Jaipur: जयपुर का ये शख्स फॉर्चूनर को बना देता है एम्बुलेंस, इस फरिश्ते के नाम की माला जपते हैं लोग..
जयपुर का यह शख्स करता है ऐसा काम मिलती है लाखों दुआएं.गाड़ी के आगे एंबुलेंस की प्लेट लगा देते हैं, इसके साथ ही इसके ऊपर नीली बत्ती लगा लेते हैं.
Jaipur: प्रदेश और देशभर में सबसे ज्यादा मौतें सड़क हादसों से होती हैं. सड़क दुर्घटना में घायलों को कोई समय रहते अस्पताल पहुंचा दे, तो इन मौतों के आंकड़ों को कम किया जा सकता हैं. जहां आमतौर पर एक्सीडेंट के बाद लोग रूकना पसंद नहीं करते वहां समाज में कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो अपने काम को छोड़कर घायलों को अस्पताल पहुंचाना अपनी पहली जिम्मेदारी समझते हैं. ऐसे ही एक शख्स हैं मालवीय नगर निवासी कर सलाहकार संदीप गुप्ता जो सड़क हादसों में घायल व्यक्तियों की मदद के लिए सदा तत्पर रहते हैं. अब तक वह 100 घायलों को अस्पताल पहुंचा चुके हैं.
गाड़ी को तत्काल बना देते एंबुलेंस
संदीप गुप्ता के पास फॉर्च्यूनर गाड़ी हैं और जब कहीं सड़क पर उन्हें दुर्घटना की जानकारी मिलती हैं, तो वो तत्काल वहां पहुंचकर घायल की मदद को जुट जाते हैं. इसके लिए वो तत्काल अपनी फॉर्च्यूनर गाड़ी को एंबुलेंस बना लेते हैं. इसके लिए गाड़ी के आगे एंबुलेंस की प्लेट लगा देते हैं, इसके साथ ही इसके ऊपर नीली बत्ती लगा लेते हैं, ताकि घायल को अस्पताल पहुंचाने में रेड लाइट सहित अन्य ट्रैफिक की समस्या का सामना नहीं करना पड़े. इसके लिए उन्हें पुलिस विभाग की ओर से राईट ऑफ वे सर्टिफिकेट दिया गया है, जिससे वो इमरजेंसी में अपने वाहन को एंबुलेंस के रूप में यूज कर सकते हैं.
गाड़ी में रखते जरूरी दवाईयां
संदीप गुप्ता ने बताया कि वह अपनी गाड़ी में ही सभी जरूरी दवाईयां रखते हैं, जिससे की घायल व्यक्ति का एक बार मौके पर ही प्राथमिक उपचार किया जा सके. इसके लिए गाड़ी में पेन किलर, दवाई पट्टी, डिटॉल सहित अन्य दवाईयां मौजूद रहती हैं. गाड़ी में दरी और चद्दर भी रखते हैं, जिससे घायल को आसानी से उठाकर गाड़ी की बीच वाली सीट पर लेटा सकते हैं, जिससे उन्हें अस्पताल पहुंचाने में दिक्कत नहीं हो.
मां से मिली प्रेरणा
घायलों की मदद को लेकर उन्होंने कहा कि इसकी प्रेरणा मुझे मां से मिली हैं. जो हमेशा कहती हैं कि जो सोसायटी से आप अपेक्षा रखते हो वैसा ही काम आपको भी करना चाहिए. हम भी सोचते हैं कि एक्सीडेंट हो तो हमें तत्काल कोई अस्पताल पहुंचा दें, इसके लिए हमें भी ऐसा ही काम करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अब तक 100 से ज्यादा लोगों को अस्पताल पहुंचा चुके हैं, जिसमें से 40 लोग ऐसे हैं जो बिल्कुल स्वस्थ हैं.
ऐसे मिलती दुआएं
घायलों की मदद के बाद उन्हें दुआएं भी खूब मिल रही हैं. एक्सीडेंट में घायल बच्ची को अस्पताल पहुंचाया, तो बच्ची की जान बच गई, बाद में परिजनों ने विवाह के समय संदीप गुप्ता से ही कन्यादान भी करवाया. इसके साथ ही एक परिवार ऐसा भी हैं, जिसमें एक वृद्धा माला जपते समय राम के नाम के साथ गुप्ताजी का नाम भी जपती है. संदीप गुप्ता ने बताया कि उस परिवार में तीन दादाओं में एक पोता था, जो हादसे में घायल हो गया था, उन्हें अस्पताल पहुंचाया और जान बच गई. उन्होंने कहा कि मेरे लिए इससे बड़ा कोई आशीर्वाद नहीं हो सकता. इसके साथ ही वो घायल को अस्पताल पहुंचाने के बाद अपना कार्ड मरीज के तकीये के नीचे छोड़ देते हैं, ताकि किसी को कोई जानकारी लेनी हो तो वह आसानी से उन्हें दे सकें.
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