Jaipur: राजस्थान में माइंस विभाग (Mines Department) में 6 जनवरी तक 4234 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व मिला है, जो एक रिकॉर्ड है. पिछले साल की तुलना में यह राजस्व एक हजार करोड़ ज्यादा है. एसीएस माइंस डॉ सुबोध अग्रवाल ने राजस्व संग्रहण में नया रिकॉर्ड बनाने पर अधिकारियों की हौसला अफजाई की है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

एसीएस डॉ. अग्रवाल माइंस में रिकॉर्ड राजस्व आने के पीछे विभाग की उच्चस्तरीय नियमित मॉनिटरिंग का ही परिणाम बताते हैं. वहीं योजनावद्ध प्रयासों, लगातार समीक्षा, छीजत पर प्रभावी रोक के निर्देश, अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण पर सख्त कार्रवाई के निर्देश राजस्व संग्रहण में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हो रही है. इसके अलावा आरएसएमईटी, एनएमईटी, डीएमएफटी की राशि को भी जोड़ने के बाद यह राशि बढ़कर 5170 करोड़ रुपए से भी अधिक हो जाती है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा समय समय पर की गई विभाग के कार्यों की समीक्षा के दौरान खोज खनन कार्य को गति देने और राजस्व बढ़ाने के निर्देश दिए जाते रहे हैं. यही कारण है कि विभागीय कार्यों को गति मिली है. वहीं दूसरी ओर माइंस मंत्री प्रमोद जैन भाया ने भी संभाग स्तर पर संवाद व समीक्षा की पहल की है, जिसके सकारात्मक परिणाम मिल हो रहे हैं.


डॉ. अग्रवाल ने बताया कि कोविड पूर्व के वर्ष 2019-20 में इसी अवधि में 3141 करोड़ रुपए का राजस्व मिला था, वहीं कोविड के बावजूद सकारात्मक प्रयासों से वर्ष 2020-21 में इसी अवधि में 3244 करोड़ का राजस्व संग्रहित हुआ. उन्होंने बताया कि विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस वित्तीय वर्ष में 6 जनवरी तक 4234 करोड़ 16 लाख रुपए का राजस्व जमा हुआ है जो गए साल की इसी अवधि से 30 प्रतिशत अधिक है.


 


करीब 30 लाख लोगों को रोजगार
निदेशक माइंस केबी पण्ड्या ने बताया कि एक मोटे अनुमान के अनुसार राज्य में खनन गतिविधियों से 6 से 8 लाख लोगों को प्रत्यक्ष तथा 22 से 25 लाख लोगों को अप्रत्यक्ष रुप से रोजगार मिल रहा है. सीमित संसाधनों के बावजूद विभाग द्वारा राजस्व बढ़ोतरी के सकारात्मक प्रयास किए जा रहे हैं. समन्वित और समग्र प्रयासों से खान विभाग द्वारा राजस्व वसूली के प्रयासों में तेजी लाई गई है.