Rajasthan news: राजस्थान में एक तरफ भूजल स्तर लगातार घटता जा रहा है,लेकिन इसके बावजूद भी कोई ठोक प्लानिंग नहीं बनाई जा रही.प्रदेश में 33 में से 31 जिलों की हालत ग्राउंड वाटर को लेकर ठीक नहीं,जिस कारण प्रदेश में लगातार जलसंकट गहराता जा रहा है.जलसंकट का जीता जागता उदाहरण है बेंगलुरु,यदि राजस्थान बेंगलुरु से अभी भी सीख नहीं लेगा तो आने वाले दिनों में बहुत देर हो गई होगी.


कहीं राजस्थान भी ना बन जाए बेंगलुरु


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जलसंकट से बेंगलुरु में हाहाकार.राजस्थान में भी 70 प्रतिशत ब्लॉक डार्क जोन में.यदि समय रहते नहीं चेते तो कहीं राजस्थान भी ना बन जाए बेंगलुरु! ये बात बिल्कुल सही है,क्योंकि आज जो हाल बेंगलुरु सिटी का हो रहा है, कहीं वो हाल राजस्थान का ना हो जाए.क्योंकि राजस्थान का 70 प्रतिशत भूभाग डार्क जोन में चला गया है.राज्य के 295 ब्लॉक में से 203 ब्लॉक डार्क जोन में है.डार्क जोन का मतलब ये होता है जिन इलाकों में जमीन के नीचे से पानी तो अधिक ले रहे है,लेकिन जमीन में पानी कम रिचार्ज हो रहा है.डूंगरपुर और बांसवाडा को छोड़कर बाकी सभी जिलों का कुछ ऐसा ही हाल देखने को मिल रहा है.राजधानी जयपुर में 14 ब्लॉक में से 13 ब्लॉक डार्क जोन में चले गए है.


राजस्थान में निजी ट्यूबवेल खोदने की अनुमति


दूसरी तरह भारत का आईटी हब कहा जाने वाला बेंगलुरु शहर इन दिनों हर रोज़ बीस करोड़ लीटर पानी की कमी झेल रहा है.लगभग डेढ़ करोड़ की आबादी वाले इस शहर के लिए कावेरी नदी से 145 करोड़ लीटर पानी 95 किलोमीटर का सफर तय करके कर्नाटक की राजधानी में लाया जाता है.समुद्र तल से क़रीब 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस शहर की ज़रुरत का शेष 60 करोड़ लीटर पानी बोरवेल के ज़रिए आता है.


इस जल संकट की वजह बेंगलुरु शहर का गिरता हुआ भूजल स्तर है, जो दक्षिण-पश्चिम मानसून और उत्तर-पूर्वी मानसून कमजोर रहने की वजह से लगातार गिर रहा है.राजस्थान का भी कुछ ऐसा ही हाल है,जहां लगातार जलसंकट बढ़ता जा रहा है.भूजल स्थिति इतनी खराब होने के बावजूद राजस्थान में बेधड्डले से निजी ट्यूबवेल खोदने की अनुमति है.हालांकि भूजल विभाग बार-बार सचेत कर रहा है,लेकिन इसके बावजूद प्रशासन और विभाग समय से चेत नहीं रहे.


2018 में ही मिल गए थे संकेत,फिर भी नहीं चेते


बेंगलुरु जैसे महानगर में उभरा जल संकट चेतावनियों पर समय रहते न चेतने का दुष्परिणाम है. 2018 में दक्षिण अफ्रीका के शहर केपटाउन में पानी के भयंकर संकट को देखते हुए दुनिया के जिन 15 शहरों पर ‘शून्य जल’ स्तर के संकट का खतरा बताया गया था,


उनमें भारत के बेंगलुरु का भी नाम था. इस पर ध्यान नहीं दिया गया और इसका परिणाम है कि भारत का ‘सिलिकन वैली’ कहा जाने वाला यह महानगर बीते दिनों से गंभीर जल संकट से जूझ रहा है. बेंगलुरु की जरूरत 2600 एमएलडी है,लेकिन कावेरी नदी से मात्र 460 एमएलडी पानी ही मिल पा रहा है.इसलिए बेंगलुरु में अभी भी नहीं सीखे तो आने वाले दिनों में राजस्थान भी बेंगलुरू न बन जाए.


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