Jaipur: राज्यसभा चुनाव का रण सज गया है. चार सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपने तीन जबकि बीजेपी ने एक प्रत्याशी घोषित कर दिया है. खास बात यह कि बीजेपी ने इस बार स्थानीय प्रत्याशी को उतारा है, जबकि कांग्रेस में तीन चेहरे राजस्थान से बाहर के हैं. हालांकि प्रदेश से बाहर के नेता को राज्य सभा प्रत्याशी बनाया जाना कोई नई बात नहीं है, लेकिन आमतौर पर इसमें केन्द्र और राज्य का तालमेल रखते हुए प्रतिनिधित्व बांटा जाता है. केन्द्र अपनी पसन्द के नाम भेजता है, लेकिन सभी नाम केन्द्र की तरफ़ से ही तय किए गए हों और सभी नाम राजस्थान से बाहर के नेताओं के हों, यह देखकर सत्ताधारी खेमे के कुछ लोग भी हैरान हैं. 


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आम तौर पर किसी भी चुनाव में स्थानीय बनाम बाहरी चेहरा बड़ा मुद्दा होता है. कई बार तो यह मुद्दा इतना बड़ा होता है कि इस पर ही हार या जीत तय हो जाती है. इस बार राज्य सभा चुनाव में भी यह मुद्दा उठा है. ऐसा इसलिए क्योंकि चार सीटों पर होने वाले चुनाव के लिए बीजेपी के एक और कांग्रेस के तीन प्रत्याशियों में से तीन चेहरे राजस्थान से बाहर के हैं, और आश्चर्यजनक रूप से सभी तीनों बाहरी चेहरे कांग्रेस के प्रत्याशी के रूप में हैं. कांग्रेस ने इस बार तीन सीट पर मुकुल वासनिक, रणदीप सुरजेवाला और प्रमोद तिवारी को प्रत्याशी बनाया है जबकि बीजेपी ने राजस्थान के जन्मे-जाये घनश्याम तिवाड़ी को प्रत्याशी बनाया है. 


हालांकि अभी तक दो प्रत्याशी उतारने का दावा करने वाली बीजेपी ने दूसरा नाम घोषित नहीं किया है लेकिन पार्टी अभी दूसरे प्रत्याशी पर मंथन कर रही है. मंथन इस बात का भी है कि प्रत्याशी पार्टी का उतारा जाए? या किसी निर्दलीय को समर्थन दिया जाए? लेकिन अपना प्रत्याशी तय करने से पहले बीजेपी ने कांग्रेस नेतृत्व पर सवाल उठा दिए हैं. बीजेपी का कहना है कि अभी तक राजस्थान से बीजेपी के लोकसभा सांसदों पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस पार्टी को क्या राजस्थान में ऐसा एक भी दमदार नेता नहीं मिला जो प्रदेश की बात को राज्य सभा में उठाने का माद्दा रखता हो?


बीजेपी तो कांग्रेस पर सवाल उठा ही रही है लेकिन इससे पहले सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक और मुख्यमंत्री के सलाहकार संयम लोढ़ा भी बाहरी चेहरों को प्रत्याशी बनाने पर सवाल उठा चुके हैं. कांग्रेस की तरफ़ से प्रत्याशियों की घोषणा के बाद ट्विटर पर संयम लोढ़ा का दर्द भी झलका. 


संयम लोढ़ा ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराज़गी जताई तो उधर सरकार को समर्थन देने वाले निर्दलीय विधायक राजकुमार गौड़ भी अपना दर्द नहीं रोक पाए. गौड़ ने कहा कि हालांकि वे पूरी तरह से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के साथ हैं और उनको समर्थन जताते हुए कांग्रेस के प्रत्याशी को ही चुनाव में वोट डालेंगे, लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई स्थानीय चेहरा कांग्रेस देती तो और ज्यादा बेहतर होता.


उधर कांग्रेस पार्टी के ज्यादातर विधायक खामोश हैं, वे ना तो अपनी पार्टी के तीन प्रत्याशियों के समर्थन में खुलकर बोल रहे हैं, ना ही विरोध में. अलबत्ता पार्टी के नेता तो चर्चा इस बात की कर रहे हैं कि कांग्रेस के नेताओं ने ही अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के नाम की घोषणा के बाद सोशल मीडिया पर बधाई देने के लिए भी कई घंटों तक वेट एण्ड वॉच पॉलिसी फॉलो की. 


बहरहाल कांग्रेस ने तीनों प्रत्याशी इस बार राजस्थान से बाहर के उतारे हैं. मुकुल वासनिक और रणदीप सुरजेवाला के नाम को लेकर कांग्रेसियों को ज्यादा ऐतराज भी नहीं है, लेकिन पार्टी नेताओं में इस बात की चर्चा तो ज़रूर है? कि उत्तर प्रदेश के प्रमोद तिवारी के लिए राजस्थान को चारागाह क्यों बनाया जा रहा है? हालांकि यह भी एक हकीकत है कि इससे पहले वैंकेया नायडू, केजे अलफॉन्स, पियूष गोयल, राम जेठमलानी, मनमोहन सिंह, केसी वेणुगोपाल, नजमा हेपतुल्ला और विजय गोयल जैसे चेहरे राज्य से बाहर के उतारे हैं. मनमोहन सिंह तो असम से भी राज्य सभा में जा चुके हैं. 


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