Rajasthan Politics: राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के राजस्थान से निकले के बाद भी कांग्रेस पार्टी में सब शांति है. यात्रा से पहले पार्टी के आलाकमान की तरफ से थामे गए सियासी बवंडर को दिल्ली तक महसूस किया जा चुका था. ऐसा लग रहा था कि यात्रा खत्म होते ही फिर से कुछ होगा. 


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खासतौर पर वो विधायक जो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ और सचिन पायलट के पक्ष में बोलते दिखे थे. वो सब चुप है. हम बात कर रहे हैं, हरीश चौधरी, दिव्या मदेरणा, राजेंद्र सिंह गुढ़ा, बलजीत यादव और राजेंद्र यादव की. ये वो लोग हैं जो कभी गहलोत सरकार के साथ थे, लेकिन पिछले साल नाराजगी जताकर अपनी मौजूदगी का एहसास करा चुके हैं. 


हरीश चौधरी
बायतु विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी ने ओबीसी विसंगती का मुद्दा उठा कर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ हल्ला बोल दिया था. जिसका असर भी दिखा था और सरकार को अपना बचाव भी करना पड़ा था. हरीश चौधरी गहलोत सरकार में मंत्री पद संभाल चुके थे. कोई नहीं जानता कि आखिर क्यों कैबिनेट मंत्री रहे हरीश चौधरी, सीएम गहलोत के खिलाफ हो गये.


दिव्या मदेरणा
जोधपुर की ओसियां सीट से कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने 25 सितबंर की घटना के बाद अशोक गहलोत की खुलकर खिलाफत की. हालांकि इससे पहले भी कई बार दिव्या मदेरणा किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर पार्टी को ही विधानसभा में तीखे सवाल को घेर चुकी हैं. लेकिन अभी वो भी चुप हैं.


राजेंद्र सिंह गुढ़ा
राजेंद्र सिंह गुढ़ा ने अशोक गहलोत की खूब खिलाफत की. नकल गिरोह को लेकर सरकार को कटघरे में खड़ा किया. सचिन पायलट की तरफदारी की. लेकिन यात्रा के बाद से वो भी खामोश हैं.


राजेंद्र यादव
गहलोत सरकार के खास माने जाने वाले राजेंद्र यादव ने कोटपूतली को जिला नहीं बनाने पर मंत्री और विधायक पद से इस्तीफा देने की बात कही और गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया. राजेंद्र यादव ने तो गहलोत सरकार की ईंट से ईंट बजाने तक की धमकी एक बारगी देकर सबको सकते में डाल दिया था.


आपको बता दें कि कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश कह चुके हैं कि राजस्थान में कांग्रेस संगठन चुनाव लड़ेगा. संगठन जीतेगा, कांग्रेस पार्टी जीतेगी. मुख्यमंत्री कौन बनेगा ये तो बाद में देखा जाएगा. कांग्रेस पार्टी को जिताने के लिए सभी नेता, सभी कार्यकर्ता एकजुट होकर लगे हुए हैं.


जयराम रमेश ने ये भी कहा कि  जो कोई हल कांग्रेस अध्यक्ष खड़ेगे जी, प्रभारी रंधावा जी जो खुद राजस्थान के हैं, इनके पूर्वज बूंदी से आते थे, अलग अलग वरिष्ठ नेता हैं. मैंने पहले भी कहा है कि संगठन सर्वोपरी है. व्यक्ति आते हैं,व्यक्ति जाते हैं. व्यक्ति पद ग्रहण करते हैं, व्यक्ति पद से हटते हैं लेकिन संगठन बरकरार रहता है. संगठन को मजूबत करना हमेशा हमारे लिए प्राथमिकता में है.



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