Jaipur: राजस्थान में ई -गवर्नेंस के जरिए आमजन को सरकारी सेवाओं की डिलीवरी देने के उदेश्य से शुरू की गई ई-मित्र सेवा का दायरा आज काफी बढ़ गया है. 20 साल पहले प्रदेश में 6 काम से शुरू हुई ये प्रोजेक्ट एक ही छत के नीचे आज 600 से ज्यादा सर्विस प्रोवाइड करवा रहा हैं. पूरे राज्य में 20 साल से ई-मित्र कियोस्कों की संख्या 2 से 85 हजार पहुंच गई हैं. इस सर्विस के शुरू करने से न केवल लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है बल्कि सरकारी ऑफिसों में वर्कलोड को भी कम किया गया है. यही नहीं इससे प्रदेश में करीब 1 लाख लोगों को रोजगार भी मिला है.


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सरकारी योजनाओं और सेवाओं को जनता तक ऑनलाइन पहुंचाने के लिए राजस्थान में 2002 में शुरू की गई ई-मित्र की संख्या और सर्विस विस्तार बढ़ता ही जा रहा हैं. अच्छा रेस्पोंस मिला तो प्रदेश में पिछले 2 दशकों से ई-मित्र कियोस्कों का चलन बढ़ा है. शहरों से लेकर गांव-ढाणी तक ई-मित्र कियोस्क खुल गए हैं. वर्तमान में 85 हजार ई-मित्र कियोस्कों पर 450 से अधिक सरकारी और 150 से अधिक निजी क्षेत्र की बिजनेस टू कंज्यूमर (बी2सी) सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं.


डीओआईटी के टेक्निकल डायरेक्ट आर.के. शर्मा कहते हैं ई-मित्र के प्रति लोगों का जबरदस्त जुड़ाव देखने को मिल रहा है. लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं काटने पड़ते हैं उनका काम चुटकियों में होता हैं. सरकार ने काम के बदले कियोस्क के लिए कमिशन तय कर रखा है. छोटे-छोटे काम के लिए ढाणी, गांव से तहसील या जिला मुख्यालय के चक्कर लगाने वाले लोगों को अब घर के नजदीक ही जाकर अपना काम करवाने में आसानी हो रही है.
जनाधार, पानी-बिजली, टेलीफोन के बिल, मूल-निवास प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र, पेंशन, पुलिस वैरिफिकेशन, पेन कार्ड, जमाबंदी की नकल की कॉपी जैसे काम के लिए अब लोगों को शहर या बड़े कस्बों में नहीं जाना पड़ता है. यही नहीं सरकारी योजनाओं और कॉलेजों-स्कूलों में एडमिशन के लिए आवेदन की सुविधा भी ई-मित्र पर मिलने लगी है.


शर्मा ने बताया की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मौजूदा बजट घोषणा की पालना में इस बार सूचना प्रौद्योगिकी एवं संचार विभाग (DOIT) ने प्राइवेट क्षेत्र की बिजनेस टू कंज्यूमर (बी2सी) सेवाओं को ई-मित्र से जोड़ा है.इसमें डिजिटल एज्युकेशन, एग्रीकल्चर, डॉक्टरों की कंसलटेंसी, म्यूच्यूअल फंड, इंश्योरेंस, हाउस रेंट, बैंकिंग समेत कई सर्विस है. वर्तमान में 11 हजार 341 ग्राम-पंचायतों को ई-मित्र से जोड़ा जा चुका है. हर महीने पूरे प्रदेश में ई-मित्र के जरिए 80 से 90 लाख ट्रांजेक्शन किए होते हैं. इससे 600 करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व मिल रहा है. इतना ही नहीं करीब 13 हजार ई-मित्र प्लस मशीनों पर भी ट्रांजेक्शन हो रहे हैं.



सुशासन-ई - गवर्नेंस की पहल- 'ई -मित्र'


-30 मार्च 2002 में जयपुर के गर्वेमेंट हॉस्टल से एक लोकमित्र की शुरूआत


-20 साल में नाम बदला और इसका दायरा बढकर हुआ 85 हजार ई-मित्र कियोस्क


-2002 में सिर्फ बिजली,पानी,टेलीफोन के होते थे बिल जमा,अब 600सर्विस मिल रहीं


-प्रतिमाह 85हजार ई-मित्र कियोस्कों पर अलग अलग सर्विस के 80 से 90 लाख ट्रांजेक्शन होते


- ई-मित्र परियोजना से प्रतिमाह 600 करोड़ रुपए से अधिक का राजस्व प्राप्त किया जा रहा


-अब तक 2 करोड़ से अधिक नागरिकों ने ई-मित्र की सेवाओं का लाभ उठाया


 


DOIT के ज्वाइंट डायरेक्टर उमेश जोशी ने बताया की ई-गर्वेनेंस के जरिए आमजन को सुविधाओं उपलब्ध कराने में ई-मित्र सर्विस पूरे देश में टॉप की सर्विस हैं. इसे स्कॉच गवर्नेंस गोल्ड अवॉर्ड के लिए भी चयन हुआ हैं. इतना ही नहीं कुछ राज्य के प्रतिनिधि इस प्रोजेक्ट की स्टडी करने के लिए जयपुर भी आए हैं. उन्होंने अपने स्टेट में भी इस प्रोजेक्ट को शुरू करने की पहल की हैं. अब इसका दायरा बढ़ता जा रहा हैं.


ई-मित्र कियोस्क के अलावा एक ही छत के नीचे आमजन को ई-मित्र किओस्कों के साथ-साथ ही ई-मित्र प्लस मशीन, e-Mitra@Home, ऑनलाइन पोर्टल, मोबाइल एप के द्वारा भी सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही है..ई-मित्र के माध्यम से आमजन को अपने नजदीक ही जनाधार, पानी बिजली के बिल, मूल- निवास प्रमाण-पत्र, जाति प्रमाण-पत्र, पेंशन, पुलिस सत्यापन, चिरंजीवी पंजीकरण, पेन कार्ड आदि विभिन्न प्रकार की सरकारी योजनाओं के लिए आवेदन, कॉलेज फार्म सहित सरकार की अन्य सेवाओं की सुविधा प्रदान की जा रही है.


ई-मित्र सरकारी और गैर-सरकारी सेवाओं के लिए सिगंल विंड़ो के रुप में कार्य करता है और ई-मित्र का संचालन कर आज बहुत से युवा स्वरोजगार की राह पर चल रहे हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के प्रथम कार्यकाल 2002 में जयपुर में लोकमित्र और झालावाड़ के ग्रामीण क्षेत्र में जनमित्र की स्थापना के साथ ही प्रदेश में बिना सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाए सुगमता से आमजन को सेवाएं उपलब्ध कराने की शुरुआत हुई थी.



बहरहाल, बहरहाल, सारे विभागों की सेवाएं ई-मित्र पर उतारने की सरकार की पहल रंग ला रही है और लोगों का सरकारी काम उनके इलाके में ही हो रहा है लेकिन साथ ही सरकार को ई-मित्र पर निगरानी भी जरूरत है, वरना वे जनता के बीच सरकार की छवि को खराब भी कर सकते हैं क्योंकि ई-मित्र कियोस्कों पर ऑनलाइन गड़बड़ी भले ही न हो लेकिन इन कियोस्क पर ऑफलाइन लूट जमकर हो रही है. इस लूट पर शिंकजा कसने के लिए उपखंड से लेकर जिला स्तर और राज्य स्तर पर डिकॉय ऑपरेशन भी चलाए जाते हैं. कुछ जगहों पर तय शुल्क की सूची चस्पां मिलना और ऑफलाइन चार्ज वसूलने की शिकायतों के बाद कियोस्क को ब्लैक लिस्ट भी किया गया हैं.


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