Raju Shrivastav Life Story: जीवन का सफर ऐसा सफर है जहां रोज इंसान कुछ सीखता है, उसे हर पल कुछ नया सीखना चाहिए और आगे बढ़ते रहना चाहिए ये मानना था मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का. जिंदगी को जिंदादिली से जीने वाले राजू श्रीवास्तव आज हमारे बिच नहीं रहे, दिल्ली एम्स में आज उन्होंने अंतिम सांस ली और इसी की साथ भारतीय कॉमेडी के एक युग का अंत हो गया. दुनियां को हँसाने वाला आज हम सबको रुला गया. आज वो दिन याद आरहा है जब राजू श्रीवास्तव के साथ कुछ सालो पहले मेरी बात हुई थी, उनका विनम्र स्वाभाव, बातों को समझने का तरीका इतना बेहतरीन था की कौन उनका मुरीद ना हो. जितने बड़े वे कॉमेडियन थे, उतने ही संजीदा इंसान भी थे. मेरे हर सवाल का बहुत ही सहजता से जवाब देना, उस दौरान उनकी  जिंदगी के कई किस्सों को जानने का मौका मिला, एक बेहतरीन कॉमेडियन केसाथ ही एक बेहद सुलझे हुए इंसान से बात करना अलग ही अनुभव था. आज स्तब्ध हूँ लेकिन आपको बताती हूँ की कैसी थी कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव की जिंदगी, उनका फर्श से  अर्श तक का सफर. 


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कानपुर से शुरू हुआ था हंसी का काफिला


आज इंसान कुछ भूल गया है तो वो है हंसना और हंसना ही वह कला है जो कई मानसिक और शारीरिक रोगों का इलाज है और इस इलाज के डॉक्टर का नाम सुनते ही चहरे पर अनायास ही हंसी आ जाती थी, वह नाम था कॉमेडी किंग राजू श्रीवास्तव. उनकी कॉमेडी की यह यात्रा कानपुर से शुरू होती है. जहां अपने मजाकिया स्वभाव के कारण वे स्कूल में बच्चों और टीचर के बीच बहुत लोकप्रिय हो जाते थे. इसी लोकप्रियता ने उनका उत्साह बढ़या, लेकिन परिवार का समर्थन प्राप्त नहीं हुआ, क्योंकि परिवार को लगता था की हंसी मजाक के क्षेत्र में आगे बढ़ने का सोचना केवल समय खराब करना है, लेकिन राजू की किस्मत में तो कॉमेडियन बनाना ही लिखा था. अपने सपनों को पूरा करने के लिए राजू ने रुख किया मायानगरी मुम्बई का और संघर्ष शुरू किया अपने कॉमेडियन बनने के सपने को हकीकत में बदलने का.



संघर्ष के सफर के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा था कि बहुत मेहनत और भाग दौड़ के बाद भी असफलता हाथ लगी तो, सोचा डॉक्टर और इंजीनियर बनने के लिए लोग चार पांच साल का प्रशिक्षण लेते हैं, तो शायद असफलता का समय प्रशिक्षण का समय ही होता है और बाद में जब सफलता मिली तो यह बात सच साबित हो गया. कड़ी मेहनत के बाद उन्हें बोम्बे टू गोवा सहित दर्जनों फिल्में मिली, लाफ्टर शो मिले, पर फिल्मों से अधिक अच्छा लगा स्टेज पर जनता से रूबरू होकर उन्हें हंसाना, क्योंकि इसी से कलाकार की असली पहचाना होती है. 


राजू से गजोधर बनकर बिखेरी हंसी की फुहार


कॉमेडी किंग को इस दौरान राजू से गजोधर बनने का ऐसा अवसर मिला जो लोगो के दिलों दिमाग पर एक अमिट निशानी बन गया, जिसे भूलना नामुमकिन है. उसके बाद बिग बॉस सीजन 3 में आकर उन्होंने उनकी कॉमेडी की सकरात्मक्ता से बिग बॉस के घर का माहौल भी खुशनुमा बना दिया था. उसके कपिल के कॉमेडी शो में अपनी कॉमेडी की फुहारे बिखेरने लगे तो जनता ने भी अपने कॉमेडी किंग को ढेर सारा प्यार दिया. राजू एक ऐसे कॉमेडियन थे, जो नीरस से नीरस विषय को भी अपने मजाकिया अंदाज़ से रोचक बना देते थे क्योंकि राजू जानते थे की किसी को हंसना किसी चुनौती से कम नहीं है और जो इस चुनौती को स्वीकार करके दुनिया को हंसा दे वहीं सच्चा हास्य कलाकार है.



राजू की माने तो उन्होंने कहा था अगर वे लोगों को हंसाने में कामयाब नहीं होते एक सफल कॉमेडियन नहीं होते, तो वे एक किसान होते क्योंकि उनके गांव की मिटटी से उनका लगाव ही निराला है, वहां उनका बचपन बिता है, गांव में दोस्ती होती है, मुम्बई में तो बस जान पहचान ही होती है.


युवा पीढ़ी को सन्देश देते हुए राजू ने कहा था आज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता की अपार संभावनाएं है, बस अपने आप पर और अपनी कला पर विश्वास रखों, किसी व्यक्ति को अपना आदर्श बनाओ, परन्तु उसकी नकल मत करो अपना एक अलग अंदाज़ रखो. आज कॉमेडी का यह सितारा हमें छोड़ कर चला गया, लेकिन उनकी बातें हमेशा जहन में रहेंगी. कॉमेडी किंग तुम जब भी याद आओगे होठों पर मुस्कराहट बिखेर कर जाओगे. 


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