Somya Gurjar: राजस्थान में मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर अशोक गहलोत और सचिन पायलट की चल रही लड़ाई के बीच शहरी सरकार की मुखिया की कुर्सी छीन गई है. जयपुर नगर निगम ग्रेटर में 4 जून 2021 से चला आ रहा घटनाक्रम पर सौम्या गुर्जर की मेयर और पार्षद पद से बर्खास्ती के साथ ही विराम लग गया है. 16 माह में मामला हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. डॉ. सौम्या को राहत तो आठ माह की मिली लेकिन आज फिर सौम्या गुर्जर को राज्य सरकार के बर्खास्ती के आदेश के बाद मेयर की कुर्सी से दूर होना पडा. हालांकि डॉ.सौम्या का कहना है की संघर्ष मेरा जीवन है और यह जारी रहेगा.


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राजस्थान में चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच राज्य सरकार ने शहरी सरकार की मुखिया को पद से बर्खास्त कर दिया हैं. तीन दिन की छुट्टी के बाद आज सरकारी दफ्तर खुलने के साथ स्वायत्त शासन विभाग ने सौम्या गुर्जर को नगर निगम ग्रेटर मेयर और पार्षद पद से बर्खास्त कर दिया है. न्यायिक जांच की रिपोर्ट आने के बाद सरकार ने आज इस संबंध में आदेश जारी कर दिए है. उधर बर्खास्त के आदेश होने के बाद डॉक्टर सौम्या ने कहा की आप लोगों के माध्यम से बर्खास्त आदेश का पता चला है. विद्याधर नगर में वार्ड 23 के पार्षद कार्यालय के उद्धाटन कार्यक्रम में ही जा रही थीं वापस लौट आई हूं. मुझे अभी ऑर्डर की कॉपी नहीं मिली हैं. उन्होने कहा कि संघर्ष मेरा जीवन है और यह जारी रहेगा. राजस्थान की जनता पूरा मामला जानती है.


धारीवाल ने बर्खास्तगी को दी मंजूरी 


दरअसल 23 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने के बाद सरकार को कोर्ट ने 2 दिन तक कार्रवाई नहीं करने का समय दिया था. कल छुट्‌टी के दिन सुप्रीम कोर्ट का दिया समय पूरा हो गया था. जिसके बाद स्वायत्त शासन विभाग ने पद से बर्खास्त करने का प्रस्ताव तैयार करके नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के पास भिजवाया था. जिस पर धारीवाल ने हस्ताक्षर करके प्रस्ताव को मंजूरी दी. मंत्री से मिली मंजूरी के बाद स्वायत्त शासन विभाग ने आज आदेश जारी करते हुए मेयर को पद से बर्खास्त करते हुए उन्हें अगले 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया है. जयपुर पद से बर्खास्त होने के बाद सौम्या गुर्जर के पास अब केवल हाईकोर्ट जाने का विकल्प बचा है.


विधि विशेषज्ञ अशोक सिंह की माने तो सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश जारी किए है उसके तहत मेयर सौम्या गुर्जर न्यायिक जांच की रिपोर्ट को हाईकोर्ट में चैलेंज कर सकती है. यह उनके पास अब आखरी विकल्प है. जानकारों का मानना है कि नगर निगम ग्रेटर में बर्खास्ती के बाद मेयर की कुर्सी खाली हो गई है. लिहाजा सरकार किसी को कार्यवाहक के तौर पर मेयर बनाकर बैठा सकती है या फिर प्रशासक को नियुक्त कर सकती है.  खाली हुई चार वार्डों में  पर जल्द चुनाव भी करवाए जा सकते है और उसके बाद मेयर का निर्वाचन हो सकता है.


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ये है पूरा विवाद और यूं चला पूरा घटनाक्रम
-4 जून 2021 को जयपुर नगर निगम ग्रेटर मुख्यालय में मेयर सौम्या गुर्जर, तत्कालीन कमिश्नर यज्ञमित्र सिंह देव और अन्य पार्षदों के बीच एक बैठक में विवाद हुआ. कमिश्नर से पार्षदों और मेयर की हॉट-टॉक हो गई. कमिश्नर बैठक को बीच में छोड़कर जाने लगे. इस दौरान पार्षदों ने उन्हें गेट पर रोक दिया, जिसके बाद विवाद बढ़ गया. कमिश्नर ने पार्षदों पर मारपीट और धक्का-मुक्की करने का तीनों पार्षदों पर आरोप लगाते हुए सरकार को लिखित में शिकायत की और ज्योति नगर थाने में मामला दर्ज करवाया.


-5 जून को सरकार ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए मेयर सौम्या गुर्जर और पार्षद पारस जैन, अजय सिंह, शंकर शर्मा के खिलाफ मिली शिकायत की जांच स्वायत्त शासन निदेशालय की क्षेत्रिय निदेशक को सौंप दी.


-6 जून को जांच रिपोर्ट में चारों को दोषी मानते हुए सरकार ने सभी (मेयर और तीनों पार्षदों को) पद से निलंबित कर दिया. इसी दिन सरकार ने इन सभी के खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करवा दी.


-7 जून को राज्य सरकार ने एक आदेश जारी करते हुए पार्षद शील धाबाई को कार्यवाहक मेयर बना दिया.


सरकार के निलंबन के फैसले को मेयर सौम्या गुर्जर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी, लेकिन 28 जून को हाईकोर्ट ने मेयर को निलंबन आदेश पर स्टे देने से मना कर दिया. जुलाई में सौम्या गुर्जर ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच रूकरवाने और निलंबन आदेश पर स्टे की मांग की.


-1 फरवरी 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने निलंबन ऑर्डर को स्टे दे दिया, जिसके बाद 2 फरवरी को सौम्या गुर्जर ने वापस मेयर की कुर्सी संभाली थी.


-11 अगस्त 2022 को सौम्या और 3 अन्य पार्षदों के खिलाफ न्यायिक जांच की रिपोर्ट आई, जिसमें सभी को दोषी माना गया.


-22 अगस्त को सरकार ने वार्ड 72 से भाजपा के पार्षद पारस जैन, वार्ड 39 से अजय सिंह और वार्ड 103 से निर्दलीय शंकर शर्मा की सदस्यता को खत्म कर दिया है. इन पार्षदों को भी सरकार ने इसी न्यायिक जांच के आधार पर पद से हटाया है.


-23 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाकर न्यायिक जांच की रिपोर्ट पेश की और मामल की जल्द सुनवाई की मांग की.


-23 सितम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद सरकार को कार्यवाही के लिए स्वतंत्र करते हुए याचिका का निस्तारण कर दिया.


-27 सितंबर को राज्य सरकार ने तीन दिन अवकाश के बाद दफ्तर खुलते ही सौम्या गुर्जर को मेयर और पार्षद पद से बर्खास्त कर दिया. और 6 साल तक चुनाव लड़ने के लिए भी अयोग्य घोषित कर दिया है


स्वायत्त शासन विभाग के आदेशा में साफ लिखा है की सौम्या गुर्जर को प्राथमिक जांच में प्रथम दृष्टया दोषी पाये जाने पर राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 39 के अन्तर्गत प्रकरण की न्यायिक जांच करवाई गई. न्यायिक जांच अधिकारी की ओर से न्यायिक जांच प्रकरण संख्या 244/2021 में सौम्या गुर्जर को राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 39 (1) (घ) (ii) (ii) (vi) के अन्तर्गत दोषी पाया गया है. ऐसे में राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 (4), 41 एवं 43 के अन्तर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार ने सौम्या गुर्जर को महापौर और वार्ड 87 पार्षद पद से हटाते हुए आगामी 6 वर्ष की कालावधि तक पुर्ननिवार्चन के लिए निर्योग्य घोषित किया है. उधर इस मामले में नगर निगम हैरिटेज मेयर मुनेश गुर्जर ने कहा की सुप्रीम कोर्ट का आदेश है. 


बहरहाल, बर्खास्ती के आदेश के साथ ही नगर निगम ग्रेटर में आज दिनभर सन्नाटा पसरा रहा. मेयर चैंबर को लॉक कर दिया तो डॉ. सौम्या गुर्जर के नाम लिखी पट्टिका को भी हटवा दिया. दिनभर मेयर कक्ष के अंदर रहने वाली चहलकदमी की जगह आज सुनापन नजर आया. हालांकि डॉ.सौम्या को उम्मीद है की संघर्ष की जीत होगी. मदनमोहनजी महाराज का आशीर्वाद उन पर है.


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