Rajasthan Politics : क्या सीएम अशोक गहलोत का आखिरी बजट होगा गेम चेंजर, खत्म होगा गहलोत पायलट विवाद?
Rajasthan Politics : राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस सरकार के कार्यकाल का आखिरी बजट पेश करने वाले हैं. 23 जनवरी को बजट सत्र के दौरान सीएम गहलोत कई बड़ी घोषणाएं करने वाले हैं.
Rajasthan Politics : पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस के अंदरखाने और राजस्थान की राजनीति में चल रही गहमागहमी के बीच ये बजट सत्र खास होगा. जो राजस्थान की राजनीति को पलट कर रख सकता है.
राजस्थान में 1993 के बाद से एक दस्तूर चला आ रहा है और वो ये है कि कभी भी सरकार रिपीट नहीं हुई. ना तो कांग्रेस और न ही बीजेपी अपनी
सरकार को रिपीट करा पायी.
लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कहना है कि इस बार ये दस्तूर टूट जाएगा और कांग्रेस की सरकार ही रिपीट होगी. अशोक गहलोत के इस
आत्मविश्वास के पीछे क्या वजह है. ये तो पता नहीं. लेकिन इतना तय है कि अपने इस बार के कार्यकाल के आखिरी बजट में सीएम गहलोत कोई
कोर कसर नहीं छोड़ने वाले हैं.
दिल्ली तक पहुंच चुकी राजस्थान की राजनीति की आंच के बाद से प्रदेश में कांग्रेस का चेहरा क्या बदलने वाला है. ये सवाल लगातार उठ रहा है.
खासतौर पर 25 सिंतबर के बाद सचिन पायलट बनाम अशोक गहलोत दो गुट पार्टी के अंदर हैं, ये सार्वजनिक हो चुका है.
इधर सीएम गहलोत के मुताबिक अभी वो राजनीति से सन्यास लेने की नहीं सोच रहे हैं. हालांकि गहलोत ने ये भी कहा और मेरा मानना है कि
देश के भविष्य के लिए पढ़े-लिखे और समर्पित युवाओं को राजनीति में आगे आना चाहिए.
सीएम गहलोत ने एक इंटरव्यू में राजनीतिक ईमानदारी का फिर से जिक्र किया और बताया कि इस साल राजनीति में मुझे 50 साल पूरे होने
जा रहे है. इससे पहले भी कई बार सीएम अशोक गहलोत ईमानदारी और गद्दारी शब्दों को प्रयोग कर चुके हैं. और अपने दिल की भड़ास को कांग्रेस
आलाकमान तक चिट्टी के रुप में पहुंचा भी चुके हैं. गहलोत ने कहा कि जब वो रिटायर होंगे तो पॉलिटिकल क्लास लेंगे, जिसमें स्किल और अनुभव का जिक्र होगा.
Rajasthan : मोदी के मंत्री ने क्यूं की सचिन पायलट की तारीफ ?
इधर अब विधानसभा का बजट सत्र 23 जनवरी से आहूत होने के है. लेकिन राजस्थान की राजनीति में अभी शांति है. ना तो कांग्रेस की तरफ से और
ना ही बीजेपी की तरफ से आगामी विधानसभा चुनावों में चेहरे का मुद्दा उठाया जा रहा है.
जहां कुछ महीने पहले तक कोई भी खुद को गहलोत गुट, तो कोई खुद को सचिन पायलट गुट का बता कर पार्टी की एकता की धज्जियां उड़ा देता था.
वहीं आज सब खामोश हैं.
25 सिंतबर की घटना के बाद इस्तीफा देने वाले कांग्रेसी विधायक इस्तीफा वापस ले रहे हैं. लेकिन उन लोगों पर कोई एक्शन पार्टी की तरफ से नहीं
लिया गया है. जिनपर अनुशासनहीनता का आरोप लगा था और जवाब मांगा गया था और जिन पर कार्रवाई की मांग पायलट गुट लगातार करता रहा.
कुल मिलाकर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से पहले ही शांत करा दी गयी राजस्थान कांग्रेस की लड़ाई, अभी भी शांत ही लग रही है. लेकिन बजट
सत्र के हंगामेदार रहने के आसार है. अब ये हंगामा सदन के अंदर हो या फिर पार्टी दफ्तर में या फिर विपक्षी दल बीजेपी करें या फिर कांग्रेस के
खुद के विधायक करें... ये देखने वाली बात होगी.
राहुल गांधी की गुड बुक में दिव्या मदेरणा, समझें तस्वीरों के मायने