Jaipur: जयपुर शहर में पिछले 2 साल की तुलना में इस साल सड़क हादसों के आंकड़े बढ़े हैं. कई सड़कें खून से लाल हो रही हैं. यही नहीं, इन सड़क हादसों में पिछले तीन सालों में घायलों और दर्दनाक तरीके से जान गंवाने वाले लोगों की संख्या भी काफी बढ़ी है. 


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इस साल के शुरुआती आंकड़े बता रहे हैं कि 1 जनवरी से 31 मई तक राजधानी जयपुर में रोजाना करीब 3 से 4 जानलेवा सड़क हादसे हो रहे है. इनमें प्रत्येक हादसे में एक व्यक्ति की मौत हो रही है.


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सड़क दुर्घटनाओं का तुलनात्मक विवरण
वर्ष 2020, 2021 और 2022 ( पिछले तीन वर्ष में 1 जनवरी से 31 मई तक)
वर्ष 2020 में 407 सड़क हादसों के केस दर्ज
इनमें 108 लोगों की मौत हादसों में हुई
इन 407 हादसों में 368 लोग जख्मी हुए
वर्ष 2021 में 464 सड़क हादसों के प्रकरण दर्ज
इनमें 102 लोगों की सड़क हादसों में मौत हुई
जबकि 411 लोग हादसों में घायल हो गए
वर्ष 2022 में 551 सड़क दुर्घटनाओं के प्रकरण दर्ज
इनमें 129 लोगों की सड़क हादसे में हुई मौत
इसके अलावा सड़क हादसों में 470 लोग घायल हुए


राजधानी जयपुर में होने वाले इन सड़क हादसों के पीछे कई बड़े कारण भी है. इनमें वाहन चालक की लापरवाही से लेकर रोड इंजीनियरिंग तक की खामी शामिल है. शायद कई लोगों ने हादसों में अपनों को खोया है. लेकिन खुद हादसों को न्यौता ना दें. ऐसी सोच वाहन चालकों में नजर नहीं आती है. ऐसे में सड़क हादसे बढ़ रहे हैं. 


- तेज रफ्तार में बेतरतीब तरीके से वाहन चलाना
- नशे में धुत होकर सड़क पर गाड़ी दौड़ाना
- हेलमेट नहीं लगाकर दुपहिया वाहन चलाना
- शहर में कई जगहों पर रोड इंजीनियरिंग में खराबी
- वाहन चलाते वक्त यातायात नियमों का पालन ना करना
- नौसीखिए ड्राइवरों के हाथ में गाड़ी का स्टेयरिंग थमा देना
- सड़क पर लेन नियमों का ध्यान नहीं रखकर गाड़ी चलाना
- ओवरटेक करने कर आगे बढ़ने की होड़ में लापरवाही
- चौराहे क्रॉस करते वक्त ट्रैफिक सिग्नल की अनदेखी


रेड लाइट को संचालित करने के लिए रोबोट का इस्तेमाल 
जयपुर में सड़क हादसों को रोकने के लिए ट्रैफिक पुलिस कई इंतजाम कर रही है. जयपुर पुलिस की ओर से जल्द शहर में रेड लाइट को संचालित करने के लिए रोबोट का इस्तेमाल किया जाएगा. इसके साथ ही जयपुर यातायात पुलिस 10 नई इंटरसेप्टर गाड़ियां भी खरीदने जा रही है. अभी यातायात पुलिस के पास 13 इंटरसेप्टर हैं, जिनसे प्रमुख हाईवे पर तेज रफ्तार वाहन चालकों पर कार्रवाई की जा रही है. कुछ समय पहले जयपुर पुलिस की ओर से रात के समय में शहर में ट्रैफिक को सूचारु रखने और वाहनों की स्पीड पर नियंत्रण रखने के लिए ट्रैफिक हॉक भी लगाये गये थे. ट्रैफिक हॉक में इस्तेमाल की गयी बाइक में लगे अत्याधुनिक कैमरों के जरिये शहर में रात के समय में तेज गति से चल रहे वाहनों पर नजर रखी जाती है जिसके जरिये शहर में रात के समय में हो रही दुर्घटनाओं को कम करने में भी सफलता मिलने लगी है.


शहरवासियों को भी होना होगा जागरुक 
दुर्घटना से देर भली यानी जल्दबाजी और आपाधापी में एक जगह से दूसरी जगह पहुंचने की जल्दबाजी में सड़क पर तेज रफ्तार में गाड़ी दौड़ा कर हादसों से अच्छा है कि दुर्घटनाओं से बचा जाए. इसके लिए शहरवासियों को भी जागरुक होकर अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी. ट्रैफिक पुलिस के साथ-साथ आमजन भी अगर अपनी जिम्मेदारी को समझने लगेगे तो आने वाले समय में शहर में होने वाली दुर्घटनाओं को कम किया जा सकेगा और लोग अपनों की जान बचा सकेंगे.


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