Rajgarh : मध्यप्रदेश के राजगढ़ के माना गांव में एक सरकारी योजना की वजह से 3 दलितों की मौत हो गयी. ये वहीं योजना है जिसके नाम पर  शिवराज सरकार ने मध्य प्रदेश सहित देश की राजधानी दिल्ली तक में अपनी पीठ थपथपाई थी. केंद्र सरकार की इस फ्लैगशिप स्कीम,  नल जल योजना यानी, जल जीवन मिशन को लागू करने के लिए मध्य प्रेदश सरकार को केंद्र से कभी भरपूर शाबासी मिली थी. लेकिन अब ये योजना और इसे लागू कर रही मध्यप्रदेश सरकार पर ही सवालिया निशान खडे़ हो रहे हैं.


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पानी की किल्लत, घरों में खोद डालें कुएं
मध्य प्रदेश के राजगढ़ गांव में तीन लोगों की मौत से पूरे गांव में मातम है. 3 हजार की आबादी वाले इस गांव में डेढ़ सौ के करीब घर हैं. इस गांव में सरकार की हर घर तक टोंटी से जल पहुंचाने की योजना तो पहुंची है लेकिन टोटिंयों से घर तक पानी कभी नहीं पहुंचा और ये ही वजह है कि लोगों ने अपने घरों में कुएं खुदवा रखें हैं और जो कब्रगाह बन रहे हैं. 3 लोगों का कुएं में शव मिलने से ग्रामीणों में भारी नाराजगी है. 


घर-घर में मौत का कुआं
माना गांव में  तीन घरों के चिराग बुझ चुके हैं. घरों में बने कुंए में तीन दलितों की जान लेली है जिसमें 30 वर्षीय ओम प्रकाश अहिरवार, 30 वर्षीय कांता प्रसाद अहिरवार और 24 वर्षीय विष्णु अहिरवार शामिल हैं. जब ज़ी मीडिया संवाददाता प्रमोद शर्मा ने राजगढ़ के माना गांव में लोगों से बात की तो पता चला की हर घर में एक कुआं हैं. ग्रामीणों का साफ कहना है कि गांव में पानी का भीषण संकट है, इसलिए घरों में कुआं खोदना मजबूरी है इसी कुएं में पानी स्टोर कर लिया जाता है. 


हर घर में नल लेकिन पानी नहीं आता
ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल जीवन मिशन सरकार की योजना गांव में चल रही होती तो फिर 3 लोगों की मौत नहीं हुई होती. सरकार की जल जीवन मिशन के तहत घरों तक पानी नहीं पहुंच सका है और हर घर मौत का कुंआ खुला हैं. हादसे के बाद से ग्रामीणों का रो-रो कर बुरा हाल है. रमेश ठेकेदार ने अपना भतीजा खो दिया है. उसने कहा, "जल संकट नहीं होता तो हमारे तीन साथी भी नहीं मरे होते."  


ग्रामीण अनिल मालवीय ने कहा, "कहां जाता है जल ही जीवन है. जल है तो कल है और लेकिन यहां जल संकट लोगों के लिए जानलेवा बन रहा है. माना गांव आजादी के बाद से अबतक जल संकट से जूझ रहा है. सरकार की योजना ने हमारे गांव में दम तोड़ दिया है. लोगों को मजबूरी में मौत के ये कुएं खोदने पड़ रहे हैं. यही कुएं लोगों के लिए जानलेवा बन रहे हैं. सरकार की योजनाएं कागजों पर ही दौड़ रही है. जमीन पर इन योजनाओं का अता पता तक नहीं है.