जयपुर: शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षा सेवा नियमों में बदलाव करते हुए हेड मास्टर का पद समाप्त करते हुए उच्च माध्यमिक विद्यालयों में उप प्राचार्य के करीब 16 हजार पद सृजित किए.लेकिन शिक्षा विभाग ने इन सभी पदों को व्याख्याता के जरिए पदोन्नति से भरने के फैसला लिया. 6 अप्रैल 2022 को शिक्षा विभाग द्वारा लिए गए इस फैसले के बाद से ही प्रदेश के करीब साढ़े तीन लाख से ज्यादा शिक्षकों ने शत प्रतिशत पद पदोन्नति से भरने का विरोध शुरू किया.जो अब लगातार बढ़ता ही जा रही है. वरिष्ठ अध्यापकों और थर्ड ग्रेड शिक्षकों ने उप प्राचार्य के पदों पर जहां 50 फीसदी पद पदोन्नति तो वहीं 50 फीसदी पद सीधी भर्ती से करने की मांग तेज कर दी है.


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50% पदों पर सीधी भर्ती प्रक्रिया पूरी हो


गौरतलब है की शिक्षा विभाग द्वारा सेवा नियमों में बदलाव करने से पहले हेडमास्टर के पद पर पदोन्नति का नियम था. हेड मास्टर के 50 फीसदी पदों पर जहां 5 साल के अनुभव के साथ पदोन्नति की व्यवस्था थी. वहीं,  50 फीसदी पदों को सीधी भर्ती से भरा जाता था, जिसके चलते वरिष्ठ अध्यापकों और तृतीय श्रेणी शिक्षकों को भी हेड मास्टर बनने का मौका मिलता था, लेकिन सेवा निमयों में बदलाव के चलते नव सृजित उप प्राचार्यों के पदों पर सिर्फ व्याख्याताओं को ही पदोन्नति का लाभ मिल सकेगा. वरिष्ठ अध्यापक,युवा व्याख्याता और निजी शिक्षण संस्थानों में कार्यरत युवाओं के पास उप प्राचार्य के पद पर नियुक्ति का रास्ता बंद हो गया है. शिक्षकों द्वारा सरकार से मांग की जा रही है की उप प्राचार्यों के 50 फीसदी पदों पर पदोन्नति और 50 फीसदी पदों पर सीधी भर्ती के आदेश देकर शिक्षा विभाग प्रदेश के करीब साढ़े तीन साल शिक्षकों के साथ न्याय करे.


शिक्षक ओम प्रकाश मंगल और राधामोहन मीणा ने बताया कि "महज एक वर्ग को फायदा पहुंचाने के लिए उप प्राचार्य के करीब 16 हजार पदों को पदोन्नति से भरने का फैसला लिया है.प्रदेश में करीब 50 हजार व्याख्याता ही कार्यरत हैं और इनमें से भी महज 15 से 20 हजार व्याख्याताओं को ही उप प्राचार्य बनने का मौका मिलेगा. ऐसे में शिक्षा विभाग 50 फीसदी पदों पर पदोन्नति और 50 फीसदी पदों पर सीधी भर्ती के नियम को अपनाए, जिससे प्रदेश के सभी शिक्षकों को उप प्राचार्य बनने का मौका मिल सके "


शिक्षक लव शर्मा और मुकेश मीणा ने बताया  "6 अप्रैल को ये आदेश जारी किए गए थे. उसके बाद से ही लगातार संघर्ष जारी है. शिक्षक अपनी एक मांग को लेकर करीब सभी जिलों में धरना प्रदर्शन कर चुके हैं. वहीं, शहीद स्मारक पर भी दो बार धरना दिया जा चुका है. शिक्षा मंत्री से लेकर हर अधिकारी को ज्ञापन सौंपे जा चुके हैं, लेकिन नतीजा नहीं निकल रहा है.अगर शिक्षा विभाग द्वारा नियम को नहीं बदला जाता है तो प्रदेश के साढ़े तीन लाख शिक्षकों को अपने हक के लिए सड़कों पर उतरना पड़ेगा."