Stay on RCA Elections: राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के चुनाव पर लगी अंतरिम रोक को 11 अक्टूबर तक बढ़ा दिया है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में आरसीए को जवाब देने  के लिए समय देते हुए मुख्य चुनाव अधिकारी रामलुभाया, प्रमुख खेल सचिव और सहकारिता रजिस्ट्रार को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. जस्टिस महेन्द्र गोयल की एकलपीठ ने यह आदेश दौसा जिला क्रिकेट संघ और अन्य जिला संघों की याचिका पर दिए.


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 सुनवाई के दौरान आरसीए की ओर से कहा गया कि उन्हें याचिका पर विस्तृत जवाब पेश करना है इसलिए उन्हें समय दिया जाए. इस पर अदालत ने आरसीए को जवाब के लिए 11 अक्टूबर तक का समय देते हुए अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.


चुनाव  सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता डॉ. अभिनव शर्मा ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार ने पूर्व आईएएस रामलुभाया को पिछले 13 मार्च को प्रदेश के जिलों के लिए बनाई गई हाई पावर समिति का चेयरमैन बनाया था. इस कमेटी का सीधा नियंत्रण मुख्यमंत्री के पास है. वहीं, पिछले आठ सितंबर को रामलुभाया को आरसीए का चुनाव करवाने के लिए मुख्य चुनाव अधिकारी भी बनाया गया था.


गौरतलब है कि सीएम के बेटे वैभव गहलोत आरसीए के मौजूदा अध्यक्ष है और आगामी चुनाव में अध्यक्ष पद के उम्मीदवार भी है. मुख्य चुनाव अधिकारी ने आरसीए के मौजूदा अध्यक्ष को लाभ पहुंचाने के लिए कई जिला संघों की मतदाता सूची से छेड़खानी की है? और अवैध तरीके से मतदाता सूचियां बनाई. याचिका में यह भी बताया कि याचिकाकर्ताओं ने उनके चुनाव अधिकारी बनाए जाने पर  आपत्ति दर्ज कराई थी, लेकिन उन्होंने आपत्तियों का सामाधान नहीं किया.  ऐसे में याचिका के निस्तारण तक आरसीए चुनाव पर रोक लगाई जानी चाहिए.


 याचिका में यह भी कहा गया कि मुख्य चुनाव अधिकारी मुख्यमंत्री को सीधे रिपोर्ट करते है और राज्य सरकार से फायदे ले रहे हैं .वैभव गहलोत सीएम का बेटा होने के कारण आरसीए चुनाव में उन्हें फायदा पहुंचाया जा रहा  हैं. जबकि सुप्रीम कोर्ट और लोढ़ा कमेटी यह तय कर चुकी है कि चुनाव अधिकारी निष्पक्ष होना चाहिए.


 गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने  29 सितंबर को आरसीए चुनाव पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की सुनवाई को तीस सितंबर को रखा था. आरसीए की ओर से अदालत को बताया गया था कि वैभव गहलोत मुख्यमंत्री के बेटे होने के साथ-साथ अपना अलग व्यक्तित्व भी रखते हैं और उनकी अपनी अलग पहचान है.  केवल सीएम की संतान होने की वजह से उन पर आरोप लगाया जाना गलत है.


 बीसीसीआई के सचिव पद पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह भी हैं, तो क्या उन्हें भी बीसीसीआई का सचिव बनाने के लिए राजनीतिक दखल दिया गया है? ऐसे आरोप तो बीसीसीआई पर भी लग सकते हैं इसलिए केवल सीएम का पुत्र होने की वजह से राजनीतिक दखल का आरोप लगाते हुए दायर याचिका को खारिज किया जाए.


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Reporter: Mahesh pareek