Rajasthan News : जोधपुर के ओसियां से विधायक दिव्या मदेरणा (Osian MLA Divya Maderna) और खाद्य मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास लगातार अफसरों की कार्यशैली से लेकर तमाम मुद्दों पर तल्ख है. दिव्या मदेरणा जोधपुर ( Jodhpur ) के श्रीराम अस्पताल में हुए मामले के बाद से तल्ख है तो वहीं अब प्रतापसिंह खाचरियाचास ने राजस्थान में ब्यूरोक्रेसी हावी होने के मसले पर नाराजगी जताई. खाचरियावास ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Ashok gehlot ) के प्रमुख सचिव कुलदीप रांका और खाद्य विभाग से ट्रांसफर किए गए सचिव को निशाने पर लिया. ऐसे में सवाल ये है कि जिस तरह से कांग्रेस सरकार के ही विधायक और मंत्री खुद पब्लिक प्लेटफॉर्म पर ये मान रहे है कि अफसर सही काम नहीं कर रहे है. सिस्टम नियंत्रण में नहीं है. तो क्या ऐसे बयानों से राजस्थान की कांग्रेस सरकार की छवी को ही नुकसान नहीं होता है क्या ?


जोधपुर प्रशासन के खिलाफ दिव्या मदेरणा


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जोधपुर के श्रीराम अस्पताल में चिरंजीवी योजना से गरीब मरीज को वंचित रखने के मुद्दे पर दिव्या मदेरणा धरने पर बैठ गई थी. उसके बाद वो अस्पताल प्रशासन से लेकर जोधपुर कलेक्टर और जिले के चिकित्सा अधिकारियों को निशाने पर लेती रही. पिछले करीब 2 महीनों में दिव्या मदेरणा अब तक दर्जनों पर सोशल मीडिया और मीडिया पर जोधपुर में चिकित्सा व्यवस्थाओं को लेकर कलेक्टर समेत आला अधिकारियों से टकरा चुकी है.



ओसियां विधायक दिव्या मदेरणा ने अस्पताल पर आरोप लगाते हुए कहा था कि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना (Chiranjeevi Swasthya Bima Yojana) का गरीब मरीज को लाभ मिलना चाहिए था लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने मरीज से पहले सवा लाख रुपए ले लिए और उसके बाद ट्रीटमेंट के नाम 7.5 लाख रुपे का बिल दे दिया. बिना पैसे दिए मरीज को घर जाने से भी रोक लिया था. जिसके बाद दिव्या मदेरणा अस्पताल में ही धरने पर बैठ गई थी. इस मुद्दे पर कलेक्टर के साथ भी उनका लंबा टकराव चला था.


प्रतापसिंह खाचरियावास का अफसरों पर निशाना


दिव्या मदेरणा के साथ अब मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी अफसरों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है. खाचरियावास ने कहा कि जिस तरह से राजस्थान में अफसर काम कर रहे है ये अच्छी बात नहीं है. ये ठीक तरीका नहीं है. एक महीने पहले हमारा यानि राजस्थान के हिस्से का 46 हजार टन गेहूं लैप्स हो गया लेकिन अफसरों ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. जिनकी गलती है उन अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए.


सुनिए प्रतापसिंह खाचरियावास ने क्या कहा-



खाचिरावास ने कहा कि इन अफसरों को सुधारने के लिए एसीआर लिखने का पावर मंत्रियों को देना चाहिए. अलग-अलग विभागों के मंत्री ही एसीआर यानि एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट लिखेंगे तभी ये अफसर सुधरेंगे. दूसरे राज्यों में मंत्री ही एसीआर लिखते है. अब राजस्थान में भी ये पावर मंत्रियों को मिलना चाहिए. 


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एक तरफ सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) ने अशोक गहलोत ( Ashok gehlot ) के साथ साथ शांति धारीवाल, धर्मेंद्र राठौड़ और महेश जोशी पर निशाना साधा है. तो दूसरी तरफ दिव्या मदेरणा और प्रतापसिंह खाचरियावास मीडिया और सोशल मीडिया पर प्रशासन की पोल खोल रहे है. जाहिर है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार है तो हावी होती अफसरशाही से लेकर भ्रष्टाचार समेत तमाम मुद्दों के लिए अप्रत्यक्ष रूप से राज्य सरकार ही जिम्मेदार होती है. ऐसे में सवाल ये है कि इन विधायक मंत्रियों के इस तरह के बयानों से किसका नुकसान हो रहा है.


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