जयपुर न्यूज:सनातन धर्म को लेकर उदयनिधि स्टालिन के बयान के बाद से इस मुद्दे पर लगातार बयानबाजी और राजनीति जारी है. बीजेपी इस मुद्दे को सिर्फ डीएमके नेताओं तक सीमित नहीं रखते हुए विपक्ष के I.N.D.I.A. गठबंधन का ऐजेन्डा बता रही है. ऐसे में चुनाव में जा रही कांग्रेस पार्टी राजस्थान में बड़े एहतियात के साथ कदम उठा रही है. इसी के चलते पार्टी ने अपनी चुनाव प्रचार सामग्री और अभियान में भी स्थानीय देवी-देवताओं को जगह देना तय किया है.


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चुनाव की तैयारियां जोरों पर 


राजस्थान में चुनाव की तैयारियां जोरों पर है. सभी पार्टियां अपनी-अपनी तैयारी कर रही है. बीजेपी की परिवर्तन यात्रा अपना आधे से ज्यादा सफर तय कर चुकी है. उधर दूसरी तरफ कांग्रेस भी अपनी रणनीति तैयार कर रही है.  इसी के तहत कांग्रेस ने भावनात्मक मुद्दों पर तैयारी की है. पब्लिसिटी कमेटी ने तय किया है कि कांग्रेस की प्रचार सामग्री और प्रचार अभियान में स्थानीय देवी-देवताओं को जगह दी जाएगी.



प्रचार अभियान में स्थानीय देवी-देवताओं को जगह


कमेटी के चेयरमैन और मंत्री मुरारीलाल मीणा कहते हैं कि वे अपनी कमेटी का जिला स्तर पर भी गठन करेंगे और लोकल टीम से स्थानीय स्तर पर मुद्दों के साथ ही भावनात्मक लगाव के बारे में जानकारी ली जाएगी. मीणा कहते हैं कि क्षेत्र के मुद्दों से लोगों को सीधा जुड़ाव होता है.इसलिए पार्टी उनका ध्यान रखेगी.


मुरारीलाल मीणा कहते हैं कि हर जगह का अलग नजरिया और अप्रोच होती है. वे कहते हैं कि जैसे भरतपुर में गोरधन जी महाराज की जय बोली जाती है तो अलवर में भृतहरि महाराज की जय बोली जाती है. ऐसे मुद्दों को पार्टी के बड़े नेताओं को भी दिया जाएगा. साथ ही में उन्हें पार्टी के पोस्टर-बैनर में भी जगह मिलेगी.


पिछले दिनों टोंक के निवाई में सभा को सम्बोधित करते हुए कांग्रेस नेत्री प्रियंका गांधी ने भी स्थानीय देवी-देवताओं का जयकारा लगवाकर लोगों से कनेक्ट होने की कोशिश की थी. क्या कांग्रेस इसके बाद ही इस पर ध्यान दे रही है? इस सवाल के जवाब में मुरारी कांग्रेस को चिर आस्थावान बताते हुए कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी हमेशा सभी धर्मों और जातियों को साथ लेकर चलती है.लेकिन विपक्षी पार्टियों ने पिछले दिनों में कांग्रेस के खिलाफ इस पर माहौल बनाया है. मुरारी कहते हैं कि कांग्रेस तो शुरू से ही इस पर ध्यान देती थी.


भले ही कांग्रेस की पब्लिसिटी कमेटी के अध्यक्ष स्थानीय देवी-देवताओं के पहलू पर ध्यान देने को कांग्रेस की पुरानी परिपाटी बता रहे हैं,लेकिन मौजूदा माहौल में तो ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस सनातन पर हुए विवाद को गैरजरूरी मानते हुए खुद की छवि पर किसी एक धर्म का पैरोकार होने का ठप्पा नहीं चाहती. शायद यही कारण है कि चुनाव में कांग्रेस हरसंभव कोशिश करेगी कि धार्मिक मुद्दे पर किसी तरह के विवाद से उसे नहीं जोड़ा जाए.


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