Rajasthan Politics: प्रदेश में सरकार के 9 नए जिले और तीन संभाग खत्म करने पर कांग्रेस ने आंदोलन की शुरुआत कर दी है. कांग्रेस की सीकर में हुई बैठक पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रदेश प्रभारी डॉ राधामोहन दास अग्रवाल ने कहा कि कांग्रेस के पास कुछ बचा नहीं है. कांग्रेस लोकतांत्रिक जमीन खो चुकी है, उप चुनाव में जनता ने पूरी तरह नकार दिया. उपचुनाव किसी एक क्षेत्र का नहीं था, अलवर की रामगढ़ से लेकर चौरासी तक का चुनाव था. कांग्रेस के पास चार सीट थी, मुश्किल से एक सीट जीते, वो भी 2300 महज वोटों से जीते. जिन सीटों को कांग्रेस 50 हजार से जीतती थी उन्हें 2300 से जीते. हमने कांग्रेस को रामगढ़ में, झुंझुनू और देवली उनियारा में हराया। कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को खींवसर में हराया. चौरासी में पिछले विधानसभा चुनाव में 77000 अंतर था 22000 रह गया. इससे साफ है कि जनता हमारे साथ है, कांग्रेस को जनता ने छोड़ दिया है. कांग्रेस को जनता ने 2023 में छोड़ दिया था, उपचुनाव में कपाल क्रिया कर दिया.


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कांग्रेस मुद्दा विहीन, कागजी जिले बना दिए थे - अग्रवाल
अग्रवाल ने कहा कांग्रेस मुद्दा विहीन हो गई है, कांग्रेस नेता परेशान है कि जनता के बीच कैसे जाएं, ऐसे में वह उन मुद्दों को खोज रही है और जो मुद्दे ही नहीं है उनको तलाश रही है. जिन जिलों और संभागों को बदला है, उसका हमें शौक नहीं है लेकिन जब भी जिलों का निर्माण करते हैं तो मुख्यमंत्री की अपेक्षा होती है प्रशासनिक क्षमता , प्रशासनिक अव्यय, जनहित, नागरिकों की सहूलियत और परेशानी देखतें. पूर्व सरकार ने राजनीतिक लाभ लेने के लिए चुनाव से ठीक पहले जिलों का निर्माण कर दिया. उप चुनाव में दौरे के दौरान देखा कि बहुत सारे जिलों में कार्यालय बना तो दूर अधिकारी भी पोस्टेड नहीं थे, यह कागजी जिले थे. मुख्यमंत्री चाहते तो शपथ लेने के दूसरे दिन हटा सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं किया. कमेटी बनाई कमेटी के मापदंड तय किया इन मापदंडों पर कौन से जिले रह सकते हैं कौन से जिले है खत्म हो सकते हैं सकते हैं, कमेटी ने इसका निष्पक्ष निर्णय लिया. सीएम भजनलाल ने कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकृत किया. कांग्रेस नेता आंदोलन कर रहे हैं, जनता इस बात को जानती है.



हमारे नेताओं से करेंगे बात - अग्रवाल
बीजेपी में भी जिलों को लेकर असंतोष पर डॉ राधा मोहन दास ने कहा कि ऐसा मामला मेरी जानकारी में नहीं है, लेकिन आप विश्वास करूंगा कि आपकी सूचनाओं को ग्रहण करूंगा मुझे लगता है पीछे की साइकोलॉजी समझनी चाहिए. जिन जिलों को हटाया गया है राजनीतिक कार्यकर्ता हैं उनके साथ कुछ ऐसी परिस्थितियों पैदा की जा रही होगी. नीतिगत रूप से या रणनीति के रूप से कुछ स्टैंड दे रहे होंगे, बहुत परेशान होने की जरूरत नहीं है, उन सब लोगों से मिल जाएगा, उनकी बातें सुनी जाएगी, संगठन के लोग हैं संगठन के निर्णय के साथ चलते हैं. 



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