Rajasthan News: जयपुर जिला परिषद में कनिष्ठ लिपिक भर्ती-2013 में बड़ा झोल! अंजली गुप्ता की जगह अंजली चंद्रा कर रहीं नौकरी
Rajasthan News: राजस्थान सरकारी नौकरी पाने के लिए लोग फर्जीवाड़े की हदें पार कर रहे हैं. जयपुर में जिला परिषद में ही तैनात सहायक प्रशासनिक अधिकारी संदीप वर्मा ने अपनी ही पत्नी अंजली चंद्रा को अंजली गुप्ता की आवेदन एप्लीकेशन आईडी पर फर्जीवाड़े से क्लर्क की नौकरी लगवा दी. जबकि उसकी पत्नी अंजली चंद्रा ने इस भर्ती के लिए आवेदन ही नहीं किया.
Rajasthan News: राजस्थान सरकारी नौकरी पाने के लिए लोग फर्जीवाड़े की हदें पार कर रहे हैं. कोई पेपर लीक करके नौकरी पाने का प्रयास करता है, तो कोई सॉल्वड पेपर के लिए 40 लाख रुपए खर्च कर रहा है. कोई फर्जी अभ्यर्थी बैठाकर या नकल करके नौकरी में लगने की कोशिश करता हैं. हाल ही में जयपुर जिला परिषद में एलडीसी भर्ती-2013 में फर्जी तरीके से नियुक्ति लेने का मामला सामने आने के बाद जांच कमेटी बना दी है.
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जयपुर में जिला परिषद में ही तैनात सहायक प्रशासनिक अधिकारी संदीप वर्मा ने अपनी ही पत्नी अंजली चंद्रा को अंजली गुप्ता की आवेदन एप्लीकेशन आईडी पर फर्जीवाड़े से क्लर्क की नौकरी लगवा दी. जबकि उसकी पत्नी अंजली चंद्रा ने इस भर्ती के लिए आवेदन ही नहीं किया. मुख्य कार्यकारी अधिकारी प्रतिभा वर्मा ने आदेश जारी करते हुए इस प्रकरण की जांच के लिए अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एसीईओ) ग्रामीण ताराचंद को अध्यक्ष बनाया है.
वहीं अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी (एसीईओ) ग्रामीण विकास प्रकोष्ठ बृजमोहन गुप्ता और अधिशाषी अभियंता ग्रामीण विकास प्रकोष्ठ ईश्वर सिंह को सदस्य बनाया है. आपको बता दें कि साल 2013 में निकाली कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती में पिछले साल कुछ लोगों को नियुक्ति फर्जीवाड़े से दी गई. इसमें एक मामला तो जिला परिषद में काम करने वाले सहायक प्रशासनिक अधिकारी संदीप वर्मा से जुड़ा है.
संदीप वर्मा ने अंजली गुप्ता की जगह अपनी पत्नी अंजली चंद्रा पुत्री खेमचंद चंद्रा निवासी बांदीकुई की नियुक्ति करवा दी. इस मामले की जब शिकायत हुई और दस्तावेज सामने आए तो मामले का खुलासा हुआ. वहीं अभ्यर्थी अंजली गुप्ता को इस प्रकरण की जानकारी मिलने के बाद पंचायतीराज सचिव, जिला परिषद सीईओ, एसीईओ को शिकायत दी है कि उसके आवेदन पत्र पर किसी दूसरी महिला को नौकरी पर लगाया गया है, जो गलत है.
पूरे प्रकरण को समझें तो जयपुर में जिला परिषद में ही तैनात सहायक प्रशासनिक अधिकारी संदीप वर्मा ने अपनी ही पत्नी अंजली चंद्रा को अंजली गुप्ता की आवेदन एप्लीकेशन आईडी पर फर्जीवाड़े से क्लर्क की नौकरी लगवा दी. जबकि उसकी पत्नी अंजली चंद्रा ने इस भर्ती के लिए ही नहीं आवेदन किया. दरअसल ये मामला कनिष्ठ लिपिक सीधी भर्ती-2013 का मामला है. जिसके आवेदन तो 2013 में ले लिए.
जयपुर में एक नियुक्ति ऐसी भी हुई, जिसमें आवेदन तो किसी दूसरी महिला अभ्यर्थी ने किया और नौकरी किसी दूसरी महिला को दे दी गई. वर्तमान में कार्मिक विभाग में तैनात अंजली गुप्ता पुत्री श्याम लाल गुप्ता जिला परिषद में कनिष्ठ लिपिक भर्ती-2013 की नौकरी के लिए फरवरी 2013 में आवेदन की थी. जिसकी एप्लीकेशन आईडी 04010015788 है, लेकिन जब नियुक्ति दी गई. उसमें एप्लीकेशन आईडी तो अंजली गुप्ता पुत्री श्याम लाल गुप्ता का ही है.
लेकिन 5 अक्टूबर 2023 में जब नियुक्ति दी गई तो अंजली गुप्ता की जगह अंजली चन्द्रा पुत्री खेमचन्द चंद्रा को दी. अंजली चंद्रा का पति संदीप वर्मा खुद वर्तमान में जिला परिषद जयपुर में सहायक प्रशासनिक अधिकारी के पद पर नियुक्त है. इस भर्ती में फर्जीवाड़ा करने का संदेह संदीप वर्मा के अलावा क्लर्क नतेश टाटीवाल, सहायक प्रशासनिक अधिकारी मंगल सिंह और भर्ती ऑफिशियल इंचार्ज रूपेन्द्र सिंह पर भी है.
जिला परिषद के रिकॉर्ड के अनुसार फर्जीवाडे़ से नौकरी कर रही अंजली चंद्रा ने 6 अक्टूबर 2023 को ज्वाइनिंग दी और उसके बाद उसने तुरंत अपनी प्रतिनियुक्ति जयपुर एसडीएम फर्स्ट यानि किशनपोल रिटर्निग अधिकारी के यहां करवा ली और चुनाव कार्य में ड्यूटी लगवा ली. जनवरी 2024 तक नौकरी करने के बाद अंजली ने फरवरी 2024 से जुलाई 2024 तक मातृत्व अवकाश लिया.
मातृत्व अवकाश पूरा करने के बाद अगले 6 माह के लिए उसने अवैतनिक अवकाश स्वीकृत करवा लिया और 31 जनवरी 2025 तक छुटि्टयों पर है. हाल ही में जब इस मामले की शिकायत हुई और अंजली चंद्रा की सर्विस बुक उच्चाधिकारियों ने मंगवाई तो वह नहीं मिली.
बहरहाल यह तो महज एक प्रकरण है. 11 साल पहले निकली कनिष्ठ लिपिक भर्ती-2013 में कितने ही अभ्यर्थियों ने आवेदन किया. इस भर्ती में कितने अभ्यर्थियों की नौकरी लगी कितने अभ्यर्थियों को नौकरी लगने की सूचना मिली या नहीं मिली. ये जांच का विषय है. जब अंजली गुप्ता को ही वेटिंग लिस्ट में आने की जानकारी नहीं मिली और उसकी जगह अंजलि चंद्रा एक साल पहले नियुक्ति लेकर नौकरी कर रही है, तो ऐसे अन्य प्रकरणों की जांच होना भी जरूरी है.