Rajasthan News: माली-सैनी,कुशवाहा आरक्षण के लिए ओबीसी आयोग ने सभी जिला कलक्टर्स को पत्र लिखकर 10 दिन में रिपोर्ट मांगी थी.लेकिन 26 दिन बाद 33 में से केवल एक कलक्टर ने रिपोर्ट भेजी है,वो भी तथ्यात्मक नहीं है.अब ओबीसी आयोग के सदस्य सचिव द्धारा फिर से सभी कलक्टर्स को रिपोर्ट के लिए लिखा जाएगा.


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जिलों के कलक्टर्स के लिए असमंजस्य की स्थिति बनी-
माली-सैनी,कुशवाहा आरक्षण पर राज्य के सभी जिलों के कलक्टर्स के लिए असमंजस्य की स्थिति बन गई है.ओबीसी आयोग अध्यक्ष भंवरू खान के निर्देश पर सदस्य सचिव रतन लाल अटल ने सभी जिलो के कलक्टर्स को 10 दिन में मांग पत्र का परीक्षण कर रिपोर्ट मांगी थी.लेकिन अब तक सिर्फ झुन्झुनू जिला कलेक्टर ने आयोग को रिपोर्ट भेजी है,वो रिपोर्ट भी पूरी तरह से तथ्यात्मक नहीं है. बाकी 32 जिलों से 26 दिन बाद भी रिपोर्ट नहीं आई है.


सूत्र बताते है कि जिला कलेक्टर्स असमंजस्य में है कि आखिर रिपोर्ट भेजे तो कहां से,क्योकि देश में जातिगत जनगणना आखिरी बार 1931 में हुई थी,उसके बाद कोई जातिगत जनगणना नहीं है.तब से अब तक जातियों की जनगणना में भी बदलाव भी हुए है.आयोग अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस भंवरू खान का कहना है कि हमने सभी जिला कलक्टर्स से रिपोर्ट मांगी थी.लेकिन अब तक केवल झुन्झुनू कलक्टर ने रिपोर्ट भेजी गई है.


ओबीसी आयोग की चिट्टी के बाद बनी बात
भरतपुर के नेशनल हाईवे-21 पर 12 दिन तक 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर जाम लगाया था.जिसके बाद आयोग अध्यक्ष से वार्ता के बाद में समाज ने आंदोलन स्थगित किया था.उसी दिन 1 मई को ओबीसी आयोग के सदस्य सचिव रतन लाल अटल ने प्रतिनिधि मंडल से वार्ता के बाद सभी जिला कलक्टर्स को खत लिखा था.इस पत्र में सभी कलक्टर्स से 10 दिन में रिपोर्ट मांगी थी.उस समय आयोग ने कहा था कि सभी जिलों से रिपोर्ट आने के बाद ओबीसी आयोग सर्वे की कार्रवाई करेगा.लेकिन अब तक आयोग बिना सर्वे के कैसे कार्रवाई करेगा,कैसे जातिगत रिपोर्ट तैयार होगी,हालांकि जातिगत सर्वे का मसला केंद्र सरकार के अधीन होता है.देश में आखिरी बार 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी.


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