जयपुरः  प्रार्थना पत्र में कहा कि सरदार पटेल मार्ग स्थित बंगला नंबर 39 और उससे जुड़ी हुई संपत्तियां राजमहल पैलेस की हैं. इस बंगले को महाराजा सवाई मानसिंह के यहां राजमहल में नौकरी करने वाले दुर्गा सिंह दफ्तरी को रहने के लिए लाइसेंस पर दिया गया था. दफ्तरी के कोई संतान नहीं थी. ऐसे में उसने अपने भाई प्रताप सिंह के बेटे रामसिंह को अपनी सेवा के लिए रखा. दुर्गा सिंह की मौत के बाद रामसिंह यहां रहने लगा और बाद में रामसिंह की भी मौत हो चुकी है.


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प्रार्थना पत्र में कहा गया कि इस संपत्ति में अब रामसिंह के लड़के गोपाल सिंह और महेंद्र सिंह अवैध रूप से रह रहे हैं. अदालत ने यह आदेश पद्मनाभ सिंह, पद्मिनी देवी और दीया कुमारी के अस्थायी निषेधाज्ञा प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.



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 रामसिंह की मौत के बाद दोनों विपक्षियों ने इस संपत्ति में रहने के लिए कुछ समय सवाई भवानी सिंह से चाहा था, लेकिन इसी दौरान 16 अप्रैल 2011 को भवानी सिंह का निधन हो गया. ऐसे में उनके निधन के बाद यह रिहायश लाइसेंस अपने आप ही समाप्त हो चुका है. विपक्षी बार-बार कहने के बाद भी कब्जा खाली नहीं कर रहे हैं. वहीं विपक्षियों की ओर से कहा गया सवाई मानसिंह ने यह संपत्ति उनके पूर्वजों को दान में दी थी और रामसिंह ने इस पर निर्माण करवाकर मालिक की हैसियत से काबिज हुए थे. ऐसे में उन्हें संपत्ति पर स्वामित्व प्राप्त है. दोनों पक्षों को सुनकर अदालत ने विवादित संपत्ति को बेचने और उसका कब्जा दूसरे को सौंपने पर रोक लगा दी है.



 एक्ट के प्रावधानों की अवहेलना करने पर सजा


 पीसीपीएनडीटी मामलों की विशेष अदालत महानगर प्रथम ने अस्पताल संचालन के दौरान पीसीपीएनडीटी एक्ट के प्रावधानों की अवहेलना करने पर कोटपूतली के संजीवनी अस्पताल की संचालक बादामी देवी और डॉ. रूप नारायण कूलवाल को तीन साल की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने दोनों अभियुक्तों पर 65 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है. मामले के अनुसार स्वास्थ्य विभाग के पीसीपीएनडीटी प्रकोष्ठ की टीम ने 26 फरवरी 2011 को अस्पताल का निरीक्षण किया था. इस दौरान अस्पताल में पूरा रिकॉर्ड नहीं था. वहीं भ्रूण जांच की चेतावनी अंग्रेजी में प्रदर्शित नहीं होने के साथ ही एक्ट की कॉपी भी मौजूद नहीं थी. 


इसके अलावा मौजूद चिकित्सक ने अपने नाम की नेमप्लेट भी नहीं लगा रखी थी. वहीं बीत चार माह में 157 गर्भवतियों में से 22 गर्भवती महिलाओं की सोनोग्राफी की एंट्री का रिकॉर्ड भी नहीं था. इस पर प्रकोष्ठ ने दोनों दोषियों के खिलाफ विशेष न्यायालय में परिवाद पेश किया था.


Reporter- mahesh pareek