राजस्थान: भीलवाड़ा में स्टांप पेपर पर लड़की बेचने के मामले में NHRC समेत महिला आयोग भड़का, नोटिस जारी कर मांगा जवाब
स्टांप पेपरों पर लड़कियों की कथित नीलामी और जाति पंचायतों के फरमान सहित मामलों को लेकर जारी नोटिस जारी किया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने राजस्थान के मुख्य सचिव और डीजीपी से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा.
Jaipur/ Delhi: राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में स्टाम्प पेपर पर लड़की बेचने का मामले में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने राजस्थान सरकार को जारी किया नोटिस है. एनएचआरसी ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर स्वत: संज्ञान लिया है. स्टांप पेपरों पर लड़कियों की कथित नीलामी और जाति पंचायतों के फरमान सहित मामलों को लेकर जारी नोटिस जारी किया है. मामले की गंभीरता को देखते हुए आयोग ने राजस्थान के मुख्य सचिव और डीजीपी से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा. साथ ही आयोग ने अपने विशेष प्रतिवेदक उमेश कुमार शर्मा को राजस्थान के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर 3 महीने में विस्तृत रिपोर्ट देने के लिए भी कहा.
आयोग ने राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया
आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर आयोग ने राजस्थान सरकार को नोटिस में लिखा कि राजस्थान के आधा दर्जन जिलों में लड़कियों को स्टाम्प पेपर पर बेचा जाता है तथा विवादों के निपटारे के लिए जाति पंचायतों के फरमान पर उनकी माताओं के साथ बलात्कार किया जाता है. कथित तौर पर, जब भी दोनों पक्षों के बीच विशेष रूप से वित्तीय लेनदेन और ऋण आदि को लेकर कोई विवाद होता है, तो पैसे की वसूली के लिए 8-18 वर्ष की आयु की लड़कियों की नीलामी की जाती है. इन लड़कियों को यूपी, एमपी, मुंबई, दिल्ली और यहां तक कि विदेशों में भेजा जा रहा है और गुलामी में शारीरिक शोषण, प्रताड़ना और यौन उत्पीड़न का शिकार बनाया जा रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स ने ऐसे जघन्य अपराधों के शिकार कई लोगों की इन विकट परिस्थितियों का दस्तावेजीकरण किया है.
घिनौनी प्रथा मानव अधिकारों का उल्लंघन
आयोग ने पाया है कि मीडिया रिपोर्ट की सामग्री, यदि सही है, तो इस तरह की घिनौनी प्रथा पीड़ितों के मानव अधिकारों का उल्लंघन है. तदनुसार, आयोग ने राजस्थान के मुख्य सचिव को एक नोटिस जारी कर इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट के साथ-साथ की गई कार्रवाई रिपोर्ट, पहले से किए गए उपायों और यदि नहीं, तो ऐसी भयानक घटनाओं को रोकने के लिए किए जाने वाले प्रस्तावित उपायों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.
आयोग ने नोटिस के माध्यम से रिपोर्ट में जवाब मांगा है कि राज्य सरकार कैसे संवैधानिक प्रावधानों या पंचायती राज कानून के अनुसार ग्राम पंचायत के कार्यों को सुनिश्चित कर रही है ताकि राज्य में लड़कियों और महिलाओं के मानव अधिकारों और गरिमा के अधिकार को प्रभावित करने वाली जाति आधारित व्यवस्था को समाप्त किया जा सके.
अपराधियों और उकसाने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा
पुलिस महानिदेशक(डीजीपी) इस तरह के अपराध के अपराधियों और उनको उकसाने वालों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा शुरू करने और विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है. इस नोटिस में ऐसी घटनाओं में प्राथमिकी दर्ज करने, आरोप पत्र, गिरफ्तारी, यदि कोई हो, सहित मामलों की स्थिति और राज्य में देह व्यापार के इस तरह के व्यवस्थित अपराधों में शामिल लोगों को पकड़ने के लिए शुरू की गई व्यवस्था भी शामिल होनी चाहिए. रिपोर्ट में लोक सेवकों के खिलाफ उठाए गए कदमों या उठाए जाने के लिए प्रस्तावित कदमों का भी उल्लेख होना चाहिए, जिन्होंने ऐसी घटनाओं की रोकथाम की निरंतर उपेक्षा की है. मुख्य सचिव और डीजीपी दोनों को चार सप्ताह के भीतर अपना जवाब पेश करने को कहा है.
इस बीच, आयोग ने अपने विशेष प्रतिवेदक उमेश कुमार शर्मा को राजस्थान के प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर निरीक्षण करने और क्षेत्र में नोट की गई घटनाओं और प्रचलित प्रथा पर एक विस्तृत रिपोर्ट तीन महीने में प्रस्तुत करने के लिए भी कहा है.
आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए आदेश दिया
आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए लिखा है कि 26 अक्टूबर, 2022 को की गई मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान में जाति पंचायतें सीरिया और इराक की तरह इस अपराध को अंजाम दे रही हैं, जहां लड़कियों को गुलाम बनाया जाता है. कथित तौर पर, भीलवाड़ा में, जब भी दोनों पक्षों के बीच कोई विवाद होता है, तो वे पुलिस के पास जाने के बजाय, इसके निपटारे के लिए जाति पंचायतों से संपर्क करते हैं और यह लड़कियों को ग़ुलाम बनाने का शुरुआती बिंदु बन जाता है, अगर वे उन्हें बेच नहीं पाते हैं तो, उनकी माताओं के साथ बलात्कार करने का आदेश दिया जाता है.
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तीन बार बेचा गया और चार बार गर्भवती हुई
आयोग ने मीडिया रिपोर्ट के आधार पर घटनाओं के बारे में लिखा है कि 15 लाख रुपये का भुगतान करने के लिए जाति पंचायत ने एक आदमी को पहले अपनी बहन को बेचने के लिए मजबूर किया और इसके बाद भी जब कर्ज नहीं चुकाया गया, तो उसे अपनी 12 साल की बेटी को बेचने के लिए मजबूर किया गया. खरीददार ने लड़की को 8 लाख रुपये में खरीदा. इसके बाद, सभी पांच बहनें गुलाम बन गईं लेकिन फिर भी उनके पिता अपना कर्ज नहीं चुका सके. एक अन्य घटना में एक व्यक्ति को अपनी पत्नी के इलाज के लिए अपना घर बेचने और 6 लाख रुपये का ऋण लेने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिसकी बाद में मृत्यु हो गई, उसने अपनी मां के इलाज के लिए 6 लाख रुपये और लिए. इस कर्ज को चुकाने के लिए उसने अपनी छोटी बेटी को 6 लाख रुपये में कुछ लोगों को बेच दिया, जो उसे आगरा ले गए. उसे तीन बार बेचा गया और वह चार बार गर्भवती हुई.