Mahesh Joshi | Rajasthan Politics : राजस्थान के शांत पड़े धोरों के बीच आए सियासी बवंडर के केंद्र बिंदु में इन दिनों सियासत के जादूगर अशोक गहलोत के तीन सबसे मजबूत सिपाही खड़े दिखाई दे रहे हैं. उनमें से सबसे ज्यादा चर्चाएं शांत और बेदाग छवि वाले मंत्री और मुख्य सचेतक महेश जोशी की है. सियासी बगावत के पार्ट -2 में महेश जोशी मजबूती के साथ गहलोत खेमे का मोर्चा संभाला हुआ हैं. सियासी पंडितों का कहना है कि महेश जोशी सोनिया गांधी से भी ज्यादा अशोक गहलोत को आलाकमान मानते हैं.


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दरअसल महेश जोशी पर आरोप है कि पर्यवेक्षकों के कहने पर महेश जोशी ने विधायक दल की बैठक के लिए पहले विधायकों को फोन किया था और उसके बाद में शांति धारीवाल के घर सामानांतर बैठक के लिए बुला लिया. हालांकि सियासी रायता फैलने के बाद  महेश जोशी ने कहा कि हमारा मकसद था कि विधायक दल की बैठक में तरह-तरह की बातें न उठे और इसलिए हमने आपस में बात करने का फैसला लिया था. जोशी अब भी अड़े हुए हैं कि जिन्होंने कांग्रेस को कमज़ोर करने की और सरकार गिराने की साजिश में शामिल रहे उनमें से किसी को भी मुख्यमंत्री ना बनाया जाए. 


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कौन है महेश जोशी?


14 सितंबर 1954 को महेश जोशी का जन्म हुआ था. सियासत की पहली सीढ़ी कहलाने वाले छात्रसंघ चुनाव से जोशी ने राजनीति में कदम रखा था. 1998 में कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़कर जोशी ने पहली बार विधायक बने थे. इसके बाद 2009 में जोशी ने जयपुर लोक सभा सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की और 2014 तक सांसद रहे. 


इसके बाद साल 2018 में महेश जोशी को एक बार फिर हवाममहल से विधानसभा का टिकट मिला और जीत हासिल कर पहले मुख्य सचेतक और फिर मंत्री बने. अपने इस सियासी कार्यकाल के दौरान जोशी ने कांग्रेस सेवादल से लेकर प्रदेश संगठन में कई जिम्मेदारी संभाली और इसके साथ ही वो प्रवक्ता भी रह चुके हैं. 


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