शहरी विकास के नाम रहे ये चार साल, जयपुर, जोधपुर, कोटा जैसा खूबसूरत बनाने की इन शहरों के सामने चुनौती
Rajasthan News: सरकार पांचवें साल में प्रवेश कर चुकी हैं. आने वाला साल चुनावी साल है और इन चार सालों में बड़े शहरों में तो विकास चार साल में प्रदेश का शहरी विकास पटरी पर रहा. लेकिन जयपुर, जोधपुर, कोटा जैसे बड़े शहरों को छोड़कर छोटे शहरों में विकास की योजनाओं पर कुछ ज्यादा अमल नहीं हो सका.
Rajasthan News: स्मार्ट सिटी के तहत बड़े शहरों में काम हुए. शहरी क्षेत्रों में रहने वाले बाशिंदों को अपने आशियाने का पट्टा देने की लिए इस बार भी प्रशासन शहरों के संग अभियान शुरू हुआ. लेकिन दस लाख पट्टे का लक्ष्य पूरा नहीं हो सका. शहरों में आधारभूत सुविधाओं का विस्तार करने पर 900 करोड़ से अधिक खर्च किया गया. लेकिन जर्जर सड़कों से राहत का इंतजार बाकी है. जयपुर में आगरा रोड से दिल्ली रोड को जोड़ने वाली रिंग रोड पर काम शुरू नहीं हो सका.
चार साल से गहलोत सरकार में प्रदेश में विकास को पटरी पर लाने की जिम्मेदारी संभाल रहे यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने बडे शहरों को चमकाने का काम किया. हालांकि धारीवाल के गृह जिले कोटा से ज्यादा काम दूसरे शहरों में नहीं हुआ. इंदिरा गांधी शहरी गांरटी योजना के तहत बेरोजगारों को रोजगार देने से लेकर इंदिरा रसोई में आठ रूपए में भोजन उपलब्ध कराने का काम निकाय कर रहे हैं. इतना ही नहीं प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत पट्टे देने का काम भी किया जा रहा हैं.
हालांकि टारगेट से अभी दूर हैं. चार सालों में स्थानीय निकायों की संख्या बढ़ाई. आठ रुपए में भोजन और शहरों में रोजगार की गारंटी दी. लेकिन निकायों में राजस्व संकट नहीं मिटा.आज भी निकाय आर्थिक तंगी से झुझ रहे हैं. जयपुर, जोधपुर और कोटा में दो-दो नगर निगम बना दिए. इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना में ढाई माह में 3 लाख 33 हजार 270 परिवारों के जॉब कार्ड जारी किए गए.
इनमें से 1 लाख 93 हजार 71 परिवारों के 3 लाख 3 हजार 674 व्यक्तियों ने काम की मांग करने पर संबंधित नगर निकायों में उन्हें काम दिया गया. जिन लोगों ने काम किया उनके खातों में 13 करोड 66 लाख रूपए का ऑनलाइन भुगतान सीधे ही श्रमिकों के बैंक खातों में हो गया है. कामगारों को प्रति 15 दिन में भुगतान की प्रक्रिया निरंतर जारी है. हालांकि घर के पास रोजगार नहीं मिलने के कारण कम लोग ही रोजगार कर पा रहे हैं.
सबसे ज्यादा दिक्कतें बडे शहरों में आ रही हैं. योजना के तहत 657.33 करोड़ लागत के शहरी क्षेत्रों में होने वाले 9593 कार्यों को चिन्हित किया गया. इसी तरह कोविड काल में लोगों को बहुत सी परेशानियां हुई, रोज कमाने, रोज खाने वालों के सामने तो बहुत बडा संकट खडा हो गया था तो इंदिरा रसोई योजना का संचालन हुआ. जिसमें 8 रुपए में बैठाकर भोजन करवाया जा रहा हैं. प्रतिवर्ष 250 करोड रुपये के बजट प्रावधान से 20 अगस्त, 2020 को 213 नगरीय निकायों में 358 स्थाई रसोइयों के साथ इस योजना को लागू किया गया.
अब इन रसोइयों की संख्या बढकर 1000 हो गई है जिनको 500 से अधिक स्थानीय सेवाभावी संस्थाओं व अलाभकारी संस्थाओं के माध्यम से संचालित की जा रही है. ऐसी जगह जहां ज्यादा से ज्यादा लोगों की आवाजाही हो, जहां दिहाडी मजदूर जमा होते हों या जहां जरूरतमंद लोग जमा होते हों, चिन्हित किए गए और वहां इंदिरा रसोई शुरू की गई. अब तक 8 करोड 23 लाख लोग इसका स्वाद ले चुके हैं. रसोई सुबह 8.30 बजे तैयार हो जाती है और 2 बजे तक भोजन परोसा जाता है.
शाम का भोजन 5 बजे शुरू हो जाता है जो 8 बजे तक उपलब्ध रहता है. दूसरी तरफ देखे तो जयपुर सहित कई शहरों में सफाई व्यवस्था को दुरुस्त करना, आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए बकाया यूडी टैक्स की वसूली करना, अतिक्रमणों, हैरिटेज संरक्षण, बिल्डिंग बायलॉज की पालना करवाना, आठ शहरों पेयजल सप्लाई व्यवस्था को बहाल करना, निकायों में करप्शन की आए दिन शिकायतों पर रोक लगाना, सफाईकर्मचारियों की भर्ती आदि चुनौतियों से कम नहीं हैं.
शहरों की पुरानी आबादी में 501 रुपए में फ्री होल्ड पट्टा देना, आधा दर्जन पुरानी पॉलिसियों में बदलाव कर मध्यम वर्ग को राहत दी और बड़े रसूखदारों पर सख्ती की. बड़े शहरों में वर्टिकल डवलपमेंट को बढ़ावा देते हुए मॉडल बिल्डिंग बायलॉज बनाए, छोटे भूखण्डों पर निर्माण की ऊंचाई कम की, 60 मीटर तक ऊंची इमारतों में आग बुझाने के लिए स्नारगल लेडर खरीदी.
लेकिन जोधपुर और अजमेर विकास प्राधिकरण और यूआईटी से लक्ष्य के मुताबिक दस लाख पट्टे बांटना, पुराने परकोटा क्षेत्र में विवादों के चलते धारा- 69-ए के तहत पट्टे देना, आरयूआईडीपी के चौथे फेज में सीवरेज व पेयजल परियोजनाओं को करना चुनौतीपूर्ण रहा.
राजस्थान आवासन मंडल इन चार सालों में ऊंचाई पर रहा.आवासन मण्डल ने शहरों में करीब 12 हजार से अधिक पुराने मकानों को बेचा, नई आवासीय योजनाएं लॉन्च की. विधायकों के लिए विधानसभा के पास मल्टीस्टोरी बिल्डिंग का निर्माण, कोचिंग हब, कॉन्सीट्यूशनल क्लब का निर्माण, जयपुर में सिटी पार्क, सिल्वर पार्क, चौपाटी, शहरों की कच्ची बस्तियों की पुनर्वास के लिए आवास निर्माण किया.
सीएम जन आवास योजना के तहत ईडब्ल्यूएस ब एलआईजी आवासों का निर्माण हुआ लेकिन पुरानी पुनर्वास योजना के मकानों कोनिस्तारण नहीं हो सका. आवासन मंडल के सामने बीएसयूपी के प्रोजेक्टों को पूरा करना, संजय नगर भट्टा बस्ती के अधूरे 2200 से अधिक मकानों को पूरा करवाना, 150 कच्ची बस्तियों के पुनर्वास के लिए आवासों का निर्माण करने जैसी चुनौतियां हैं.
हालांकि इन सब के बीच कोटा में विकास कार्यो के कोई कसर नहीं छोडी. कोटा शहर में सुचारू यातायात के लिए महाराणा प्रताप चौराहा, कुन्हाड़ी का विकास कार्य एवं बोरखेड़ा आरओबी से पेट्रोलपंप बारां रोड तक 140 करोड़ से एलीवेटेड रोड, 700 करोड़ के 21 विकास कार्यों की एक साथ सौगात दी.
जिसमें सिटी मॉल फ्लाई ओवर, इंदिरा गांधी फ्लाई ओवर, अनंतपुरा फ्लाईओवर, अण्टाघर चौराहे पर अण्डरपास, एरोड्रम चौराहे पर अण्डरपास, गोबरिया बावड़ी अण्डरपास, गुमानपुरा पार्किंग, अदालत व घोडे वाले बाबा चौराहेपर सौन्दर्यकरण, विवेकानंद चौराहा का सौन्दर्यकरण, सुभाष लाइब्रेरी, राजकीय महाविद्यालय भवन का नवीनीकरण आदि.
कोटा में सिटी पार्क, देवनारायाण योजना, चंबल रिवर फ्रंट, निर्माणाधीन फ्लाईओवर का निर्माण, एमबीएस अस्पताल में डीलेक्स कॉटेज वार्ड, महाराव भीमसिंह अस्पताल में 5 मंजिला डीलक्स कोटेज वार्ड का निर्माण पूरा होना है.
सुगम यातायात की दृष्टि से और कार्य हाथ में लिए जाएंगे. कोटा ने पूरे देश में मॉडल स्थापित किया है. आने वाले समय में कोटा में पर्यटन एवं शहरी विकास के नए कीर्तिमान स्थापित साथ ही शहरी विकास के निर्माणाधीन प्रोजेक्ट को पूरा करने और अभियान के टारगेट के मुताबिक पट्टे जारी किए जाएंगे.
जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से काम
250 करोड की लागत से भारत जोडो सेतु मार्ग (हवासडक एलीवेटेड रोड)
24 मंजिला आईपीडी टॉवर-हदय रोग संस्थान का निर्माण,हैलीपेड जैसी सुविधाएं100 करोड की लागत से महात्मा गांधी दर्शन म्यूजियम और महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ गर्वेंनेंस
झोटवाडा आरओबी का काम
इंडिया इंटरनेशनल सेंटर की तर्ज पर 130 करोड की लागत से राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर
बहरहाल, शहर के सम्पूर्ण विकास के लिए यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने राज्य सरकार के इसी कार्यकाल में हर क्षेत्र में सुनियोजित विकास की योजनाएं बनाकर पूरी करने के निर्देश दिए. शहरों की तस्वीर बदल रही हैं. शहर का नया हैरिटेज लुक लोगों को लुभा रहा है. वहीं, फ्लाईओवर और अंडरपास निर्माण से यातायात सुगम हो गया है. चौराहों पर जहां पहले ट्रैफिक लाइट के चलते लम्बा इंतजार करना पड़ता था, अब गाड़ियां स्पीड से दौडने लगेगी.