की तैयारी करता था. जितेंद्र ने सेना में भर्ती होने को लेकर खासा जुनून था. बख्तावर सिंह ने बताया कि सेना की तरफ एक पत्र सोमवार को उनको मिला है. जिसमें जितेंद्र सिंह को शाहिद का दर्जा देने की जानकारी दी गई है. जितेंद्र के परिजनों को अभी तक केंद्र सरकार की तरफ से एक करोड की सहायता और पंजाब नेशनल बैंक की तरफ से एक करोड रुपए की सहायता मिल चुकी है.
जितेंद्र के परिजनों ने बताया कि बीते दिनों ZEE राजस्थान के :हे नमन उनको: कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री से मिले और अपना दुख व्यक्त किया. इस पर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने जितेंद्र सिंह के परिवार को कारगिल शाहिद का पैकेज देने की बात कही थी. साथ ही उनका सम्मान किया गया. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार इस दिशा में काम कर रही है. घर में जितेंद्र सिंह का बड़ा भाई और एक विधवा मां है. जितेंद्र सिंह के शहीद होने के बाद से परिवार के हालात खराब थे. वो लगातार न्याय के लिए चक्कर लगा रहे थे. तो लंबे समय बाद मिले शहीद के दर्जे से परिवार खुश है. वहीं गांव में जितेंद्र सिंह के नाम पर एक पार्क शहीद स्मारक डेवलप किया जा रहा है. इसमें स्थानीय विधायक समाज के लोग और भूतपूर्व सैनिकों द्वारा मदद की गई है. उस का निर्माण चल रहा है.
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