जयपुर: मानसून के दस्तक देने का समय नजदीक है. मानसून के साथ ही प्राकृतिक आपदाओं का दौर भी शुरू होने लगेगा, लेकिन मानसून से पूर्व प्राकृतिक आपदाओं से बचाव की तैयारियां अभी तक शुरू भी नहीं हुई है. दो साल पहले 14 अगस्त को हुई बारिश ने शहरभर को बांध कर रख दिया था.न केवल चारदीवारी में बल्कि बाहरी इलाकों में भी पानी भर गया था और पानी ने लोगों घरों में फंस गए थे. कच्ची बस्तियां तो जैसे पानी में डूब ही गई थी. ऐसे में प्रशासन के दावे पिछली बार हुई परेशानियों की पुनरावृत्ति न होने देने की हो.लेकिन हकीकत इससे परे है.ना नालों की सफाई हुई ना ही बाढ बचाव का काम करने वाला आपदा कंट्रोल रूम. ना ही कंट्रोल रूम के नंबर.


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ये है नगर निगम हैरीटेज का बनीपार्क का फ्लड कंट्रोल रूम


फ्लड कंट्रोल रूम में नगर निगम और जेडीए के कार्मिको की ड्यूटी तो लगा दी, लेकिन ये बिना फोन किसकी समस्या का समाधान करेंगे. क्योंकि कंट्रोल रूम का जो नंबर जारी किया है. वो डेड है.उसकी ठीक करने की शिकायत कर रखी है. यानी कि मानसून में बारिश से तबाही मच जाए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा. प्रदेश में मानसून कभी भी दस्तक दे सकता है. मानसून आने की लोगों के चेहरों की खुशी को लाल फीताशाही छीन सकती है.


प्रदेश में 15 जून से मानसून के आगमन का समय रहता है. इसी को देखते हुए जिला स्तर पर बाढ़ नियंत्रण कक्ष खोले जाते हैं. जयपुर में भी 10 दिन पहले ही राजन विशाल ने जयपुर कलेक्ट्रेट सहित नगर निगम हैरिटेज और ग्रेटर में 5 जगह पर कंट्रोल रूम खोलने के निर्देश जेडीए, नगर निगम सहित कई संबंधित विभागीय अधिकारियों को दिए, लेकिन जब कंट्रोल रूम का सच जानने के लिए रियलिटी चैक किया तो नजारा चौकानें वाला निकला .प्रशासन के दावे धरातल पर खोखले निकले.सवाल ये की कंट्रोल रूम के नंबर तो जारी कर दिए, लेकिन ये नंबर डेड है। और संसाधनों के बिना कंट्रोल रूम किस काम का.


कंट्रोल रूम में JDA और नगर निगम के कार्मिको की ड्यूटी लगाई गई, लेकिन वो भी ड्यूटी से गायब है. लेबर नहीं होने के कारण बाढ नियंत्रण कक्षों के बाहर मिट्टी को कट्टों में भरा नहीं जा सका हैं. नगर निगम के अफसर भी मानते हैं की आधी-अधूरी के साथ कंट्रोल रूम शुरू हुए हैं.दो चार दिन में सबकुछ ठीक कर दिया जाएगा..एडीएम साउथ अबू बक्र का कहना हैं की हैरिटेज नगर निगम क्षेत्र में बनीपार्क, घाटगेट और ग्रेटर क्षेत्र में मानसरोवर, VKI और मालवीय नगर पर कंट्रोल रूम शुरू करने के निर्देश दिए गए थे.साथ में नालों की सफाई की रिपोर्ट भी मांगी हैं.लेकिन अभी तक निगम की ओर से नालों की सफाई रिपोर्ट नहीं आई है.


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मानसरोवर स्थित फायर स्टेशन में खोलने के निर्देश हैं। लेकिन यहां कंट्रोल रूम का सेटअप भी तैयार नहीं कराया गया है। जनता फोन कहां करेगी, यह भी नहीं पता। यहां जाकर देखा कि कंट्रोल रूम का कोई कर्मचारी मौजूद नहीं है। दमकलकर्मी बैठकर बात कर रहे थे। उनसे कंट्रोल रूम के बारे में बात की तो बताया कि  कंट्रोल रूम तो यही खुलेगा लेकिन अभी कर्मचारी नियुक्त नहीं हुए हैं। फोन नंबर भी अभी जल्द शुरू होगा


कलेक्ट्रेट के 200 मीटर दूर ही बनीपार्क फायर स्टेशन में मानसून की तैयारियों को लेकर कंट्रोल रूम शुरू होना है। जी मीडिया की टीम यहां पहुंची। यहां कंट्रोल रूम में तो खुल गया । लेकिन कंट्रोल रूम का नंबर आउट ऑफ कंट्रोल यानी कि डेड है। कंट्रोल रूम जैसी कोई तैयारी दिखी है. नगर निगम के कार्मिक तो ड्यूटी पर पहुंच गए लेकिन जेडीए के कार्मिक गायब मिले। बाहर मिट्टी तो आ गई है, लेकिन कट्टों में भरने का काम अभी शुरू नहीं हुआ. बारिश के दिनों में संभावित बाढ़, पानी भरने और जल प्लावन जैसी प्राकृतिक आपदाओं से निबटने के लिए प्रशासन बंद कमरों में बैठकें तो कर रहा है,लेकिन जमीनी हकीकत में अभी वह अन्य जिलों से मिलने वाली सहायता पर ही निर्भर है.


मानसून में अब कुछ ही दिन शेष माने जा रहे हैं.बारिश को प्री मानसून की शुरुआत मानी जा रही है.ऐसे में मानसून के समय शहर में जल प्लावन की स्थिति बन सकती है...शहर में हर वर्ष थोड़ी बारिश में ही नाले उफान पर आ जाते हैं.इसके कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है.टेंडर की प्रकिया देरी से होने के कारण अभी तक मिट्टी के कट्टे भरे ही नहीं गए हैं. मडपंप,जेसीबी,नाव सहित अन्य राहत बचाव के संसाधन नहीं पहुंचे हैं. जहां तक बात नावों की है जयपुर शहर में कम से कम 10 नावों का होना जरूरी है.लेकिन वो भी नही है। इससे लग रहा है मानो कंट्रोल रूम की नैया ही डूब गई है.ऐसे में साफ जाहिर है कि जिला प्रशासन की मानसून को लेकर तैयारी नहीं है. वहीं, कलेक्टर के आदेशों की पालना नहीं हो रही है और अफसर आउट ऑफ कंट्रोल हो गए हैं.


आपदा प्रबंधन विभाग ने पिछली बार मानसून की घटना से शायद सबक नहीं लिया है यहीं कारण है की मानसून दरवाजे पर खड़ा है और हमारी तैयारियां लगभग शून्य है.ऐसे दो साल पहले जैसे हालात हुए तो जनता और प्रशासन दोनों को ही भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है..