Jaipur: प्रदेश की  राजधानी समय के साथ  स्मार्ट सिटी बनने की ओर आगे जरूर बढ़ रही है, लेकिन यहां रहने वालों को समार्च सिटी जैसी सहुलयते आज भी इनसे दूर है, चाहे वह स्वच्छता से जुड़ी हो या फिर अन्य. यहां के रहने वालों के घर से बाहर निकलते ही कुत्तों का डर, गंदगी के ढेर, आवारा पशुओं का जमावड़ा इलाके में इतना है कि  यहां लोगों को जीना दूभर हो गया है.  पर हाल ही राजधानी के रहने वालों को  एक नई मुसीबत से सामना हो रहा है. सड़कों पर आवारा जानवरों की आवाजाही इतनी बढ़ गई है कि अब कुत्ते भी हिंसक हो चले हैं.


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हालात यह कि पिंकसिटी में स्ट्रीट डॉग्स ही नहीं पालतू कुत्ते भी बेलगाम हो गए हैं.  दिनों-दिन ये आमजनता के लिए खतरा बनते जा रहे हैं. हालात इतने विकट हो चले हैं कि डॉग बाइटिंग अब दो परिवारों के बीच का मसला नहीं जिसे सुलझा लिया जाए अब यह थाने और इससे आगे कोर्ट तक जा पहुंच चुक है. 


इतना ही नहीं, शहर में मासूमों पर भी कुत्तों के हमले के मामले बढ़ते जा रहे है. लेकिन जयपुर हैरिटेज और ग्रेटर नगर निगम इस पर चुप्पी साधे बैठा है. बता दें कि कुत्तों की संख्या को काबू करने के लिए 2011 में एंटी बर्थ प्रोग्राम (एबीसी) भी शुरू किया गया था  लेकिन, इसका भी कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया है. पिछले चार महीने से दोनों नगर निगमों में एबीसी कार्यक्रम भी बंद  है. कुत्तों का रजिस्ट्रेशन करने में दोनों ही निगम फेल साबित हो रहे है. राजधानी में कितने श्वान लोगों ने पाल रखे हैं. .इसकी जानकारी दोनों नगर निगमों के पास नहीं है.


गौरतलब है कि,  हैरिटेज नगर निगम ने इस साल सिर्फ 35 कुत्तों का ही रजिस्ट्रेशन किया  है .पिछले वित्तीय वर्ष में सिर्फ 177 कुत्तों का रजिस्ट्रेशन किया था..जिन्हें भी अभी तक नवीनीकरण नहीं किया गया. जयपुर ग्रेटर नगर निगम ने इस साल 90 कुत्तों का रजिस्ट्रेशन किया है...जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में 850 कुत्तोंका रजिस्ट्रेशन किया था.


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Reporter: Deepak Goyal