Jaipur: नाहरगढ़ के जंगल बब्बर शेरों की दहाड़ पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रही है. लॉयन सफारी में बंद गाडी में इंसान और खुले में देखे जा रहे हैं 36 हेक्टेयर में बनी इस लॉयन सफारी के चारों तरफ 5 मीटर ऊंची फेंसिंग की गई है. खुले जंगल में बब्बर शेरों की दहाड़ देखकर पर्यटक भी रोमांचित हो रहे हैं. वन्यजीव प्रेमियों ने बाघों की तर्ज पर लॉयन अभ्यारण विकसित करने की मांग की है.


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शेरों के संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 10 अगस्त को वर्ल्ड लॉयन डे मनाया जाता है. दक्षिण अफ्रीका की तर्ज पर राजस्थान में पहली लॉयन सफारी की शुरुआत राजधानी जयपुर के नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क में की गई है. नाहरगढ़ लायन सफारी में खुले जंगल में शेरों को देखने का मौका मिलता है. खुले जंगल में शेरों को देखकर प्रकृति और वन्यजीवों के प्रति लोगों का जुड़ाव होता है.


साक्षात प्रकृति से रूबरू होकर एक अलग ही अनुभूति
पर्यटकों को लायन सफारी में आकर रणथंभोर जैसी फीलिंग होती है. लॉयन सफारी में आसानी से सैलानियों को लॉयन नजर आ जाते हैं. विभिन्न प्रकार के वृक्ष और वन्यजीवो देखकर प्रकृति से प्यार होता है. स्कूलों में बच्चे कहानियों और किताबों में ही प्रकृति को देखते हैं, लेकिन यहां जंगल में साक्षात प्रकृति से रूबरू होकर एक अलग ही अनुभूति प्राप्त होती है.


बाघों की तर्ज पर लॉयन अभ्यारण विकसित करने की मांग
वन्यजीव प्रेमी सूरज सोनी ने वर्ल्ड लॉयन डे पर सरकार से मांग की है कि गुजरात और राजस्थान की भौगोलिक परिस्थितियां समान है. राजस्थान में भी गुजरात के गिर वन की तर्ज पर शेरों को लाकर लॉयन अभ्यारण विकसित किया जाए. इससे शेरों का कुनबा तो बढ़ेगा ही साथ में राजस्थान का नाम भी विश्व पटल पर आएगा.


पर्यटन को बढावा मिलेगा रोजगार के साधन भी बढेंगे. देश-विदेश से पर्यटक शेरों को देखने और अध्ययन के लिए राजस्थान में आएंगे. राजस्थान में शेर विलुप्त प्राय हैं, केवल चिड़िया घरों में ही देखने को मिलते हैं. बाघों की तर्ज पर शेरों के लिए अभ्यारण विकसित होगा, तो शेरों का कुनबा बढ़ेगा. केंद्र और राज्य सरकार मिलकर राजस्थान में बाघ अभ्यारण की तर्ज पर लॉयन अभ्यारण विकसित किया जाए.


लॉयन कंजर्वेशन प्लान बनाया जाए
वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट रोहित गंगवाल ने बताया कि एशियाटिक लायन भारत में केवल गुजरात में ही पाए जाते हैं. लॉयन देश के अन्य राज्यों में भी बसाया जाना चाहिए. बाघों की तर्ज पर लायंस को भी राजस्थान में रिइंट्रोड्यूस किया जाए. राजस्थान में प्राथमिकता से लेकर लॉयन कंजर्वेशन प्लान बनाया जाए. राजस्थान में ऐसे क्षेत्र है जहां पर लॉयन की पापुलेशन सरवाइव कर सकती है.


प्रकृति प्रेमियों के मुताबिक सरकार को चाहिए कि जहां पर अच्छे जंगल है और वन्यजीव प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं, ऐसे एरिया को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए. जिस तरह से प्रदूषण बढ़ रहा है और प्रकृति का विनाश हो रहा है, ऐसे में मानव को प्रकृति से प्यार होगा तो प्रकृति को बचाया जा सकेगा. प्रकृति को बचाना बहुत जरूरी है.लोग भागदौड़ की जिंदगी में ज्यादा समय नहीं निकाल पाते हैं, ऐसे में शहर के पास में ही बनी लायन सफारी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहती है.


वर्ष 2018 में शुरू हुई थी नाहरगढ़ लायन सफारी
वर्ष 2018 में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नाहरगढ़ लायन सफारी का उद्घाटन किया था. नाहरगढ़ बायोलॉजिकल पार्क के अंदर बनाई गई लॉयन सफारी धीरे-धीरे पर्यटकों को अपनी ओर खींच रही है. 200 रुपये में पर्यटक लॉयन सफारी के दौरान एशियाटिक लायन देखने का आनंद ले रहे हैं. लॉयन सफारी में शेर शेरनी की साइटिंग देखकर पर्यटक भी रोमांचित हो रहे हैं.


वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक नाहरगढ़ जैविक उद्यान में 36 हेक्टेयर में बनी लॉयन सफारी के अंदर खुले जंगल में बब्बर शेरों की दहाड़ सुनकर पर्यटक भी रोमांचित हो जाते हैं. लायन सफारी में शेरों की सफल ब्रीडिंग होगी तो भविष्य में शेरों का कुनबा बढ़ेगा. राजस्थान में पहली बार लायन सफारी नाहरगढ़ जैविक उद्यान में बनाई गई.


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सैलानियों को लुभा रही नाहरगढ़ लायन सफारी
प्रदेश की पहली लॉयन सफारी नाहरगढ़ लायन सफारी सैलानियों को काफी लुभा रही है. नाहरगढ़ के जंगलों में शुरू की गई सफारी में बड़ी संख्या में सैलानी शेरों की अठखेलियां देखकर लुत्फ उठा रहे हैं. देशभर के विभिन्न राज्यों से सैलानी नाहरगढ़ लायन सफारी पहुंच रहे हैं. शेरों को खुले जंगल में कुदरती अंदाज में देखना पर्यटकों को भी काफी लुभा रहा है.


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