Jaipur: राजस्थान हाईकोर्ट ने पोते की अभिरक्षा मांगने वाले दादा-दादी को कहा है कि वह रजिस्ट्रार जनरल के नाम पचास हजार रुपये का चेक पेश करें और उसके बाद ही मामले में बच्चे की मां को नोटिस जारी किए जाएंगे. 


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वहीं अदालत ने मामले में प्रमुख गृह सचिव, एसपी करौली और एडीजी मानव तस्करी निरोधक युनिट को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस पंकज भंडारी और जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश प्रेमवती मीणा और अन्य की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिए.


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याचिका में अधिवक्ता मोहित बलवदा और अधिवक्ता भावना चौधरी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता के बेटे की मौत हो चुकी है और उनकी पुत्रवधू अपने छह साल के बेटे के साथ लंबे समय से अलग रह रही है. याचिका में कहा गया कि उनके पोते को गई गंभीर बीमारियां हैं. उनके पोते को वहां पोषण भी नहीं मिल रहा है, जबकि चिकित्सीय राय के अनुसार उसे पोषणीय भोजन की काफी जरूरत है. याचिका में यह भी बताया गया कि कुछ समय पहले उनका पोता करीब एक माह के लिए याचिकाकर्ताओं के पास रहा था. उस समय वह काफी खुश था और उसके वजन में भी बढ़ोतरी हुई थी. वहीं पोते के वापस मां के पास जाने पर उसका वजन वापस कम हो गया. 


याचिका में गुहार की गई कि उन्हें उसके पोते की अभिरक्षा सौंपी जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ता की ओर से पचास हजार रुपये जमा कराने पर बच्चे की मां को नोटिस जारी करने के आदेश दिए हैं.


Reporter- Mahesh Pareek


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