Sachin Pilot - Ashok Gehlot : राजस्थान की सियासत एक बार फिर तल्ख होती जा रही है. जहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मिशन 156 की घोषणा कर दी है. तो वहीं पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ताबड़तोड़ किसान सम्मेलनों के बाद अब नई रणनीति में जुट गए हैं. 2018 में कांग्रेस की जीत के पीछे सबसे बड़ा कारण गुर्जरों का साथ था, गुर्जर समुदाय को उम्मीद थी कि सचिन पायलट प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. अब इसके आसार भी ना के बराबर दिखाई दे रहे हैं. लिहाजा ऐसे में गुर्जर समाज में इसे लेकर नाराजगी भी देखी जा रही है. लिहाजा ऐसे में इसका खामियाजा कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ सकता है. 


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वहीं सचिन पायलट के तल्ख तेवर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं. कहा जा रहा है कि सचिन पायलट और उनके समर्थक नेता अब एक नई रणनीति में जुट गए हैं. इसके तरह अब एक बार फिर गुर्जर बाहुल इलाकों में हाथ मजबूत किया जाएगा. सचिन पायलट की गुर्जर समाज में मजबूत पकड़ मानी होती है, लेकिन पायलट प्रकरण और पेपर लीक जैसे मुद्दों के बाद यह वोट बैंक कांग्रेस से छिटक सकता है. 


गुर्जरों ने कांग्रेस को जीताया, अब छिटक सकते हैं
साल 2018 में कांग्रेस की जीत और भाजपा के हार के पीछे एक बड़ा कारण गुर्जर वोट बैंक था. गुर्जरों ने पिछले चुनाव में एक तरफा कांग्रेस को वोट दिया था. यहां तक कि भाजपा ने 9 गुर्जर प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारे थे, लेकिन सभी को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा था. वहीं कांग्रेस ने 12 उम्मीदवारों को टिकट दिया था जिसमें से 7 ने जीत दर्ज की. इस दौरान सचिन पायलट प्रदेश अध्यक्ष भी थे, लिहाजा ऐसे में उनकी पकड़ गुर्जरों में गहरी होती गई. 


गुर्जरों को आकर्षित कर रही भाजपा
वहीं कांग्रेस से नाराज गुर्जरों को अपने पाले में करने के लिए भाजपा एक नया दाव चलने जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 जनवरी को गुर्जरों के लोक देवता देवनारायण की जन्मस्थली भीलवाड़ा आ रहे हैं, माना जा रहा है कि पीएम मोदी गुर्जरों को लुभाने के लिए देवनारायण कॉरिडोर की  घोषणा कर सकते हैं. इसे भाव बनाने के लिए भाजपा तैयारियों में जुटी है. भाजपा समाज की नाराजगी को भुना कर चुनाव से पहले गुर्जर समाज को अपने पाले में करना चाहती है. हालांकि प्रदेश में अब तक भाजपा सरकार विरोधी लहर बनाने में नाकामियाब रही है. लेकिन पेपर लीक, बेरोजगारी और कानून व्यवस्था जैसे मुद्दों के चलते लोगों में खासी नाराजगी है. जिसे भाजपा भुनाने में कितनी कामयाब होती है यह आगामी वक़्त ही बताएगा. 


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