Jaipur: राजस्थान (Rajasthan) में ग्राम विकास अधिकारियों (Village development officers) का आंदोलन अब और तेज हो गया है. प्रदेश के 11 हजार वीडीओ सभी वाट्सअप ग्रुप (Whatsapp Group) से लेफ्ट हो गए हैं, जिससे गांवों की योजनाएं प्रभावित होने लगी. 


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इससे पहले ऑनलाइन काम रोककर पंचायतीराज विभाग (Panchayati Raj Department) की मुश्किलें पहले ही बढ़ा दी थी. आज से प्रदेश की पंचायतों का कामकाज ठप होने लगा है. ग्राम विकास अधिकारियों के आंदोलन तेज होने से पंचायतीराज विभाग (Panchayati Raj Department) की मुश्किलें बढ़ गई है. वजह प्रदेशभर के 11 हजार ग्राम विकास अधिकारी वाट्सअप ग्रुप से लेफ्ट हो गए हैं. 


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ग्राम विकास अधिकारियों के ग्रुप छोड़ने से विशेष रूप से प्रशासन गांवों के संग अभियान की तैयारी के लिए चले रहे प्री कैंप पूर्ण रूप से प्रभावित होंगे. 11 सूत्री मांगों को लेकर वीडीओ संघ एक बार फिर से सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. 16 अगस्त से शुरू हुआ आंदोलन अब और गति पकड़ने लगा है. संघ के अध्यक्ष महावीर प्रसाद शर्मा (Mahaveer Prasad Sharma) का कहना है कि यदि सरकार ने हमारी मांगों पर कोई अमल नहीं किया तो आने वाले दिनों में आंदोलन को और तेज किया जाएगा. आंदोलन से मनरेगा, पीएम आवास योजना समेत कई योजनाएं प्रभावित हो रही हैं.


इन मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोला
ग्राम विकास अधिकारी संघ की मुख्य मांग वेतन विसंगति दूर कर ग्रेड पर 3600 करवाना, 9, 18 और 27 साल की सेवा पर एसीपी के स्थान पर चयनित वेतनमान स्वीकृत करना, ग्राम विकास अधिकारी संवर्ग के 4000 से अधिक रिक्त पदों की भर्ती करना, जिला कैडर परिवर्तन नीति लागू करना, 5 वर्षों से लंबित पदोन्नति करने की मांग है.


महावीर प्रसाद का कहना है कि कैडर स्ट्रैंथन के लिए उच्च पद स्वीकृत करना और 9 लिखित समझौते लागू करवाना है. इसके अलावा ग्राम पंचायत कार्यालय संचालन में आ रही विभिन्न ऑनलाइन जटिलताओं को दूर करवाना, पट्टा रूपांतरण, स्थानांतरण, बंटवारा, नामांतरण की प्रक्रिया जारी करवाना, जटिल निर्माण नीति को दुरुस्त करवाना एवं शेड्यूल ऑफ पावर को संशोधित करवाना है.


गांवों की योजनाओं पर संकट गहरा सकता
दो साल से ग्राम विकास अधिकारियों का इन मांगों को लेकर आंदोलन चल रहा है, लेकिन अब तक इनकी मांगें पूरी नहीं हुई. ऐसे में अब देखना यह होगा कि विभाग के अधिकारी और सरकार इनकी मांगों पर कितना अमल करते हैं क्योंकि आंदोलन तेज हुआ तो गांवों की योजनाओं पर संकट गहरा सकता है.