Rajasthan News: जलदाय विभाग को जल निगम में बदलने का विरोध तेज हो गया है. आज से प्रदेशभर के इंजीनियर्स और कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चले गए. ऐसे में आने वाले दिनों में पेयजल सप्लाई ठप हो सकती है. विरोध के सुर तेज होने से आज जलदाय महकमे में सभी काम ठप रहा.


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क्या चीफ इंजीनियर्स नहीं कर रहे समर्थन?
बता दें कि PHED को वाटर सप्लाई एंड सीवरेज कॉरपोरेशन बनाया गया है. राज्य सरकार ने ये फैसला इसलिए लिया गया ताकि पीएचईडी जल जीवन मिशन समेत कई प्रोजेक्ट्स में लोन मिल सके. विभाग को लोन नहीं मिल पा रहा था, इसलिए 1979 एक्ट के तहत कॉरपोरेशन बनाने का निर्णय लिया गया है. निगम बनाने के बाद सरकार को जल जीवन मिशन के लिए 1577 करोड़ का लोन हुडको से मिल गया है, लेकिन जलदाय कर्मियों को आशंका है कि निगम बनने से उनके अधिकारों को खतरा है. हालांकि,  चीफ इंजीनियर प्रशासन दिनेश गोयल विरोध के समर्थन में नहीं है.



मंत्री जी ने साधी चुप्पी
निजीकरण के फैसले से पानी दरे भी बढ़ना तय माना जा रहा है, लेकिन आज प्रदेशभर के जलदाय विभाग के दफ्तर सूने रहे. दफ्तर तो खुले लेकिन कुर्सियां सूनी रहीं. जल भवन में भी इंजीनियर्स अपने दफ्तरों तक नहीं पहुंचे. इसी बीच पूरा विभाग निजीकरण के विरोध में छुट्टी पर है, लेकिन जलदाय मंत्री कन्हैयालाल चौधरी खामोश है. वहीं, जी मीडिया ने मंत्री कन्हैयालाल चौधरी को लिखकर सवाल दिए, ताकि उन्हें स्पष्ट रूप से सवाल समझ आ जाए, उनसे सवाल पूछे गए थे कि क्या अवकाश के बीच इंजीनियर्स को वार्ता के लिए बुलाएंगे..? क्या इंजीनियर्स के विरोध के बीच कॉरपोरेशन का फैसला वापस होगा? क्या सिर्फ ऋण लेने के लिए कॉरपोरेशन बनाया गया विभाग में? निगम बनने का कितना असर इंजीनियर्स-कर्मचारियों पर पडेगा ? लेकिन जनहित से जुड़े विभाग के मंत्री कन्हैयालाल चौधरी ने चुप्पी साधी हुई है.



29 को सीएम आवास का घेराव
सामूहिक अवकाश पर गए इंजीनियर्स और कर्मचारियों का कहना है कि 28 जुलाई तक यदि सरकार ने निजीकरण का फैसला वापस नहीं लिया, तो 29 को विधानसभा या सीएम आवास का घेराव किया जाएगा. ये भी चेतावनी दी है कि यदि अब भी सरकार नहीं मानी तो पेयजल सप्लाई पर भी फैसला लिया जा सकता है.



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