Rajasthan : राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) से पिछले दो सालों में जब भी कोई सवाल किया जाता है. उनका एक ही जवाब होता है, 2023 में कांग्रेस को जिताना ही हमारा उद्देश्य है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या सचिन पायलट का ये बयान कांग्रेस कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा भरने के लिए दिया जाता है. या अपने उपर उठने वाले हर उस सवाल जो उनको असहज करता हो, उन सवालों को टालने के लिए ये बयान दिया जाता है. 


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राजस्थान में जून 2020 में उस वक्त सियासी संकट के हालात पैदा हुए थे. जब सचिन पायलट समेत 19 कांग्रेसी विधायकों ने बागी तेवर अपनाते हुए दिल्ली से सटे गुड़गांव के मानेसर में डेरा डाल दिया था. और राजस्थान की कांग्रेस सरकार अस्थिर हो गई थी. करीब सवा महीने तक विधायकों के साथ मुख्मयंत्री अशोक गहलोत ने होटलों में डेरा जमाए रखा. विरोधियों की पहुंच से दूर सुदूर रेगिस्तान में जैसलमेर के सूर्यागढ़ होटल में कई दिन तक डेरा रहा. रक्षाबंधन जैसे त्यौहार भी इसी होटल में मनाए गए. 


2023 में सरकार बनाना उद्देश्य- सचिन पायलट


दो दिन पहले मीडिया से बात करते हुए सचिन पायलट ने कहा था कि पिछले 25 साल से राजस्थान में सरकारें बदलने की परंपरा रही है. इन 25 सालों में जब भी कांग्रेस की सरकार बनी है. तो अगली बार बीजेपी से वो बुरी तरह हारे है. कांग्रेस की सरकार भी कभी रिपीट नहीं हुई है. ऐसे में मेरा एकमात्र लक्ष्य है कि 2023 में राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनाई जाए. 


सचिन पायलट ने दिल्ली में एक मीडिया हाउस को इंटरव्यू देते हुए कहा कि अगर हम कुछ अलग तरीके से काम करें तो हर हाल में राजस्थान में कांग्रेस सरकार बन सकती है. इस बारे में मैनें कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और राहुल गांधी के अलावा प्रियंका गांधी को भी अपना फीडबैक दिया है. हम एक टीम के रुप में काम करेंगे. 


मैं गर्दन नीचे करके काम कर रहा हूं- सचिन पायलट


सचिन पायलट ने एक इंटरव्यू में कहा कि मुझे पार्टी नेतृत्व जहां भी काम करने को कहेगा वहां काम करुंगा. मैं अपनी गर्दन नीचे करके पार्टी के लिए काम कर रहा हूं. पायलट ने कहा कि जनता ही जज है. वो सब सुन और देख रही है कि हम क्या कर रहे है और क्या बोल रहे है.


एक ही बयान पर टिके पायलट, क्या है मायने


बागी तेवरों के बाद जब 19 विधायकों के साथ पायलट वापिस लौटे. तो जाहिर सी बात है सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों से कई सवाल होने ही थे. शायद पायलट खेमा भी भली भांति ये जानता था. कि तीखे और कड़े सवालों का सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में क्या ये सचिन पायलट की रणनीति का हिस्सा है. कि विरोधी खेमे द्वारा बागी होने के जो आरोप लगाए गए है. उन आरोपों की धार कमजोर करने और मीडिया के उलझाने वाले सवालों से बचने के लिए एक ही तरह का सधा हुआ बयान दिया जाए.


सचिन पायलट से राजनीतिक नियुक्तियों से लेकर मंत्रिमंडल विस्तार और मुख्यमंत्री के चेहरे के साथ साथ 2023 के विधानसभा चुनावों या पार्टी के भीतर के मतभेदों पर जब भी कोई सवाल किया जाता है तो पायलट हमेशा एक ही जवाब देते दिखाई देते है. वो पार्टी को 2023 में जिताने की बात करते है. 


कुछ लोगों का मानना है कि पायलट जानते है कि सवालों के हिसाब से जवाब दिया तो सवालों की संख्या बढ़ती जाएगी. उलझाने और असहज करने वाले सवाल भी हो सकते है. ऐसे में पार्टी की जीत पर केंद्रित एक ही बयान दिया जाए और उस पर टिका रहा जाए. ताकि जुबान फिसलने और विवादित बयान देने की संभावना भी कम हो जाए. पार्टी की जीत पर केंद्रित बयान देने का एक ये भी फायदा है कि 2020 में बागी तेवर अपनाने के बावजूद वो फिर से पार्टी कार्यकर्ताओं में भरोसा कायम करना चाहते है. शायद सचिन पायलट ये चाहते है कि लगातार पार्टी हित और कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी देने की बात कर कार्यकर्ताओं के दिमाग में बगावत वाली यादों को धुंधला किया जाए. 


सचिन पायलट के बयानों को लेकर कई लोग अलग अलग तरह से आंकलन करते है. सच्चाई जो भी हो. लंबे समय से हर तरह के सवालों को एक ही तरह के जवाब से टाल देने की सचिन पायलट की कोशिश निश्चित ही एक रणनीति का हिस्सा है.


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