राजस्थान में सचिन पायलट की जीत का प्लान Decoded...
Sachin Pilot News : राजस्थान(Rajasthan) में विधानसभा चुनाव (Rajasthan Assembly Election 2023) में एक साल से भी कम का वक्त बाकी है. सचिन पायलट(Sachin Pilot) ने अपनी जमीन मापने के लिए कांग्रेस पार्टी ( Congress)से इतर जनसंपर्क अभियान शुरु कर दिया है. जिसे सचिन पायलट का शक्ति प्रदर्शन कहें तो गलत नहीं होगा.
Sachin Pilot News : सचिन पायलट वो नाम हैं जो युवाओं में खासे लोकप्रिय हैं. गुर्जर वोट बैंक पर अच्छी पकड़ रखते हैं. ऐसे में कांग्रेस आलाकमान उनकी छवि का इस्तेमाल कर चुनावों में फायदा लेता रहा है.
राजस्थान में विधानसभा चुनाव में एक साल से भी कम का वक्त बाकी है. सचिन पायलट ने अपनी जमीन मापने के लिए कांग्रेस पार्टी ( Congress)से इतर जनसंपर्क अभियान शुरु कर दिया है. जिसे सचिन पायलट का शक्ति प्रदर्शन कहें तो गलत नहीं होगा.
सचिन पायलट, हिमाचल प्रदेश में पार्टी की जीत में एक अहम किरदार रहें हैं. अब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा 19 जनवरी को जम्मू-कश्मीर पहुंचेगी जहां 30 जनवरी को विशाल रैली होगी. सचिन पायलट जिस गुर्जर समाज से आते हैं, जो राजस्थान से लेकर जम्मू कश्मीर तक में पैठ रखता है. ऐसे में सचिन पायलट वहां भी राहुल गांधी के साथ कदम ताल करते दिख जाएं तो हैरानी की बात नहीं होनी चाहिए. पार्टी पायलट के चेहरे का इस्तेमाल बखूबी करना जानती है.
साल 2020 और उसके बाद सिंतबर 2022 में सचिन पायलट राजस्थान में अपनी ताकत का अहसास करा चुके हैं. हालांकि लोकतंत्र नंबर का खेल है जो उनके पास नहीं थे. लेकिन ये बता तय है कि अभी भी विधायकों का एक बड़ा गुट उनके समर्थन में कभी भी हो सकता है.
जानकार मानते हैं कि राजस्थान विधान सभा चुनाव में इस बार एंटी इनकम्बेंसी दिखेगी. ऐसे में सिंतबर 2022 में हुए सियासी हंगामे के बाद मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर अगर आलाकमान कोई बदलाव नहीं भी करता है, तो हार का ठीकरा किसी और के सिर पर होगा. सचिन पायलट के पास फिर से ये कहने का मौका होगा कि उनको जिम्मेदारी नहीं दी गयी थी.
हालांकि 8 साल का इंतजार कम नहीं होगा और फिर सचिन पायलट के पास अगला मौका 2028 में लगेगा. इधर कांग्रेस आलाकमान सचिन पायलट के राजनीतिक कद को भानते हुए तबतक आने वाले चुनावों में उन्हे आगे रख सकती है. ताकि पार्टी को फायदा मिलता रहे. हो सकता है कि पार्टी मुख्यमंत्री के रूप में गहलोत और पीसीसी प्रमुख के रूप में पायलट के पुराने फॉर्मूले पर लौट जाए.
यहां ये याद रखें कि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राजनीति से रिटायर होने के बाद राजनीति की कोचिंग की बात कहीं थी तो वहीं सचिन पायलट ने 'जल्द ही अच्छी खबर' की उम्मीद जतायी थी. कुल मिलाकर राजस्थान कांग्रेस में एक मुश्किल दौर शुरू हो गया है, लेकिन सचिन पायलट के लिए विन-विन कंडीशन है.