Rajasthan News: जलदाय विभाग के इंजीनियर्स ही जल जीवन मिशन में घोटाले की जांच में रोड़ा बन गए है. ऐसे में जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी को विभाग पर ध्यान देने की जरूरत है. ऐसा इसलिए क्योंकि ढाई महीने बाद भी जलदाय विभाग के इंजीनियर्स ने इरकॉन के नाम पर फर्जी प्रमाण पत्रों की फाइले CBI को सौंपी ही नहीं है. 


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ढाई महीने में भी नहीं सौंपे ओरिजनल डॉक्यूमेंट्स
चीफ इंजीनियर प्रशासन दिनेश गोयल बार बार एडिशनल चीफ इंजीनियर्स को खत लिखकर ओरिजनल डॉक्यूमेंट मांग रहे है, लेकिन क्या मजाल कि इन प्रमाण पत्रों से जुड़ी फाइलें जलदाय मुख्यालय पहुंच जाए. चीफ इंजीनियर ने 7 दिन में ये रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए थे, लेकिन 75 दिन बाद भी अब तक मुख्यालय फाइलें नहीं पहुंची है. ऐसे में जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी को खुद को मामले में संज्ञान लेने की जरूरत है.



इस मामले में ईडी कर चुकी 4 गिरफ्तार
हालांकि, एडिशनल इंजीनियर्स को पत्र लिखने वाले चीफ इंजीनियर दिनेश गोयल खुद इसी केस में ईडी के शिकंजे में है. उनके ठिकानों पर भी ईडी ने रेड मारी थी, लेकिन अब बारी है सीबीआई की. गणपति और श्री श्याम ट्यूबवेल फर्म ने फर्जी प्रमाण पत्रों द्वारा हासिल किए टैंडरों के ओरिजनल दस्तावेज मांगे है. PHED को दोनों फर्मों के 10 फर्जी प्रमाण पत्रों से ओरिजिनल दस्तावेज सीबीआई को सौंपने होंगे. हालांकि श्री श्याम और गणपति ट्यूबवेल फर्म के मालिक पदमचंद जैन और महेश मित्तल दोनों ने ईडी गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. इस मामले में एसीई जयपुर 1,2, अलवर एसीई,नागौर एसीई को रिपोर्ट देनी है. सीबीआई की चिट्ठी में तत्कालीन एडिशनल चीफ इंजीनियर आरके मीणा, अधीक्षण अभियंता पारितोष गुप्ता, चीफ इंजीनियर आरके मीणा का जिक्र है.



फिर से देखी जा सकती CBI की छापेमारी
सूत्रों की मानें तो सीबीआई ने जलदाय विभाग के कई इंजीनियर्स और प्राइवेट लोगों को पूछताछ के लिए समन भेजा था. बताया जा रहा है कि जयपुर और अजमेर वृत्त के एसई और दो चीफ इंजीनियर से पूछताछ की जा चुकी है. ऐसे में आने वाले दिनों में CBI की छापेमारी की छापेमारी देखी जा सकती है.



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