देशभक्ति का ऐसा जुनून कि पीठ पर गुदवाए 62 शहीदों के नाम, हर कोई करता है इन्हें सलाम
अलवर जिले के शाहजहांपुर थाना क्षेत्र के गांव लामचपुर निवासी जिंदा शहीद स्तम्भ के नाम से विख्यात मुकेश सिंह चौहान (Mukesh Singh Chauhan) के जज्बे को आमजन सलाम करता है.
Alwar : यूं तो देश के शहीदों के प्रति सभी देशवासियों दिल से श्रद्धाभाव रखते हैं. परंतु अलवर जिले के शाहजहांपुर थाना क्षेत्र के गांव लामचपुर निवासी जिंदा शहीद स्तम्भ के नाम से विख्यात मुकेश सिंह चौहान (Mukesh Singh Chauhan) के जज्बे को आमजन सलाम करता है. मुकेश शहीदों की यादों को अपने दिल में बसा कर रखने के लिये 1971 में भारत और पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए 56 सैनिक एवं पड़ोसी गांव के कुतींना के तीन शहीदों के नाम अपने शरीर पर गुदाये हुए हैं. आज भी शुर वीरों की याद दिला रहे हैं. हाल में जयपुर (Jaipur News) के विधाधर नगर में अपने परिवार के साथ रहे चौहान होटल में मैनेजर के पद पर कार्यरत है.
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मुकेश चौहान (Mukesh Singh Chauhan) ने बताया कि सभी शहीदों के नाम जयपुर की अमर जवान ज्योति पर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गुदवाए थे. इसके पश्चायत कुतींना गांव के शहीद हुए तीन जवानों के नाम भी गुदवाए जाने के चलते 62 शहीदों के नाम अपने शरीर पर गुदवाकर देशभक्ति की अनूठी मिशाल पेश किया. मुकेश का कहना है कि उनकी पढ़ाई के समय से ही सेना में जाकर देश की सेवा करने का इरादा था. परंतु शारीरिक दक्षता में विफल रहने के चलते अपना सपना पूरा नहीं कर सका. मगर श्रद्धा देश के जवानों के प्रति कम नहीं हुई, जिसका उदाहरण सदैव अपने साथ लेकर चलना बताया.
किसान परिवार में जन्मे मुकेश सिंह चौहान के चार भाई में सबसे छोटे मुकेश सिंह चौहान के जुनून ने ऐसा कारनामा करने को लेकर बताया कि 7वीं राजपूताना राइफल्स रेजीमेंट में रहे उनके चाचा शहीद हनुमान सिंह चौहान सहित 55 अन्य साथी भारत पाक युद्व में देश के नाम कुर्बान हो गये. शहीद चाचा को सच्ची श्रद्धांजलि देने के साथ शहीदों की याद हर समय ताजा रखने के लिये शहीद दिवस के मौके पर 10 दिसम्बर 2009 को अपनी पीठ पर चाचा समेत 55 शहीदों सहित तीन कुतींना के शहीद के याद अपने साथ रखते हैं.
मुकेश सिंह चौहान का 2013 में लिम्का बुक के अंक में शामिल हुआ. चौहान का कहना है देश के शहीदों को आम तौर पर पर स्वतंत्रता दिवस या शहीद दिवस पर ही याद किया जाता परन्तु मैं पीठ पर शहीदों के नाम गुदवा लेने से हमेशा उनकी याद दिल में संजोए रखा हुआ हूं.
रिपोर्ट : जुगल गांधी
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