Jaipur: दो साल से बंद पड़े CCTV कैमरे, कैसे हो शहर की सुरक्षा, जिम्मेदार अधिकारी नहीं दे रहे ध्यान
पंचायत प्रशासन की तरफ से 2 साल पहले गांव में 2 लाख की लागत से 10 सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए थे. इनका मुख्य उद्देश्य गांव में होने वाली प्रत्येक गतिविधियों पर नजर बनाये रखना था. लेकिन प्रशासन की तरफ से लगे सीसीटीवी कैमरों का ध्यान नहीं रखा गया और अब ये धूल फांक रहा है.
Sahpura CCTV Cameras Closed | Jaipur News: तीसरी आंख कहलाने वाले सीसीटीवी कैमरे आजकल सुरक्षा और निगरानी की जरूरत बन गए है, लेकिन अगर इसी तीसरी आंख को मोतियाबिंद हो जाये तो फिर चाक चौबंद सुरक्षा और निगरानी की उम्मीद कैसे की जा सकती है. इसे अधिकारियों की अनदेखी कहे या फिर लापरवाही ! इसका खामियाजा आमजन को भुगतना पड़ रहा है साथ ही अपराधियों के हौसले बुलंद हो रहे है. इसकी वजह से आए दिन क्षेत्र में कई वारदात हो रही है. इस समय गांव की सुरक्षा व्यवस्था राम भरोसे चल रही है.
शहर के सीसीटीवी कैमरे बंद पड़े
इस तरह के हालात इस समय ग्राम पंचायत भाबरू में बने हुए है. जहां पंचायत प्रशासन की ओर से गांव में सुरक्षा की दृष्टि को ध्यान में रखते हुए गांव के चौराहे, गली-मोहल्लों में सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए थे. जिसकी कीमत 2 लाख रुपये थी लेकिन गांव में लगे सीसीटीवी कैमरे इन दिनों देखरेख के अभाव में बंद पड़े है. वहीं खराब पड़े सीसीटीवी कैमरो के यंत्र भी धूल फांक रहे है. गांव में लगे सीसीटीवी कैमरे अब निगरानी करने की बजाय सिर्फ शो-पीस बनकर विधुत पोलो और अन्य जगहों पर लटके हुए है. लेकिन जिम्मेदार अधिकारी इनको ठीक करवाने की तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहे है.
पंचायत प्रशासन की तरफ से सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए थे
जानकारी के अनुसार पंचायत प्रशासन की तरफ से 2 साल पहले गांव में 2 लाख की लागत से 10 सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए थे. इनका मुख्य उद्देश्य गांव में होने वाली प्रत्येक गतिविधियों पर नजर बनाये रखना था. वहीं आपराधिक गतिविधियों पर भी लगाम लग सके. पुलिस को भी वारदात की जांच करने में काफी सहारा मिल सके. प्रशासन की तरफ से समय-समय पर सीसीटीवी कैमरों का ध्यान नहीं रखा गया.
मरम्मत करवाने के लिए कोई पहल नहीं
जिसके चलते गांव में निगरानी रखने वाली तीसरी आंख अब किसी काम की नहीं रह गई. इस समय सभी कैमरे बंद पड़े है लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के कारण इन दिनों कैमरे धूल फांक रहे है. इनकी मरम्मत करवाने के लिए कोई पहल नहीं की जा रही है. पुलिस को भी गांव में होने वाली वारदातों की सीसीटीवी फुटेज किसी किराना की दुकानों में लगे कैमरों से ढूढ़ना पड़ रहा है. कैमरों के खराब होने से सबसे ज्यादा परेशानी पुलिस विभाग को हो रही है क्योंकि इन कैमरों की मदद से कई आरोपियों को पकड़ने में मदद मिलती थी. जबकि चोरी की घटनाओं को रोकने में भी यह कैमरे कारगर थे.
लोगों की मांग है कि इन बंद पड़े कैमरों को ठीक कराया जाए
लेकिन इनके खराब होने से आगे आने वाले दिनों में शहर के चौक चौराहों से लेकर गली मोहल्लों ,मुख्य मार्गो और हाइवे पर सुरक्षा को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. अब देखना यह होगा कि आखिर कुम्भकर्णी नींद में सोया हुआ प्रशासन इन कैमरों को ठीक कब तक करवाता है या फिर कैमरे यू ही पड़े-पड़े धूल फांकते रहेंगे. यह तो आने वाला समय ही बताएगा.
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पंचायत प्रशासन द्वारा 2 लाख की लागत से गांव भाबरू में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे. जिनका मुख्य उद्देश्य गांव में आपराधिक गतिविधियों पर रोक लग सके. यह कैमरे 2 साल से बंद पड़े हैं. पंचायत प्रशासन द्वारा कैमरों के रखरखाव पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है. प्रशासन से मांग है कि इन सीसीटीवी कैमरों को जल्द से जल्द ठीक करवाया जाए. ताकि गांव में होने वाली हर आपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लग सके.
ग्राम पंचायत भाबरू में 2 साल पूर्व गांव में सीसीटीवी कैमरे लगे थे जो अब बिल्कुल बंद पड़े हैं. सरकार व प्रशासन से अनुरोध है कि उसे तुरंत प्रभाव से चालू किया जाए, ताकि गांव में होने वाली चोरी, डकैती आदि जैसी घटनाओं पर रोक लग सके.
Reporter- Amit Yadav