9500 अंकों की होगी स्वच्छता की परीक्षा, नंबर कटने से बचने के लिए अपनाने होंगे ये ट्रिक
नगर निगम के अफसरों की माने तो राजधानी को हर सर्वेक्षण में सर्टिफिकेशन के नम्बर नहीं मिल रहे हैं. पिछले तीन सर्वेक्षण पर नजर डालें तो गारबेज फ्री सिटी में स्टार रेटिग के 800, 950 और 1000 अंक सीधे ही कट गए. इस बार 1350 अंक सीधे कटने का डर है.
जयपुर: नगर निगम के अफसरों की माने तो राजधानी को हर सर्वेक्षण में सर्टिफिकेशन के नम्बर नहीं मिल रहे हैं. पिछले तीन सर्वेक्षण पर नजर डालें तो गारबेज फ्री सिटी में स्टार रेटिग के 800, 950 और 1000 अंक सीधे ही कट गए. इस बार 1350 अंक सीधे कटने का डर है. निगम के जिम्मेदार अधिकारियों ने इनको बचाने के लिए प्रयास तो किया, लेकिन सफलता नहीं मिली. ये अंक बाजारों की सफाई से लेकर कॉलोनियों की सफाई, प्रतिबंधित प्लास्टिक का उपयोग न होने, हर वार्ड में हूपर पहुंचने और गीला-सूखा से लेकर हानिकारक कचरे को अलग एकत्र करने से लेकर लिटरबिन्स का मानकों के अनुरूप लगे होना अनिवार्य है.
दिल्ली से टीम आकर शहर में इन सभी मानकों को परखती है. इंदौर में गीला-सूखा, डायपर-सैनेटरी पैड, बैट्री, प्रतिबंधित प्लास्टिक, कांच और ऐसा कचरा जिसे रिसाइकिल नहीं किया जा सकता इसे लिया जाता हैं, जबकि जयपुर की दोनों नगर निगम में एक जैसा हाल है. न तो गीला-सूखा कचरा अलग हो रहा है और न ही अन्य कचरे के लिए गाड़ियों में कोई बॉक्स व्यवस्थित तरीके से लगे हुए हैं. हैरिटेज नगर निगम में आशीष कुमार के पास उपायुक्त स्वास्थ्य की जिम्मेदारी है. उनके पास उपायुक्त गैराज और उपायुक्त उद्यान का अतिरिक्त चार्ज भी है, जबकि तीनों ही शाखाएं बेहद महत्वपूर्ण हैं.
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वहीं, नगर निगम ग्रेटर में मुकेश कुमार मूंड को उपायुक्त स्वास्थ्य की जिम्मेदारी मिली है.उनके पास पशु प्रबंधन का अतिरिक्त चार्ज भी है. दोनों ही नगर निगम में आठ हजार से अधिक सफाईकर्मी हैं. इतना ही नहीं, शहर में हर घर से कचरा उठाने के लिए 700 से अधिक हूपर दौड़ रहे हैं. इसके बावजूद निगम सीमा क्षेत्र का एक तिहाई हिस्सा ऐसा है, जहां हूपर पहुंच ही नहीं पाते. निगम के जिम्मेदार अधिकारी इनको अब तक व्यवस्थित नहीं कर पाए हैं.
इन महत्वपूर्ण कार्यों पर ध्यान देने की जरूरत
-पिछले साल से बेहतर रैंक के लिए शहर में ये काम करने की जरूरत
-मुख्य जगहों सहित गली मोहल्लों की नियमित सफाई कराई जाए.
-सभी संसाधनों को सही ढंग से उपयोग किया जाए.
-गीला और सूखे कचरे को कचरा गाड़ी में अलग-अलग ही एकत्र किया जाए. इसके लिए लोग भी अलग-अलग ही कचरा देने का काम करें.
-हर घर से कचरा सीधा कचरा गाड़ी में दिया जाए. खुले में कचरा फेंकना बंद हो.
-सिंगल यूज प्लास्टिक पर पूरी तरह प्रतिबंध हो, प्लास्टिक वेस्ट का पूरी तरह से निष्पादन हो.
-सार्वजनिक शौचालयों में साफ-सफाई का प्रबंध हो. लोग भी जागरुकता दिखाएं
-लोग घर से निकलने वाले गीले कचरे की यथासंभव घर पर ही कंपोस्टिंग मटका खाद के रूप में करें. इससे कचरे की मात्रा में कमी आएगी, सर्वेक्षण में अंक बढ़ेंगे.
-यलो स्पॉट जहां लोग खुले में टॉयलेट जाते हैं और रेड स्पॉट जहां लोग पान-तंबाकू आदि थूकते हैं उनको चिह्नित कर समाप्त किया जाए.
-कबाड़ से जुगाड़ यानी रिड्यूज, रीसाइकिल और रीयूज थ्री-आर को चरितार्थ करती गतिविधियां ज्यादा से ज्यादा हों ताकि लोग इनका महत्व समझें और थ्री-आर का उपयोग बढ़े.
दोनों निगमों को रखना होगा इसका ध्यान
हैरिटेज नगर निगम ने रूट चार्ट तो बना लिया, लेकिन लोगों को हूपर का इंतजार रहता है. अब तक अधिकारी ऐसी व्यवस्था विकसित नहीं कर पाए हैं, जिससे लोगों को पता चल सके कि हूपर उनके घर कब आएगा. ग्रेटर में यह व्यवस्था लागू हुई है, लेकिन मालवीय नगर और मुरलीपुरा जोन के वार्डों में ही सीमित है. दरअसल, इस बार स्वच्छता की परीक्षा 9500 अंकों की होगी. खास बात यह है कि इस बार ब्रांडिंग में फ्लेक्स, पॉलीथिन अथवा प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया जा सकेगा. यदि ऐसा किया जाता है तो अंक काटे जाएंगे. प्लास्टिक पूरी तरह बैन रहेगी..साथ ही सड़क पर थूकने पर भी नंबर काटे जाएंगे.वेस्ट टू वेल्थ थीम के अनुरूप इस बार 48 प्रतिशत यानी 4525 अंक अकेले सर्विस लेवल प्रोग्राम यानी कचरे के सेग्रीगेशन, प्रोसेसिंग,डिस्पोजल पर आधारित रहेंगे, जिसमें सामुदायिक शौचालय, सार्वजनिक शौचालयों की साफ-सफाई और सीवरेज ट्रीटमेंट शामिल हैं.
ऐसे में निगम के अधिकारियों को सख्ती से सार्वजनिक स्थल कचरा मुक्त रखने, नाले-नालियों की सफाई, सूखा-गीला कचरा अलग-अलग करने व आमजन को जागरूक करने पर विशेष ध्यान देना होगा. सर्टिफिकेशन पर 27 प्रतिशत यानी 2500 अंक और सिटीजन फीडबैक के आधार पर 25 प्रतिशत यानी 2475 अंक दिए जाएंगे.इनमें 39 प्रतिशत अंक कचरा विभक्तिकरण के, 40 फीसदी अंक कचरा प्रोसेसिंग, डिस्पोजल के और 21 प्रतिशत अंक यूज्ड वाटर मैनेजमेंट और सफाई मित्र सुरक्षा के होंगे.