Rajasthan News: निलंबित मेयर मुनेश पर सरकार ने कसा शिकंजा,तीन दिन में मांगा स्पष्टीकरण
Rajasthan News: राजस्थान में जयपुर नगर निगम हैरिटेज से निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर की मुश्किलें कम होने की बजाय बढ़ती जा रही हैं.जिस सरकार ने दो साल दस माह पहले मुनेश गुर्जर को शहरी सरकार की सत्ता सौंपी,उसी मुनेश ने निलंबल को हाईकोर्ट में चुनौती देकर आंख दिखा दी है.
Rajasthan News: राजस्थान में जयपुर नगर निगम हैरिटेज से निलंबित मुनेश के जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर सरकार करवा सकती है ज्यूडिशरी जांच.अब सरकार ने भी मुनेश गुर्जर पर पूरी तरह से शिकंजा कस दिया हैं. राज्य सरकार ने तीन दिन पहले (11 अगस्त) मुनेश गुर्जर को दो अलग-अलग आरोप पत्र जारी करके उस पर अपना स्पष्टीकरण मांगा है.अगर मुनेश गुर्जर के जवाब से सरकार संतुष्ट नहीं होती है तो सरकार मामले की न्यायिक जांच करवा सकती है और उस आधार पर मुनेश को पद से बर्खास्त कर सकती हैं.
डेढ़ माह पहले नगर निगम हैरिटेज को भ्रष्टाचार का गढ़ नहीं बनने और अफसरों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने वाली निलंबित मेयर खुद ''भ्रष्टाचार'' के जाल में फंस गई हैं.अपने दफ्तर को भ्रष्टाचार का गढ नहीं बनाकर मुनेश ने अपने आवास को भ्रष्टाचार का अड्डा बना लिया.
मुनेश गुर्जर ने 29 जून को अपने बयान में कहा की वो भ्रष्टाचार के खिलाफ आखिरी सांस तक लडती रहेंगी.नगर निगम को भ्रष्टाचार का गढ नहीं बनने देंगी.तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा पर आरोप लगाते हुए कहा था उनके पास जो फाइलें हैं उनमें से भ्रष्टाचार की बूं आ रही हैं.
इससे अधीनस्थ कार्मिकों को शह मिलती है,लेकिन 4 अगस्त को मुनेश गुर्जर के आवास और नगर निगम हैरिटेज मुख्यालय पर हुआ उसे शहरवासियों ने नहीं पूरे प्रदेश ने देखा.धरने पर बैठकर भ्रष्टाचार के खिलाफ चीखने वाली निलंबित मेयर मुनेश गुर्जर के बयानों को एसीबी की कार्रवाई ने झुठला दिया और जुबां पर ताले लगा दिए.अब अपनी कुर्सी बचाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा रही हैं.उनके पति सुशील गुर्जर और उनके साथ दो दलाल सलाखों के पीछे सजा काट रहे हैं
दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से भी मुनेश गुर्जर को निलंबित करने के बाद शिकंजा ओर कसता जा रहा हैं.या यूं कहे की जयपुर नगर निगम हैरिटेज की मुनेश गुर्जर पर अब बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है.सरकार ने तीन दिन पहले (11 अगस्त) मुनेश को दो अलग-अलग आरोप पत्र जारी करके उस पर अपना स्पष्टीकरण मांगा है.जिसका जवाब उन्हें तीन दिन में सरकार को पेश करना है.
ये आरोप पत्र नगर पालिका की धारा 39 के तहत दिए है.अगर मुनेश गुर्जर के जवाब से सरकार संतुष्ट नहीं होती है सरकार उनके खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवा सकती है। अगर न्यायिक जांच में वो दोषी पाई जाती है तो उन्हें पद पद से सीधे बर्खास्त किया जा सकता है.
नगर निगम जयपुर और स्वायत्त शासन निदेशालय में निदेशक विधि रह चुके अशोक सिंह की माने तो सरकार को न्यायिक जांच करवाने और उसका निर्णय आने के बाद कार्यवाही का पूरा अधिकारी है. सरकार चाहे तो मेयर को पद से बर्खास्त करके 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर सकती है.
निगम हैरिटेज में जून में अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा से हुए विवाद के बाद सरकार ने एक हाईलेवल कमेटी बनाकर पूरे प्रकरण की जांच करवाई थी. इसी जांच में मुनेश दोषी पाई गई है.वहीं एसीबी के प्रकरण में भी प्रथम दृष्टया मुनेश की लिप्तता सामने आ रही है, जिसमें दोषी मानते हुए सरकार ने दोनों ही प्रकरणों में मुनेश के खिलाफ ये आरोप पत्र पेश करके उनसे स्पष्टीकरण मांगा है.
आपको बताते हैं क्या हैं आरोप पत्र
500 बिट्स मामले में चली टेंडर फाइल उपापन समिति ने दरों के नेगोसिएशन की अभिशंषा की थी.इस कारण फाइल तत्कालीन अतिरिक्त आयुक्त के पास लंबित पड़ी थी. लेकिन उस फाइल को आपने तलब किया और अकारण उसको अपने पास लंबित रखा. जिसके कारण फाइल पर नियमानुसार कार्यवाही नहीं की जा सकी और विवाद की स्थिति उत्पन्न हो गई.इस मामले में प्रथम दृष्टया आपकी भूमिका संदिग्ध है और ये पद के दुरूपयोग की श्रेणी में आता है.
आरोप- 2
इस मामले में आपने अतिरिक्त आयुक्त को आपके चैंबर में पहले तो लाया गया और फिर आपकी उपस्थिति में अन्य पार्षदों ने मिलकर उनके साथ कुत्ता,चोर जैसे अभद्र शब्दों से उन्हें आपमानित किया. इस मामले में न तो आपने किसी पार्षद को रोकने का प्रयास किया.इस प्रकार आपकी सहमति से सभी पार्षदों ने एकराय होकर अतिरिक्त आयुक्त के खिलाफ ऐसा अभद्र व्यवहार किया और लोकसेवक के कार्य व्यवधान डाला.
आरोप-3
एक आवेदक ने एसीबी में शिकायत दर्ज करवाई की उसने नगर निगम हैरिटेज में पट्टे के लिए फाइल लगाई. लेकिन पट्टा देने की एवज में आपके पति और आप द्वारा रिश्वत मांगी गई. रिश्वत नहीं देने पर आपने उसकी फाइल को बिना कारण अपने घर पर रखे रखा और समय पर पट्टा जारी नहीं होने दिया. इसके चलते आवेदक को पट्टे के लिए रिश्वत देने पर मजबूर होना पड़ा. ये कृत्य पद के दुरूपयोग की श्रेणी में आता है.
आरोप-4
आपके द्वारा कई पट्टों की फाइलें अपने घर पर लाकर रखी गई और बिना कारण उन्हें लंबित रखा. लंबित रखे जाने के दौरान आपके पति और दलालों ने आवेदकों से लाखों रुपए की रिश्वत मांगी और रिश्वत के लिए अलग-अलग तरीके से दबाव बनाए गए. इसी क्रम में एसीबी ने 4 अगस्त को आपके निजी निवास पर ट्रेप की कार्यवाही करते हुए आपके पति सुशील गुर्जर और प्राइवेट आदमी अनिल दुबे को 2 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा. इस पूरे घटनाक्रम में प्रथम दृष्टया आपकी संलिप्तता प्रतीत होती है.
बहरहाल, सरकार ने लग-अलग प्रकरणों में मुनेश गुर्जर को दोषी मानते हुए उन पर पूरी शिकंजा कस दिया है. अगर मुनेश गुर्जर को निलंबन के मामले में हाईकोर्ट से राहत भी मिलती है तो सरकार के पास दूसरे मामले में मुनेश को निलंबित करने विकल्प है. अब इन आरोप पत्रों से चर्चा है कि सरकार मुनेश गुर्जर को इस सीट दोबारा बैठने नहीं देगी.
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