Rajasthan Politics: 49 निकायों में चुनाव की तैयारी में राज्य निर्वाचन आयोग! जिला निर्वाचन अधिकारियों को लिखा पत्र
Rajasthan election: प्रदेश के 28 जिलों की 49 निकायों में इस माह कार्यकाल पूरा होने जा रहा है. इन निकायों में कार्यकाल पूरा होने के साथ ही राज्य सरकार प्रशासक नियुक्त करेगी, क्योंकि सरकार वन स्टेट वन इलेक्शन के तहत चुनाव कराने की तैयारियां कर रही हैं.
Rajasthan News: राजस्थान की भाजपा सरकार ने प्रदेश में स्थानीय निकायों के चुनाव एकसाथ कराने का विचार बजट भाषण में शामिल किया. इसके तहत प्रदेश की सभी नगरीय निकायों में एक साथ चुनाव करवाया जाना प्रस्तावित है. प्रदेश के 28 जिलों की 49 शहरी निकायों में इस माह कार्यकाल पूरा हो रहा है. एक तरफ राज्य सरकार इन निकायों में प्रशासक नियुक्त करने की तैयारी में है, तो दूसरी तरफ राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी है.
इस बीच राज्य निर्वाचन आयोग ने इन निकायों में चुनाव की तैयारियों को लेकर जिला निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखा है. राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से लिखे पत्र में जिला निर्वाचन अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र में निकायों के अनुसार वोटर लिस्ट तैयार करने के लिए प्रगणकों की नियुक्ति करने के निर्देश दिए है. राज्य निर्वाचन आयोग से जारी एक पत्र में इन सभी निकायों से संबंधित जिलों के निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिए है कि 7 दिन के अंदर कर्मचारियों (प्रगणकों) की सूची तैयार करके भिजवाए. उन्होंने कहा कि हो सके तो कर्मचारी की नियुक्ति उसी वार्ड या भाग में लगाई जाए जहां वह पदस्थापित है, ताकि वोटर लिस्ट बनाने का काम अच्छे से हो सके.
दरअसल, पंचायती राज संस्थाओं और शहरी निकायों के चुनाव 5 साल में करवाने अनिवार्य है. 73वें और 74वें संविधान संशोधन में ही यह प्रावधान है कि पंचायती राज संस्थाओं-नगरीय निकायों के 5 साल में चुनाव करवाने होंगे, चुनावों को टालने का प्रावधान नहीं है. राजस्थान नगर पालिका अधिनियम की धारा 7 और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 में प्रावधान है कि नगरीय निकायों का कार्यकाल पांच साल के लिए है. कार्यकाल पूरा होने के बाद बोर्ड स्वत: ही भंग हो जाता है.
राज्य मुख्य निर्वाचन आयुक्त मधुकर गुप्ता ने बताया कि चुनाव के लिए तैयारी होना आवश्यक है. इसलिए ये निर्देश दिए गए है. यथासंभव जब चुनाव करवाने होंगे तो इन अपडेट वोटर लिस्ट का उपयोग करने में आसानी होगी. गुप्ता ने बताया कि 10 फीसदी अतिरिक्त कर्मचारियों की सूची तैयार करने के निर्देश दिए है, ताकि उन्हें रिजर्व में रखा जा सके और जरूरत पड़ने पर इस कार्य में लगाया जा सके. इस आयोग ने निर्वाचन आयोग ने नए सॉफ्टवेयर के जरिए तैयार करवाई जाएगी. आयोग ने कहा कि वर्तमान में जो स्थिति है उसके अनुसार ही मतदाता सूची तैयार की जाएगी. हालांकि, सरकार अभी नए वार्डों का डिमार्केशन, पुराने वार्डों का पुनर्गठन, निकायों का पुनर्गठन का काम करना है.
राजस्थान की पांच नगर निगम में अलवर, उदयपुर, बीकानेर, भरतपुर, पाली, बीस नगर परिषद की बात करें, तो पुष्कर, ब्यावर, भिवाडी, बांसवाड़ा, बाड़मेर, बालोतरा, चित्तौड़गढ़, चूरू, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जालौर, झुंझुनू, फलोदी, डीडवाना, मकराना, सीकर, नीमकाथाना, श्रीगंगानगर, सिरोही, टोंक में कार्यकाल पूरा हो गया है. इसी तरह 24 नगरपालिका जिसमें नसीराबाद, थानागाजी, परतापुर-गढी, छबड़ा, मांगरोल, रूपवास, निंबाहेड़ा, रावतभाटा, राजगढ, महवा, भीनमाल, पिलानी, बिसाउ, सांगोद, कैथून, सुमेरपुर, नाथद्वारा, आमेट, खाटूश्यामजी, सूरतगढ़, माउंट आबू, शिवगंज, पिंडवाड़ा और कानोड नगरपालिका शामिल हैं.
बहरहाल, प्रदेश में चुनाव एक साथ कराने का विचार बजट भाषण में शामिल किया है. लेकिन इसके लिए कानूनों में संशोधन करना पड़ेगा. राजस्थान नगरपालिका अधिनियम की धाराओं में संशोधन करना होगा. इसे लागू कब और कैसे करेंगे, इसका आकलन शासन-प्रशासन कर रहे है. प्रारंभिक आकलन है कि स्थानीय निकायों में करीब डेढ लाख पदों पर एक साथ चुनाव के लिए मतदान कर्मी, फोर्स और ईवीएम चाहिए.
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