Hathras Stampede : हाथरस की घटना के बाद सूरजपाल जाटव उर्फ भोले बाबा का नाम पूरे देश में चर्चा का विषय बन गया है. सूरजपाल एक लग्जरी और अय्याशी भरी जिंदगी जीते हैं. अलवर के खेड़ली के पास स्थित सहजपुरा गांव में सूरजपाल का आश्रम है, जिसे बाबा के अनुयायियों ने करीब 12 साल पहले डेढ़ बीघा जमीन पर बनवाया था. अब इस गांव के लोगों ने भोले बाबा के बारे में कुछ चौंकाने वाले खुलासे किए हैं.


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मिलने आते थे नेता-अभिनेता


आश्रम के आस-पास रहने वाले लोगों ने बताया कि आश्रम में बाबा के लिए विशेष झूला लगाया गया है, जहां बैठकर सूरजपाल महिलाओं को आदेश देता था. उसके आस-पास हमेशा कुंवारी लड़कियां रहती थीं, जो उसे खाना खिलाने, कपड़े पहनाने और अन्य सभी कार्य करती थीं. जब सूरजपाल अलवर आते थे, तो उनसे मिलने के लिए नेता, अभिनेता, व्यापारी और अन्य वीआईपी लोग पहुंचते थे.



बाबा के सेवकों ने बताया कि सूरजपाल हमेशा सफेद कपड़े पहनते हैं और उन्हें महंगे चश्मे, टाई और जूते का शौक है. वह हमेशा सूट पहनकर प्रवचन देते थे. हालांकि, वे सेवकों से पैसे नहीं लेते थे, फिर भी उनके सेवक उनके लिए ब्रांडेड सामान लेकर आते थे. उनके पास चश्मे, जूते, सूट और टाई का बड़ा संग्रह है.


बाबा के आश्रम में खाने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं. बाबा के लिए आश्रम में अलग से रसोई बनाई गई है, जहां केवल उनके लिए खाना तैयार किया जाता है. लड़कियां और महिलाएं खाना बनाती हैं और बाबा की पसंद की चीजें तैयार करती हैं. बाबा अपनी सेहत का विशेष ध्यान रखते हैं.


सुरक्षा का खास इंतजाम 



बाबा का यह आश्रम लोगों की नजरों से ओझल था और यहां सूरजपाल आराम करने आते थे. सूरजपाल की सुरक्षा का खास इंतजाम था, जो जेड प्लस सुरक्षा जैसी सख्त थी. बाबा के सेवक उन्हें हर तरफ से घेरे रहते थे, ताकि कोई भी उनसे संपर्क न कर सके.


कहानियों की वजह से जुड़े लोग



सूरजपाल के अनुयायियों ने बताया कि कथा के दौरान मंच पर लोग अपनी कहानियां सुनाते थे, जिन्हें सुनकर वहां मौजूद लोग भावुक हो जाते थे. इन कहानियों की वजह से लोग सूरजपाल से जुड़ने लगे और इस तरह उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ती गई. आश्रम के आस-पास रहने वाले लोगों का कहना है कि सूरजपाल के अनुयायी विशेष समुदाय के होते हैं और वे उन्हीं को निशाना बनाते हैं.


किया जाता है भूत-प्रेत भगाने का काम


सेवकों के अनुसार, मंगलवार के दिन आश्रम में अंधविश्वास का खेल चलता है. इस दौरान भूत-प्रेत भगाने का काम किया जाता है. जो लोग परेशानी में होते हैं, उन्हें यातनाएं दी जाती हैं और सुरक्षा कर्मी उन्हें डंडों से मारते हैं. सेवक इन डंडों की मार को प्रसाद मानते हैं. इतना ही नहीं, दर्शन के लिए लोग सूरजपाल के पीछे पागलों की तरह भागते हैं और इस दौरान भी सेवक उन्हें डंडों से मारते हैं.