Rajasthan: राजस्थान में स्वास्थ्य अधिकार कानून को लेकर चल रही डॉक्टर्स की हड़ताल से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा रही हैं, मरीज परेशान हो रहे हैं. इस बीच उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने शुक्रवार को ट्वीट कर कहा कि गहलोत सरकार अपना ईगो छोड़ प्रदेश के मरीजों के हित में सोचें. उन्होंने मांग करी की सरकार तत्काल प्रभाव से बिना किसी देरी के आंदोलन कर रहे डॉक्टर्स से तुरंत वार्ता कर हड़ताल समाप्त कराएं.


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सरकार की हठधर्मिता से जन जीवन संकट में 
उपनेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र राठौड़ ने कहा कि दुर्भाग्य है कि राइट टू हेल्थ बिल को लेकर डॉक्टरों की तमाम आपत्तियों को दरकिनार कर,उन्हें विश्वास में लिए बिना,उनकी आवाज को लाठी के दम पर कुचलकर कांग्रेस सरकार ने चुनावी वर्ष में आनन-फानन में बिल पारित किया. जिससे आमजन को राहत मिलने की बजाय उनका जीवन संकट में आ गया है.राठौड़ ने कहा कि जहां एक ओर सरकार राइट टू हेल्थ बिल को अपनी उपलब्धि बता रही है,


वहीं दूसरी ओर प्रदेशभर के निजी चिकित्सक और रेजिडेंट डॉक्टर सड़क पर उतर कर इस बिल का विरोध कर रहे हैं. तथाकथित संवेदनशील सरकार चिकित्सकों से वार्ता कर उनके आंदोलन को समाप्त करने की बजाय मरीजों का दर्द बढ़ाने में लगी हैं.


राठौड़ ने कहा कि इलाज नहीं मिलने से मरीज त्राहिमाम कर रहे हैं.अकेले जयपुर के निजी अस्पतालों में 50 से 60 हजार मरीज ओपीडी में आते हैं, इनमें से 16 हजार मरीज प्रतिदिन भर्ती किए जाते हैं. 1000 से अधिक ऑपरेशन और 450 मरीज आईसीयू में भर्ती होते हैं. हड़ताल के कारण 80% मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ है.


सरकार वार्ता के लिए आगे आए 
राठौड़ ने कहा कि निजी अस्पतालों में चिरंजीवी योजना का भी लाभ नहीं मिल पा रहा । राज्य की चिकित्सा व्यवस्था वेंटिलेटर पर खड़ी है । निजी चिकित्सालयों के बिना राइट टू हेल्थ बिल का लागू होना संभव ही नहीं है , क्योंकि सबसे बड़े स्टेकहोल्डर निजी चिकित्सालय व निजी चिकित्सक है . 


राठौड़ ने कहा कि मेरी मांग है कि राज्य सरकार तत्काल रूप से आंदोलनरत चिकित्सकों से वार्ता कर उनकी हड़ताल समाप्त कराया , साथ ही आंदोलनरत डॉक्टर्स से भी अपील है कि अगर सरकार वार्ता नहीं करे तो वे आगे बढ़कर सरकार से वार्ता की पेशकश करें , ताकि हड़ताल जल्द समाप्त हो सके और किसी मरीज के जीवन पर संकट ना आए.


राइट टू हेल्थ बिल का विरोध 
बता दें कि प्रदेश में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में पिछले एक सप्ताह से चिकित्सकों का विरोध प्रदर्शन जारी है. डॉक्टर्स इस बिल को जनविरोधी बता रहे है.उन्होंने कहा की सरकार जबरन उन पर क़ानूओं थोपने का काम कर रही है . इस को सरकार को वापस लेना चाहिए.


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