Rajasthan news: आंध्र प्रदेश से राजस्थान बिक्री के लिए आने वाली पंगास प्रजाति की मछलियों पर रोक लगाने की मत्स्य पालकों ने मांग की है.राजस्थान मत्स्य पालक विकास संगठन के पदाधिकारी खाध एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास को ज्ञापन देकर पंगास मछली की जांच कराकर रोक लगाने की मांग की. राजस्थान मत्स्य पालक विकास संगठन के प्रदेशाध्यक्ष देवेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि आंध्र प्रदेश से भारी मात्रा में पंगास मछली राजस्थान में बिक्री के लिए आती है.आंध्र प्रदेश से पैकिंग होने के बाद में मंडी तक पहुंचने और बिक्री होने में करीब 10 से 15 दिन तक का समय लग जाता है.


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क्या हैं फोरमलिन लेप
ऐसे में मछली का ताजा रखने के लिए हानिकारक केमिकल फोरमलिन का लेप किया जाता है. यह वही फोरमलिन केमिकल होता है जो मृत शवों को सडने से रोकने के लिए लगाया जाता है.ऐसे में पंगास मछली में फोरमलिन केमिकल का लेप होने से पंगास मछली जल्दी खराब नहीं होती है.पंगास मछली में हानिकारक केमिकल लेप होने से मानव शरीर में कैंसर फैलता है. मत्स्य पालक संगठन ने मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास को ज्ञापन देकर मांग की इन पंगास मछलियों की जांच कराकर यदि जांच में केमिकल की पुष्टि होने पर तुरंत प्रभाव से आंधप्रदेश की पंगास मछलियों को राजस्थान में बिक्री पर रोक लगाए. ताकि प्रदेश के लोगों को इस घातक केमिकल के प्रभाव से होने वाले कैंसर से बचाया जा सके.


यह है मामला
मत्स्य पालक संगठन के महासचिव भंवर सिंह ने बताया कि पंगास मछली राजस्थान की एक कांटे की मछली से चौथाई रेट में बिकती है . इस मछली की थोक में बिक्री 110 से 140 रू किलोग्राम होती है. जबकि राजस्थान की मीठे पानी की एक कांटे की मछलिया लाची, सिंघाडा,सांवल, बाम व पावदा की रेट करीब 250 से 400 रू किलोग्राम होती है. इस को राजस्थान में लाची और सिंघाडा के नाम से बेचा जाता है.पंगास मछली एक हाइब्रिड मछली है. इस मछली का राजस्थान में बिक्री होने के कारण राजस्थान के मत्स्य पालकों को बडा नुकसान होता है. क्योंकि राजस्थान की मछली उन्नत किस्म की होती है.राजस्थान मत्स्य पालक विकास संगठन ने मंत्री खाचरियावास से मांग की पंगास मछली की जांच कराकर राजस्थान में बिक्री पर रोक लगाए.