Jaipur: विजयादशमी (Vijayadashami) पर शुक्रवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) का स्थापना दिवस मनाया जाएगा. 


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संघ शाखाओं पर शस्त्र पूजन, शारीरिक प्रदर्शन और संचलन के कार्यक्रम होंगे. वहीं विजयादशमी को पारम्पिक रूप से घर-घर, बस्ती-बस्ती शस्त्र पूजन के साथ शक्ति का आह्वान किया जाएगा. 


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देश में नवरात्रि को शक्ति की आराधना के पर्व के रूप में मनाते हैं. वहीं दशहरे के दिन पारम्परिक रूप से शस्त्र पूजन की किया जाता है. इधर वर्ष 1925 में विजयादशमी पर संघ की स्थापना हुई. स्थापना दिवस पर संघ की शाखाओं पर शस्त्र पूजन करके शक्ति की आराधना की जाती हैं. वहीं न केवल स्वयंसेवक बल्कि अन्य लोग भी घरों में शस्त्र पूजन करते हैं.


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संघ के क्षेत्रीय सह प्रचार प्रमुख मनोज कुमार (Manoj Kumar) का कहना है कि हमारे समाज में लक्ष्मी की तरह ही शस्त्र पूजन की परम्परा रही है. दुर्गा पूजन हिंदू समाज का प्रमुख पर्व है, जिसमें शक्ति की आराधना की जाती है लेकिन आजकल समाज में शक्ति की आराधना छोड़ लक्ष्मी की भक्ति करने लगे हैं. 


यही कारण है कि समाज में कई प्रकार की आसुरी शक्तियां उत्पन्न हो गई है. मनोज कुमार कहते हैं कि वर्तमान आसुरी शक्तियों को खत्म करने के लिए लक्ष्मी के साथ शक्ति की आराधना करना भी जरूरी है. संघ की शाखाओं के माध्यम से लोगों में शक्ति पूजन के लिए जागृत करने के व्यापक प्रयास किए जा रहे हैं.


मुख्य बिंदु
- विजयादशमी पर नागपुर से लेकर देश के सभी राज्यों में संघ की शाखाओं पर कार्यक्रम होते हैं.
- शस्त्र पूजन के साथ शारीरिक प्रदर्शन और संचलन के जरिए शक्ति का संदेश दिया जाता है.
- जयपुर में संघ के 29 नगर हैं, जिनमें 31 जगह शस्त्र पूजन, शारीरिक प्रदर्शन और बौद्धिक कार्यक्रम होंगे.
- महेश नगर में इस बार संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रमुख स्वांत रंजन का मार्गदर्शन रहेगा.
- इसके अलावा संघ की अन्य शाखाओं पर किसी न किसी पदाधिकारी की मौजूदगी रहती है. 
- संघ की ओर से स्वयंसेवकों के साथ ही समाज के अन्य लोगों को घरों पर शस्त्र पूजन करने के लिए कहा जाता है.
- बौद्धिक में कहा जाता है कि किसी भी देश की उन्नति के लिए शास्त्र और शस्त्र दोनों जरूरी हैं.
- संघ की शाखाओं के अलावा बस्ती में सामूहिक रूप से भी शस्त्र पूजन किया जाता है.