मुगल बादशाह को हरम के लिए हमेशा जवां रखते थे ये व्यंजन, हकीम बनाता और किन्नर...
इतिहासकारों के मुताबिक अपनी कामोत्तेजना (Sexual Arousal) को बढ़ाने के लिए कब्र में पैर होने के बाद भी शाहजहां ने अंत तक कई दवाओं का सेवन किया था. ताकि वो हरम की औरतों को खुश कर सके.
Mughal Dark Secret : डच व्यापारी मैनरिक ट्रैवल्स ऑफ फ्रे सेबेस्टियन मैनरिक के मुताबिक हरम में मुगल बादशाह के ताकत को बरकरार रखने के लिए दिए जाने वाले व्यंजनों का जिक्र अपनी किताब में किया है.
किताब में बताया गया है कि मुगलों के शाही खाने का जिम्मा खानेसामे के साथ हकीम का भी होता था. जो ये देखता था कि शाही खाने में मुगल बादशाह की ताकत को बरकरार रखने के सारे गुण हों.
माना जाता है चावल के दानों पर चांदी का वर्क लगाकर मुगल बादशाह को परोसा जाता था. चांदी पाचन को मजबूत करता और कामोत्तेजना को बढ़ाता था. ये शाही खाना गंगा नदी के और बारिश के पानी में तैयार किया जाता था.
इतिहासकारों के मुताबिक अपनी कामोत्तेजना को बढ़ाने के लिए कब्र में पैर होने के बाद भी शाहजहां ने अंत तक कई दवाओं का सेवन किया था. ताकि वो हरम की औरतों को खुश कर सके.
मुगलों के हरम की इस परंपरा को आगे भी बनाये रखने के लिए हरम पर खूब खर्च होता था और मुगल के बादशाह के खाने पर भी. मुगल बादशाह को शाही खाना किन्नर परोसते थे.
ये ही नहीं मुगल बादशाह अपनी काम शक्ति को बढ़ाने के लिए सोने की अशर्फी से तैयार भस्म को खाने में मिलवाता था जो मर्दाना ताकत को बढ़ाती थी. साथ ही कुछ मुगल बादशाह जंगली खरगोश का मांस और काले हिरण की नाभि को पकाकर खा जाते थे.
मुगलों की अय्याशी का अड्डा था मुगल हरम, जहां औरतों की ये थी हालत