Jaipur News: नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल में दो फाड़ हो गई. सफाईकर्मियों की भर्ती में शत-प्रतिशत वाल्मिकी समाज को आरक्षण की मांग के आपसी विवाद के चलते वाल्मिकी समाज से अलग दूसरे वर्ग के सफाई कर्मचारियों ने खुद को हड़ताल से अलग कर लिया और अपना नियमित काम किया. इस कारण जयपुर में हड़ताल का आज व्यापक असर नहीं रहा. कई जगहों पर कचरा कलेक्शन की गाड़ियां आई और सड़कों पर झाडू निकली और कचरा भी उठा. वहीं कई जगहों पर जहां हड़ताल का प्रभाव रहा वहां आज कचरा कलेक्शन के लिए न तो हूपर आए और न ही सफाई हुई.


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संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ के बैनर तले सफाई कर्मचारियों ने जोन ऑफिसों के बाहर प्रदर्शन किया. रामगंज चौपड़, मालवीय नगर जोन ऑफिस के बाद कई कर्मचारियों ने इकट्‌ठे होकर नारेबाजी की. उन्होंने अपनी मांगे नहीं मानने तक आंदोलन को जारी रखने की बात कही. वहीं दूसरी तरफ शहर में कई जगह नगर निगम के कर्मचारी सफाई और कचरा उठाते दिखे. यूनियन के अध्यक्ष नन्दकिशोर डंडोरिया ने आरोप लगाया कि चुनाव में जो दूसरे लोग हार गए थे. वे अब हड़ताल पर राजनीति कर रहे है.


उन्होंने कहा कि उनके इस निर्णय से हड़ताल पर कोई असर नहीं पड़ेगा. उधर सर्व समाज के सफाई कर्मचारियों ने हड़ताल से दूर रहकर शहर की सफाई व्यवस्था संभाली. सुबह की पारी का काम करने के बाद गैर वाल्मीकि समाज के सफाई कर्मचारियों ने नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय पहुंचकर वाल्मिकी समाज की ओर से की जा रही मांग का विरोध किया.


दरअसल जयपुर के दोनों नगर निगम में इस समय करीब 8200 सफाई कर्मचारी है. इसमें 5700 से ज्यादा कर्मचारी वाल्मिकी समाज के है. जबकि ढाई हजार कर्मचारी दूसरे वर्ग से है. कल जब जयपुर नगर निगम ग्रेटर में सफाई कर्मचारियों की यूनियन संयुक्त वाल्मीकि एवं सफाई श्रमिक संघ ने अपना 17 सूत्री मांग पत्र पेश किया. जिसे पूरा करने के लिए ये आंदोलन कर रहे है. उसमें सफाई कर्मचारियों की भर्ती में वाल्मीकि समाज को शत प्रतिशत आरक्षण दिया जाने की मांग की. 


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इस मांग को लेकर दूसरे वर्ग के कर्मचारियों में नाराजगी उत्पन्न हो गई. इसके बाद इन कर्मचारियों ने खुद को हड़ताल से दूर रख लिया. आपको बता दें कि जयपुर में हर रोज करीब 1700 मीट्रिक टन कचरा उठाया जाता है. ये कचरा डोर टू डोर सर्विस के अलावा नगर निगम अपने संसाधन लगाकर सड़कों और मुख्य बाजारों से उठाता है. ज्यादातर काम अभी वाल्मिकी समाज के भरोसे ही चल रहा है.