Rajasthan Roadways: राजस्थान रोडवेज के पास कर्मचारियों को वेतन देने के पैसे नहीं, बकाया राशि 132 करोड़ !
Rajasthan Roadway : राजस्थान रोडवेज में कर्मचारियों को पिछले 2 माह से वेतन नहीं मिल सका है. लेकिन इस बार रोडवेज को न तो आरटीआईडीएफ फंड से और न ही आर्थिक मदद के पेटे राशि दी जा रही है.
Rajasthan Roadway News: राजस्थान रोडवेज में कर्मचारियों को पिछले 2 माह से वेतन नहीं मिल सका है. इसके पीछे प्रमुख वजह है रोडवेज की खस्ता माली हालत, लेकिन दूसरी तरफ राज्य सरकार भी रोडवेज की बकाया राशि नहीं चुका रही है. रोडवेज के करीब 250 करोड़ रुपए राज्य सरकार और निकायों के स्तर पर बकाया हैं. क्या है पूरा मामला, पढ़ें
कर्मचारियों को पिछले 2 माह से वेतन नहीं मिला
राजस्थान रोडवेज की बसों के संचालन के लिए राज्य सरकार की तरफ से आर्थिक मदद मुहैया कराई जाती है. एक तरफ जहां राजस्थान ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड यानी आरटीआईडीएफ से रोडवेज को आर्थिक मदद दी जाती है. वहीं दूसरी तरफ राज्य सरकार की तरफ से सालाना 200 करोड़ रुपए की आर्थिक राशि भी मुहैया कराई जाती है, लेकिन इस बार रोडवेज को न तो आरटीआईडीएफ फंड से और न ही आर्थिक मदद के पेटे राशि दी जा रही है.
राज्य सरकार के स्तर पर अटकी राशि
रोडवेज प्रशासन के राज्य सरकार के स्तर पर करीब 132 करोड़ रुपए बकाया हैं. रोडवेज प्रशासन की इस बकाया राशि में पुनर्भरण की राशि भी शामिल है. दरअसल रोडवेज बसों में करीब 36 श्रेणियों में यात्रियों को नि:शुल्क और रियायती यात्रा कराई जाती है. इसके एवज में राशि का भुगतान राज्य सरकार द्वारा किया जाता है.
राज्य सरकार के स्तर पर करीब 132 करोड़ रुपए बकाया
नवंबर 2023 माह का पुनर्भरण का भुगतान भी राज्य सरकार द्वारा रोडवेज प्रशासन को नहीं किया गया है. अभी रोडवेज में कर्मचारियों को नवंबर और दिसंबर माह का वेतन और पेंशन का भुगतान नहीं मिला है. राज्य सरकार की तरफ से ड्यूज क्लीयर होने पर वेतन देना संभव हो सकेगा.
राज्य सरकार के स्तर पर कितनी राशि बकाया
- RTIDF के पेटे 83.75 करोड़ रुपए की राशि बकाया
- 28 करोड़ 21 लाख रुपए की राशि नवंबर के पुनर्भरण के पेटे बकाया
- रियायती और नि:शुल्क यात्राओं के एवज में सरकार करती रिइम्बर्समेंट
- 20 करोड़ रुपए का आर्थिक अनुदान राज्य सरकार के स्तर पर बकाया
- इस तरह कुल 131 करोड़ 96 लाख रुपए की राशि बकाया
- निकायों को मिलाकर रोडवेज की 249 करोड़ नहीं मिले
बड़ी बात यह है कि राज्य सरकार के स्तर पर तो रोडवेज की राशि बकाया है ही, इसके अलावा निकायों पर भी करोड़ों रुपए की राशि बकाया चल रही है, जिसका भुगतान नहीं किया गया है. दरअसल जयपुर और अजमेर शहर में स्थानीय निकायों द्वारा जेसीटीएसएल और एसीटीएसएल के रूप में कंपनियां बनाकर बसों का संचालन किया जा रहा है.
इन सिटी बसों का संचालन रोडवेज के डिपो से ही हो रहा है। इस तरह दोनों शहरों में सम्बंधित निकायों पर रोडवेज की करीब 62 करोड़ की राशि बकाया है. इसी तरह जयपुर के ट्रांसपोर्ट नगर में जयपुर नगर निगम को 7 हजार वर्गमीटर से अधिक भूमि दी गई थी, जिसका भुगतान भी नगर निगम ने रोडवेज प्रशासन को नहीं किया है.
जेसीटीएसएल पर 41 करोड़ बकाया !
- जेसीटीएसएल के 2 डिपो रोडवेज की जमीन पर चल रहे
- विद्याधर नगर में डिपो ए और बी, सांगानेर डिपो संचालित
- रोडवेज के ये डिपो लाइसेंस फीस पर जेसीटीएसएल को दिए हुए
- लम्बे समय से जेसीटीएसएल ने नहीं चुकाई लाइसेंस फीस
- सितंबर 2023 तक जेसीटीएसएल पर 40.85 करोड़ बकाया
- इसी तरह अजमेर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड पर 21.64 करोड़ बाकी
- 12.50 करोड़ रुपए संचित हानि, 9.14 करोड़ ब्याज राशि
- अम्बेडकर भवन के लिए नगर निगम को दी गई 7273 वर्गमीटर भूमि
- भूमि के लिए डीएलसी दर पर 65.80 करोड़ रुपए भी बकाया
रोडवेज को बसों के संचालन से रोजाना औसतन 3 करोड़ रुपए का नुकसान होता है. रोडवेज की मासिक आय जहां करीब 150 करोड़ रुपए होती है, वहीं रोडवेज का संचालन खर्च करीब 240 करोड़ रुपए प्रति माह होता है. इस तरह करीब 90 करोड़ रुपए के हर माह घाटे के चलते रोडवेज को यह आर्थिक मदद जरूरी भी है. देखना होगा कि जब राज्य में नई सरकार कामकाज संभाल चुकी है, रोडवेजकर्मियों की यह परेशानी कब तक मिट सकेगी.