Right to health Bill पर बोले राजेंद्र राठोड़- मरीजों का जीवन संकट में डॉक्टरों से सरकार करें बात
Rajendra Rathore on Right to health bill: उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने बीजेपी कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आज राजस्थान में डॉक्टरों की हडताल के कारण आईसीयू में भर्ती मरीजों के जीवन पर संकट है.राइट टू हेल्थ बिल को लेकर प्रवर समित से लेकर विधानसभा तक बात कही है.
Rajendra Rathore on Right to health bill: उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि प्रदेश में 22 हजार ICU बेड हैं, जिनमें हर रोज 16 से 22 हजार मरीज भर्ती रहते हैं. डाॅक्टर्स की हड़ताल के कारण इन मरीजों का जीवन संकट में है.यह लोगों के जीवन से जुड़ा मामला है, हम राजनीति नहीं करना चाहते हैं.सरकार को तुरंत हड़ताली डॉक्टरों से वार्ता करनी चाहिए.जब तक समस्या का समाधान नहीं हो तब तक बिल को रोकें तथा समग्र रूप से चर्चा कर ही इसे लागू करें.
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उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने बीजेपी कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि आज राजस्थान में डॉक्टरों की हडताल के कारण आईसीयू में भर्ती मरीजों के जीवन पर संकट है.राइट टू हेल्थ बिल को लेकर प्रवर समित से लेकर विधानसभा तक बात कही है, बीजेपी सीएम से आग्रह कर रही है कि डॉक्टरों से बात करें.डॉक्टरों का आंदोलन राष्ट्रव्यापी हो रहा है, ऐसे में जनहित में इस समस्या को देखें.राठौड़ ने दावा किया कि चिरंजीवी योजना एक सप्ताह से ठप पड़ी है.इस योजना में साठ प्रतिशत प्राइवेट हॉस्पिटल हैं, सरकार वार्ता करें विज्ञापन से नहीं .मुख्य सचिव की कमेटी सहमति के अलावा इतर प्रावधान किए बिल को नए सिरे से जनमत जानने के लिए प्रचारत करें.बिल पर लोगों की राय ली जाए. सरकार हठधर्मिता के साथ लोगों को अधिकार देने का काम कर रही है.ऐसे दुर्दिन राजस्थान में आज तक नहीं आए.अधिकार देने के बाद डॉक्टरों को काम करने में परेशानी आएगी.
हम नहीं कर पाए, लेकिन जबरन नहीं थोपे
राठौड़ ने कहा कि डॉक्टर्स का रजिस्ट्रेशन वर्ष 2010 के क्लीनिकल स्टेबिलश एक्ट में होना चाहिए.हमारी सरकार में मैं भी नहीं कर पाया.यह सरकार भी नहीं कर रही है.कोरोना में 13 डॉक्टर मौत के मुंह में समाए.इस प्रोफेशन में सभी खराब नहीं है कुछ डॉक्टर सेवा की जगह व्यवसाय कर रहे हैं, लेकिन अच्छे डॉक्टर भी हैं.राजस्थान मेडिकल हब बन रहा है, टयूरिस्ट आ गए, नामचीन डॉक्टर जटिल ऑपरेशन करने लगे हैं.ऐसे में यह बिल अच्छे डॉक्टर्स को विमुख कर देगा.
सरकार के चिकित्सा क्षेत्र में पर्याप्त संसाधन नहीं है.प्रदेश में 80 ट्रोमा सेंटर है, लेकिन वहां इलाज नहीं मिल रहा है.मेडिकल कॉलेज के निरीक्षण में खानापूर्ति की जा रही है.ऐसे में मानव जीवन की रक्षा ही नहीं होगी तो लोगों को अधिकार कैसे दे पाएंगे.समस्या का समाधान ढूंढना चाहिए. बीजेपी इस मामले में राजनीति नहीं करना चाहती है.सरकार को भी प्राइवेट अस्पतालों के कंधे पर बंदूक नहीं रखनी चाहिए.
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